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रविवार, 6 जुलाई 2025

4441...यह पृथ्वी तब भी थी जब नहीं थे वृक्ष

 सादर अभिवादन


सुना है सावन आने वाला है
झूले भी लगाने की चेष्टा हो रही है

कैलेंडर के अनुसार आज देव शयनी एकादशी है ..और



ताजियों का महीना मोहर्रम भी है
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है जिसे शोक और गम के रूप में मनाया जाता है



धर्मनिष्ठ लोगों का चातुर्मास भी आज ही से लागू हो रहा है

और भी है... ब्लॉग पर जाकर पढ़िए

चातुर्मास के नियम

माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान थाली की बजाए पलाश के पत्ते पर भोजन करना चाहिए। ऐसा करना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। अगर आप चार महीनों तक इस नियम का पालन करते हैं तो कई बड़े पापों का नाश हो सकता है और जीवन में सकारात्मकता आने लगती है। माना जाता है कि चातुर्मास में पलाश के बने पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस नियम का पालन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और व्यक्ति को उनकी विशेष कृपा भी प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा, इन चार महीनों में मांस, शहद, और दूसरे द्वारा दिए गए अन्न का सेवन भी नहीं करना चाहिए

मान्यता है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से भगवान विष्णु अगले चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में इस अवधि के दौरान बिस्तर को त्यागकर भूमि पर शयन करना अति उत्तम माना जाता है। माना जाता है कि इस विशेष नियम का पालन करने से रोगों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में धन लाभ के योग बनने लगते हैं। साथ ही, जातक के घर में कभी भी अनाज की कमी नहीं होती है और संतान सुख की भी प्राप्ति हो सकती है।




साथ जो
समय के साथ
गहरे होते जाएँ
वही प्रेम है








प्रेम
का अंकुरण
मन की धरती पर होता है।
शरीर
केवल मन की अभिव्यक्ति का एक
मूक पटल है।
शरीर और मन के बीच
कहीं
कोई
भाव जन्मता है और गुलाब की भांति






इंटरनेट कंप्यूटर आए,करने जीवन को आसान।
साइबर अपराधी पनपेंगे,इसका था तब किसको भान।।

करें फिशिंग हैकिंग से शोषण,भेज रहें हैं फर्जी मेल।
झूठे सरकारी कर्मी बन,खेलें कपट घिनौने खेल।।

चुरा जानकारी लोगों की,करते जब ये नित्य गुनाह।
धोखा खाती भोली जनता,उनको करना अब आगाह।।





यह पृथ्वी तब भी थी जब नहीं थे वृक्ष
जब नहीं लगी थी जंगलों में आग  
तब मैं भी नहीं था ।

और जब हिरण  वनों में जल रहे
अपने घर में मैं देख रहा हूँ  सपने।  





बूंदों को भी क्या हासिल
एक पल का जीवन
हजार ख्वाहिशों पर
हर बार कुर्बान।
काश कोई बूंद
जी पाती
एक सदी
ठहर पाती एक पूरी उम्र


आज बस
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

  1. अद्यतन जानकारियों के साथ
    एक जबदस्त अंक
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर अंक और सभी रचनाये भी बहुत बेहतरीन हैं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. विविध जानकारियां समेटे अति उत्तम अंक
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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