नमस्कार ! देख रही हूँ कि पहले से ही रंगों की बहार है .......... होली सर चढ़ कर बोल रही है ........ सा र र र र र र ....... अब रंग चढ़ें कि भांग कुछ समझ नहीं आ रहा ....... फिलहाल तो मोबाइल चढ़ रहा ...... होली के आनंद में सबसे पहले पढ़िए मोबाईल - नामा
सेल्फी के खिचवाये में ,
चेहरा इतना सजाये,
कि दर्पणबा में खुद को देख के,
डरे चीख निकल जाये ।
होली का रंग और भंग की तरंग ......... यूँ भांग खाते नहीं फिर भी नशा तो सोच कर भी चढ़ जाता न ....... तो समझ लीजिये की होली चढ़ रही ........
बुरा न मानो होली है ........
अब मुझे तो न कोई पोस्ट नज़र आ रही और न ही कोई ब्लॉगर .......... आप यदि ठीक ठाक हैं तो खुद ही पहचान लीजिये ........ सबको होली की रंग भरी शुभकामनाएँ ........ लिखा मीठा लगे तो गुंझिया ....... तीखा लगे तो कांजी बड़ा समझ गुलाल लगा लेना ...... अबीर उड़ा देना ........ सा र र र र र .
यू ऍफ़ ओ पर सवार बेलगाम ख्यालों की उड़ान
तीर चलाया तो चलाया वरना
हाथ में पकड़ी कमान
बोलो कौन ?
कल पर है यकीन
सोच का करती हैं सृजन
दशा और दिशा बदल सकें
ऐसा करती हैं प्रयत्न
बोलो कौन ?
अतुकांत से परहेज़
छंद - छंद में है ज्ञान
नए शब्दों से परिचय
गूगल में उलझा पाठक परेशान |
ब्लॉग पर दस्तक उनकी
कर देती है क्षुधा शांत
ऊर्जा हो जाती है संचारित
टिप्पणी पा कर उनकी नितांत ।
उलझ उलझ जाती हैं
औरों की गलतियों पर
खुद ही परेशान रहती हैं
तर्क देती हैं मन भर भर ।
प्रवासी हूँ तो क्या
हिंदी रग रग में समाई है
जगह जगह की बात
संस्मरण में बताई है ।
पाँच लिंकों का आनंद
मिल जाता है सबको इनसे
ब्लॉग के ज़रिए ही
जुड़ी रहती हैं सबसे ।
जीवन की आपाधापी में
नई सोच और नया सृजन
पढ़ पढ़ कर करती रहती हैं
गूढ़ रचनाओं पर मनन ।
लोहे के घर से जो
छन कर आता है व्यंग्य
उस यात्रा में पाठक
रहता है संग संग ।
फलों से लदे ज्यों
झुके वृक्ष दीखते हैं
उसी तरह ये भी हमेशा
विनम्रता से मिलते हैं ।
हर विधा में सृजन का
पारावार नहीं
पढ़ते पढ़ते थक जाएँ
खत्म होता ये अम्बार नहीं ।
अपनी शर्तों पर जीना
प्रेम पगे रिश्ते पिरोना
दर्द को भी चन्दन बनाना
कष्ट में भी मुस्कुराना ।
तीन पंक्तियों में
सागर समाय
हर रचना मन में
उतर उतर जाय
रहस्य है कि रोमांच
जो लिखें वो सब है साँच
कभी अद्भुत हो, तो
कभी रहस्य बाँच .
प्रभु प्रेम बसा मन में
भक्तिभाव रस है
सोचने पर विवश हम
कितना सुन्दर जग है .
कर देती हैं कायल
अपनी नज़र से
सहमत होते रहिये
उनके सृजन से .
एकांत की तलाश में
जन्मजन्मान्तर की भटकन
सृजन के लिए
मन में लिए चटकन
ये मोह मोह के धागे
ये टोह टोह ले आये
सैनिकों की ज़िन्दगी के
किस्से हैं छाये |
कल्पना संग करती आँख मिचौली
मुट्ठी में सच की धूप भर ली
माना झूठ के अस्तित्व को भी
कड़वी बात सहज शब्दों में कर ली .
बोलो बोलो बोलो ........ कौन .. कौन ... कौन .....
समझ आ जाये तो वाह वाह ............ नहीं आये तब भी वाह वाह .......
यूँ तो कुछ पता नहीं क्या लिखा है ...क्या किया है ....... लेकिन आपको यदि कुछ पढना है तो बोलो कौन पर क्लिक कीजिये और पोस्ट पर पहुँच जाइए ......
