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मंगलवार, 1 जुलाई 2025

4436...कवि तुम कहाँ लिख सकोगे?

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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लड़-भिड़कर, पक्ष-विपक्ष गाकर सोशल मीडिया में

मर्यादा का पाठ  पढ़ाया जा रहा सोशल मीडिया में

गुटों में बँटे क़लमकार सही-गलत रटाया जा रहा

परिदृश्य में बने रहने का सबक  सिखाया जा रहा

संवेदनाओं के मृत होते ही भावनाएँ भड़क उठती है

नेपथ्य में चीखकर जाने क्या जौहर दिखाया जा रहा?

आज की रचनाएँ


पिंजरे में बन्द मैना युगों से
गाती सबसे रसीला गान कवि! 
उन्मुक्त उड़ान की चाह को उसकी
कोई कब  पाया जान कवि! 
समाएगी कैसे अस्फुट स्वरों में 
पीर स्वर्णिम  कैद की! 
गीत में ना ढल सका जो
उस निःशब्द हाहाकार की! 
 कवि! तुम कहाँ लिख सकोगे
 कहानी नारी के अधिकार की!  







फिर 
कोई सांझ बोझिल नहीं होती। 
सुबह, दोपहर और सांझ
यही तो
जीवन है


नीलगगन सा जो असीम है 
अंतर का आकाश न देखा, 
दिल को रोका चट्टानों से 
खिंच गयी जिन पर दुख रेखा ! 

एक ऊर्जा हैं अनाम सभी
क्योंकर इतना मोह नाम से, 
नाम-रूप बस छायायें हैं 
बिछड़ गयीं जो परम धाम से !



अनुभव जिनके पास हो,वो जन गुरू समान।
भले-बुरे के भेद को,पल में लें पहचान।।
पल में लें पहचान, बात सब उनकी मानो।
कड़वी लगती सीख,भले ही झूठी जानो।
कहती अभि निज बात,सीख से मिलता वैभव।
आए विपत्ति काल,काम आए तब अनुभव।।



उस झोपड़ी में एक बुजुर्ग महिला रहती थी। उस समय वह खिचड़ी बना रही थी। शिवाजी ने उससे भोजन देने को कहा, तो उसने एक पत्तल पर खिचड़ी परोस दी। शिवाजी बहुत भूखे तो थे ही, उन्होंने पत्तल में रखी गई खिचड़ी के बीचोबीच अपनी अंगुली से खिचड़ी उठानी चाही, तो अंगुलियां जल उठीं। वह मुंह से अंगुलियों पर फूंक मारने लगे। उस महिला ने उनसे कहा कि तुम्हारी शकल तो शिवाजी से मिलती है, अक्ल भी उसकी तरह नासमझों वाली है। शिवाजी ने कहा कि मां, आप ऐसा क्यों कहती हैं। 


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आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर आगाज
    बेहतरीन अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. विचारणीय भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति, 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु आभार श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका ब्लाग बहुत अच्छा है। मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन भूमिका के साथ एक सुंदर चर्चा प्रिय श्वेता! सभी लिंक पठनीय हैं! पांच लिंक्स के बहाने अपने ब्लॉग पर हलचल से मन आहलादित है! मेरे ब्लॉग पर भ्रमण करने वाले सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन और आभार! आज के सम्मिलित सभी रचनाकारों को सप्रेम बधाई और शुभकामनायें! तुम्हें भी हार्दिक आभार और स्नेह इस सुंदर प्रस्तुति के लिए ❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
  6. कवि तुम कहाँ लिख सकोगे
    नारी के अधिकार को !
    अत्यंत सटीक एवं सशक्त पंक्तियों से अंक का प्रारंभ, एक बेहतरीन अंक लाई हैं प्रिय श्वेता !
    साथ ही सारगर्भित पंक्तियाँ -
    "संवेदनाओं के मृत होते ही भावनाएँ भड़क उठती है
    नेपथ्य में चीखकर जाने क्या जौहर दिखाया जा रहा?"
    कवि दुष्यंत कुमार की वे पंक्तियाँ याद आ गईं -
    "दोस्तो अब मंच पर सुविधा नहीं है
    आजकल नेपथ्य में संभावना है !"
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई.

    जवाब देंहटाएं

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