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शनिवार, 20 मई 2023

3763... सुमित्रानंदन पंत

    हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो... 


2000 का नोट बन्द होने वाला है••• आप विचार कर लें क्या करना हैं•••

गोसैन दत्त :-  ''गोसांई में मुझे गोस्वामी तुलसीदास की झलक दिखती थी। तुलसीदास अद्भुत विद्वान थे, लेकिन उनका जीवन अभाव में बीता था। कहीं नाम में समानता के कारण मुझे भी तुलसीदास जी की तरह दिक्कतें न झेलनी पड़े, इसलिए नाम बदल लिया।

गुसाईं दत्त यानी सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी गाँव में हुआ था।

सुमित्रानंदन पंत  जी हिन्दी साहित्य के छात्रावादी युग के 4 प्रमुख स्तंभों में से एक थे, जिन्होंने प्रकृति के खूबसूरती को अपनी रचनाओं में बेहद सृजनात्मक एवं खूबसूरत तरीके से दर्शाया है।

सुमित्रानंदन पंत

 प्राकृतिक सौन्दर्य चेतना सर्वप्रथम हिम्च्चादित पर्वतमालाओं, बादलों, इंद्रधनुष, नक्षत्र और सरिताओं की सुषमा देख सजग हुई और उनका कवि ह्रदय आनंद से भाव विभोर हो उठा। यौवन के प्रथम चरण में उन्होंने किसी किशोरी के बाल जाल में अपने लोचन उलझाने की आकांक्षा की थी, फिर भी वृक्षों की छाया को छोड़ प्रेयसी के केशों में उलझना उन्हें स्वीकार नहीं हो सका -

छोड़ द्रुमों की मृदु छाया,

तोड़ प्रकृति से भी माया,

बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन?

सुमित्रानंदन पंत

नवचेतना विकसित कविता 'लोकायतन' प्रकाशित हो जाने पर सोवियत भूमिका, नेहरू पुरस्कार प्राप्त हुआ । 'लोकायतन' का प्रकाशन वर्ष 1964 का है । इसी वर्ष में हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से साहित्य वाचस्पति' की उपाधि प्राप्त की। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 10 हजार का 'विशेष पुरस्कार' प्राप्त हुआ । इ. स. 1964 में पंत को विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें डी. लिट की उपाधि से गौरव प्राप्त किया। उनकी चुनी हुई किताबों का संग्रह जिसका नाम 'चिदंबरा' है। इस किताब को 1968 में 'भारतीय ज्ञानपीठ' पुरस्कार से सम्मानित किया। वे प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार के सम्मानित रह चुके थे।

सुमित्रानंदन पंत

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पुनः भेंट होगी...
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7 टिप्‍पणियां:

  1. रु.2000/-का नोट बंद होने वाला है
    सभी आतंक वादी और जमाखोर सचेत हो जाएं,बैंक आज खुले रहेंगे, चुनावी दांव-पेंच
    सादर वंदे

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. काले धन पर नियंत्रण करने के लिए 2000/- वाले नोट छापे गए और अब काले धन पर नियंत्रण करने के लिए 2000/- के नोट बंद किए जा रहे हैं. अर्थात् चित्त भी मेरी, पट्ट भी मेरी !

      हटाएं
  2. स्मृतिशेष जी को शत शत नमन
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति ..श्रद्धेय सुमित्रानंदन पंत जी को श्रद्धा सुमन

    जवाब देंहटाएं
  4. सुमित्रानंदन पंत जी पर सुंदर प्रस्तुति...। यशोदा जी कृपया कर प्रकृति दर्शन का यह पेज फॉलो कर लीजिए...निवेदन है।

    जवाब देंहटाएं

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