जिसकी पोस्ट उसी के लिए होली का तोहफा मेरी तरफ से ........
सा र्रर्रर्रर र र र र र ................................ होली है भई होली है .........
रंगों की तरह आप सब पाठकों के जीवन में भी चमक बनी रहे ........ शुभकामनाओं के साथ
संगीता स्वरुप
गर्मी चालू
जवाब देंहटाएंसुबह देर तक सोना
आदत न बन जाए
होली पर पहेलियां बूझती प्रस्तुति
बोलो कौन ने भ्रमित कर दिया
आभार दीदी
सादर नमन
भ्रम को न पालिये
हटाएंबोलो कौन पर बस
एक ऊँगली दबाइये
और सही उत्तर पाइये ।
होली की शुभकामनाएँ ।
-बोलो कौन में मैं भी हूँ
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
-आपके श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
🙏
हटाएंहार्दिक आभार । होली की शुभकामनाएँ ।
होली की शुभकामनाएं .. बोलो मैं कौन ...
जवाब देंहटाएंएक रंग स्नेह का...
दिल से शुक्रिया । होली की शुभकामनाएँ
हटाएंआदरणीय संगीता मेम,
जवाब देंहटाएंहोली के शुभ अवसर पर "बोलो कौन " का यह बहुत ही अनूठा अंक है , मेरी रचना "मोबाइलबा सरा रा रा " इस अंक में सम्मिलित करने के लिए बहुत धन्यवाद ,
सभी आदरणीय को होली की अंकों शुभकामनाएं एवम बधाइयां ।
सादर ।
हार्दिक आभार दीपक जी ।
हटाएंहोली की शुभकामनाएँ
आ. दीदी ! सादर सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंरंगोत्सव पर्व की आपको “पाँच लिंकों का आनन्द” परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏
आज की प्रस्तुति में “बुरा न मानो होली है” की टोली मोबाइलवा सरा रा रा.. से आरम्भ हो उड़न तश्तरी पर बैठ सोच का सृजन से चिन्तनपूर्ण दृष्टिकोण ले मन के मोती से छन्द -अलंकारों का रसास्वादन कर वीणा की मधुरिम तानों से झंकृत हो आगे बढ़ी और क्षितिज की ओर उन्मुख हो गुलाल-अबीर के संग होली खेलती हुई मन के पाखी सी रंगोत्सव के उल्लास में मगन हो उठी ।
कुमायूँनी होली की परम्परा का स्मरण करती प्रवासी सखी में नेह का स्पंदन भर पाँच लिंकों का आनन्द के आँगन में सृजनात्मकता की धरोहर संजोए नई सोच के साथ उतराखंड के मधुमासी दोहों के आनन्द के साथ कहाँ गई होली में अतीत की स्मृतियों में डूबी बैचेन आत्मा को होली की शुभकामनाएँ देती हुई गिरीश पंकज के साथ होली के गीत गाती जिज्ञासा जी के रंगी धरा चहुँओर -दोहों के साथ फागोत्सव के रंगों से महमहा उठी ।
तुम हो कौन के रहस्य को स्पर्श करती होली खेलने वालों की टोली मन में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता के गूढ़ भाव को धारण किये मन पाए विश्राम जहां का भाव लिए कुछ पलों के लिए प्रकृति की विविधताओं से भरी संरचनात्मकता को देख कह उठी- मिलावट भी अच्छी है यदि पानी और शक्कर जैसी हो । औरतें के माध्यम से स्त्रियों के मन को पढ़ती होली खेलने वालों की टोली जा पिया के समरघोष के साथ संभल नहीं पाओगे के माध्यम से नारी जाति की असीम शक्ति का अनुभव करती अपने गंतव्य तक पहुँचती है ।
सभी सूत्र लाजवाब एवं बेहतरीन । होली पर्व की सब को हार्दिक शुभकामनाएँ ॥
प्रिय मीना ,
हटाएंआज " पाँच लिंकों का आनंद " के होली के रंग का जोरदार असर दिख रहा है .... गज़ब ..... गज़ब .... गज़ब प्रतिक्रिया मिली । हर पोस्ट को देख - पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया में समेटा । आपसे ज़्यादा आनंद मुझे आया ।
हृदयतल से आभार ।
होली की शुभकामनाएँ
यह तो आपकी वह जादुई छड़ी है, जो सबको यूं समेट लाती है और बुझते बुझते इतने शानदार पोस्ट देखने और पढ़ने को मिले, आपने कमाल कर दिया
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ।
हटाएंहोली की शुभकामनाएँ ।
