मन भरता जाता है
इतना भरता है कि बहने लगता है हरा हरा
क्षेत्रीय भाषा सबको नही आती
फिर भी रहते मिलकर साथी
नहीं उठाते भाषा पर लाठी ।
एक ही धरती एक ही आह्वान
था रूदन-क्रंदन एक समान
देश हित पर बलिदान हुये थे
उत्सर्ग सबने प्राण किये थे ।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
आभार श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक, सारी रचनाये बहुत अच्छी है, आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार और धन्यवाद जी 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंसादर चरण स्पर्श। मेरी रचना को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए अनेक आभार। आपका स्नेहाशीष अनमोल है मेरे लिए। इतने वर्षों के अवकाश के बाद भी इतना स्नेह और प्रोत्साहन देख कर कृतज्ञ हूँ। प्रस्तुति अत्यंत सुंदर और प्रेरक है। हर एक रचना पढूंगी। पुनः आभार एवं प्रणाम।
बेहतरीन अंक प्रिय श्वेता
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, आपने काफी अच्छी रचनाएं चुनी हैं। आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा,साधुवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं