आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
लड़-भिड़कर, पक्ष-विपक्ष गाकर सोशल मीडिया में
मर्यादा का पाठ पढ़ाया जा रहा सोशल मीडिया में
गुटों में बँटे क़लमकार सही-गलत रटाया जा रहा
परिदृश्य में बने रहने का सबक सिखाया जा रहा
संवेदनाओं के मृत होते ही भावनाएँ भड़क उठती है
नेपथ्य में चीखकर जाने क्या जौहर दिखाया जा रहा?
पिंजरे में बन्द मैना युगों सेगाती सबसे रसीला गान कवि! उन्मुक्त उड़ान की चाह को उसकीकोई कब पाया जान कवि! समाएगी कैसे अस्फुट स्वरों में पीर स्वर्णिम कैद की! गीत में ना ढल सका जोउस निःशब्द हाहाकार की! कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे कहानी नारी के अधिकार की!
अंतर का आकाश न देखा,
दिल को रोका चट्टानों से
खिंच गयी जिन पर दुख रेखा !
एक ऊर्जा हैं अनाम सभी
क्योंकर इतना मोह नाम से,
नाम-रूप बस छायायें हैं
बिछड़ गयीं जो परम धाम से !
भले-बुरे के भेद को,पल में लें पहचान।।
पल में लें पहचान, बात सब उनकी मानो।
कड़वी लगती सीख,भले ही झूठी जानो।
कहती अभि निज बात,सीख से मिलता वैभव।
आए विपत्ति काल,काम आए तब अनुभव।।
मिलते हैं अगले अंक में।

.png)
%20(4).jpg)

.png)
सुन्दर आगाज
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक
आभार
सादर
बहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक...बधाई
जवाब देंहटाएंविचारणीय भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति, 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंआपका ब्लाग बहुत अच्छा है। मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ एक सुंदर चर्चा प्रिय श्वेता! सभी लिंक पठनीय हैं! पांच लिंक्स के बहाने अपने ब्लॉग पर हलचल से मन आहलादित है! मेरे ब्लॉग पर भ्रमण करने वाले सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन और आभार! आज के सम्मिलित सभी रचनाकारों को सप्रेम बधाई और शुभकामनायें! तुम्हें भी हार्दिक आभार और स्नेह इस सुंदर प्रस्तुति के लिए ❤️❤️
जवाब देंहटाएंकवि तुम कहाँ लिख सकोगे
जवाब देंहटाएंनारी के अधिकार को !
अत्यंत सटीक एवं सशक्त पंक्तियों से अंक का प्रारंभ, एक बेहतरीन अंक लाई हैं प्रिय श्वेता !
साथ ही सारगर्भित पंक्तियाँ -
"संवेदनाओं के मृत होते ही भावनाएँ भड़क उठती है
नेपथ्य में चीखकर जाने क्या जौहर दिखाया जा रहा?"
कवि दुष्यंत कुमार की वे पंक्तियाँ याद आ गईं -
"दोस्तो अब मंच पर सुविधा नहीं है
आजकल नेपथ्य में संभावना है !"
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई.
बहुत सुंदर अंक बधाई
जवाब देंहटाएं