यदि यहाँ आपके नाम भी पता होता तो आनंद ज़्यादा आता । यदि हो सके तो नाम स्पष्ट करें ।
बहुत शुक्रिया रश्मि प्रभा जी । फेसबुक से ढूंढ लायी हूँ आपका नाम ।।
हटाएंवाह!! होली के आगमन पर इतना शानदार प्रयोग, संगीता जी आपकी सृजन शक्ति और कल्पना की दाद देनी पड़ेगी, मीना जी ने सभी को पहचान लिया है, मैंने भी कितनों को बिना ब्लॉग पर गए ही पहचान लिया था, आपने सटीक विवरण जो दिया है, मन पाए विश्राम जहाँ को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार! आपको व सभी रचनाकारों और पाठकों को होली की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंप्रिय अनिता जी ,
हटाएंआपकी दाद पा कर कृतार्थ हुई । हार्दिक आभार ।।
बहुत खूब, आभार। आपका यह नवप्रयोग मुग्ध करने वाला है।
जवाब देंहटाएंआपका यह नव प्रयोग मुग्ध करने वाला है, बधाई, मुझे जोड़े रखने के लिए आभार एवं होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदेवेंद्र जी ,
हटाएंआपने तो ये प्रस्तुति भी लोहे के घर से ही पढ़ी है । कामायनी सीरीज़ पढ़ रही हूँ ।
हार्दिक आभार ।
"हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएंकहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और"
वैसे ही दी आपका भी "अंदाज़-ए-बयाँ और" है। होली के मौके पर इस "पहेली बूझो" खेल का आंनद ही आगया। वैसे ईमानदारी से कहूँ तो कुछ रचनाकारों को मैं नहीं पहचान पाई। मीना जी की टिपण्णी ने तो इस पहली को और भी मजेदार बना दिया उसी से अंदाजा लगा थोड़ी चिटिंग कर ली मैंने।
वैसे भी होली में रंग लगाने के लिए भी थोड़ी लुक्का-छिपी तो करनी ही होती है। क्यूँ है न ?
आप सभी ब्लॉगर साथियों को होली की ढेर सारी शुभकामनायें,परमात्मा करें ये प्रेम का रंग कभी फीका ना हो।
इस रंग महोत्स्व में मुझे भी शामिल करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आपको
प्रिय कामिनी
हटाएंबहुत लोगों से तो मिली भी नहीं हूँ , बस उनके लेखन से जो परिचय मिला है उसी आधार पर वर्णन करने की कोशिश की है । सराहना के लिए बहुत शुक्रिया ।
वाह,! आज की प्रस्तुति में फगुआहट की फुहार! 🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंविश्वमोहन जी ,
हटाएंफागुन आ जाये , और उसकी आहट न हो ,ऐसा कैसे हो सकता है ?
हृदयतल से आभार
वाह क्या हलचल परोसी है होली पर. आनंद आ गया. आपने हिन्दी ब्लोगिंग के अहसास को जीवित रखा हुआ है. पुराने ब्लोगिंग वाले दिन याद आ गए. आपकी मेहनत को सलाम .
जवाब देंहटाएंप्रिय शिखा ,
हटाएंहोली पर कुछ विशेष तो परोसना था न । बस पसंद आ गया तो हलचल सफल । बहुत शुक्रिया ।
अद्भुत रचनात्मक प्रयोग आदरणीय संगीता जी होली यूं सादी सीधी कैसे होली की तर्ज पर पहेली के रूप में प्रबुद्ध साथियों को खींच लाई, कुछ को बूझ लिया कुछ को धीरे से खोल कर पढ़कर बूझा पर सभी को बूझ आई हूँ । सभी रचनाएं एक से एक और उस पर आपकी चार पंक्तियां सटीक सा विश्लेषण रचनाकारों का चित्रण !!
जवाब देंहटाएंसब कुछ अभिनव आनंदित करता सा ।
सभी स्नेहिल रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई, सभी को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
मेरी रचना को इस इंद्रधनुषी प्रस्तुति में शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
होली पर्व पर स्नेहिल शुभकामनाएं 🌷🌷
अद्भुत रचनात्मक प्रयोग आदरणीय संगीता जी होली यूं सादी सीधी कैसे होली की तर्ज पर पहेली के रूप में प्रबुद्ध साथियों को खींच लाई, कुछ को बूझ लिया कुछ को धीरे से खोल कर पढ़कर बूझा पर सभी को बूझ आई हूँ । सभी रचनाएं एक से एक और उस पर आपकी चार पंक्तियां सटीक सा विश्लेषण रचनाकारों का चित्रण !!
