।। प्रातः वंदन।।
“संविधान में जूते मारने का बुनियादी अधिकार तो होना ही चाहिए। आदमी के पेट में अन्न न हो, शरीर पर कपड़े न हों, पर पाँवों में जूता ज़रूर होना चाहिए, जिससे वह जब चाहे, बुनियादी अधिकार का उपयोग कर सके।”
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।। प्रातः वंदन।।
“संविधान में जूते मारने का बुनियादी अधिकार तो होना ही चाहिए। आदमी के पेट में अन्न न हो, शरीर पर कपड़े न हों, पर पाँवों में जूता ज़रूर होना चाहिए, जिससे वह जब चाहे, बुनियादी अधिकार का उपयोग कर सके।”
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बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बहुत सुंदर और अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलीं।
जवाब देंहटाएंडा जगदीश जी के नवगीत ब्लॉग पर पहली बार जाना हुआ। उत्कृष्ट नवगीत पढ़ने को मिले । बहुत आभार आपका पम्मी जी
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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