जवाब देंहटाएंसब कुछ अभिनव आनंदित करता सा ।
सभी स्नेहिल रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई, सभी को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
मेरी रचना को इस इंद्रधनुषी प्रस्तुति में शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
होली पर्व पर स्नेहिल शुभकामनाएं 🌷🌷
प्रिय कुसुम जी ,
हटाएंबस इसी आनंद में आनंद है । पसंद करने के लिए हार्दिक आभार ।
वाह - बहुत सही बोलो कौन 😊 होली शुभ
जवाब देंहटाएंसमीर जी ,
हटाएंये यू एफ ओ वाले एक ही शब्द में सब कुछ कह जाते हैं ।
हार्दिक आभार
आदरणीय दीदी,
जवाब देंहटाएंहोली पर आपकी श्रमसाध्य सुंदर, आकर्षक प्रस्तुति, एक संग्रहणीय अंक है...ब्लॉग के प्रति आपकी निष्ठा से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.. दोहों को अंक में स्थान देनें के लिए आपका बहुत आभार और अभिनंदन!
सुंदर, रोचक और पठनीय विशेषांक के आकर्षण...
दीपक कुमार भानरे जी.. मोबाइलबा सरारारा.. होली पर रोचक, मजेदार , सार्थक प्रस्तुति!
समीर लाल जी कविता.. बस कोई कविता मुझे कह जाती है.. मन के भावों का सटीक उद्बोधन!
विभारानी श्रीवस्ताव दीदी.. मेरा नशा.. एक रचनाकार के मन के बहुत ही सरस, सुंदर भाव!
कुसुम कोठारी जी... भावों के मोती.. प्रतीकों और बिम्बों से सज्जित मन का सृजन... अतीव सुंदर लिखा है..
सखी रेणुबाला जी... किसने रंग दीना डाल सखी ?..जहां प्रेमरंग वहां जीवन.. मन में उतरता उत्कृष्ट गीत!
सखी श्वेता सिन्हा.. होली के रंग... फागुन के विभिन्न आयामों और रंगों से सजी खूबसूरत अभिव्यक्ति!
शिखा वार्ष्णेय जी... कुमायूंनी होली.. होली की सुंदर यादों की अनुभूति!
यशोदा अग्रवाल दीदी... महक उठी थी केसर..सुकोमल भावनाओं के उड़ते मधुरस जैसे गुबार!
सखी सुधा देवरानी... उत्तराखंड में मधुमास फागुन के सुंदर आयामों से सजे सुंदर रंगबिरंगे और सारगर्भित दोहे!
देवेन्द्र पांडे जी... कहां गई होली .. यादों के झुरमुट से झांकती होली का सजीव चित्रण!
आदरणीय गिरीश पंकज जी.. इसको होली में लाल करें .. होली पर सार्थक सारगर्भित संदेश देती अभिव्यक्ति।
सुन्दर विश्लेषण!
उषा किरण दीदी.. तुम कौन? .. जीवन संदर्भ का सटीक विश्लेषण!
आदरणीय मीना भारद्वाज... त्रिवेणी.. जीवन का गहन सौंदर्यबोध प्रस्तुत करती उत्तम कृति!
अमृता तन्मय.. कोई फर्क नहीं पड़ता.. गहन गूढ़ अर्थ लिए सुंदर कविता!
अनीता निहलानी दीदी.. बादलों के पर..जीवन मधुरास से मिठास घोलती सुंदर अनुपम रचना!
कामिनी सिंह जी.. मिलावट अच्छी है.. महत्वपूर्ण, विषय पर ज़रूरी और सार्थक आलेख!
विश्वमोहन जी.. जा पिया.. राष्ट्र के प्रति समर्पण का उद्घोष करती वीरनारी के मन की ओजपूर्ण भावाभिव्यक्ति!
अनीता जी.. औरतें... नारी जीवन पर सार्थक अभिव्यक्ति!
रश्मि प्रभा दीदी.. संभल नहीं पाओगे.. महिला दिवस पर स्त्री जीवन पर सटीक और सारगर्भित चिंतन!
आपकी रचना रचना के बिना ये संकलन कैसे पूरा होता? आपकी रचना "खिलखिलाता बसंत" बसंती रंग के साथ साथ मन के बसंत पर सुंदर संदेश दे गई!
हमारे सभी ब्लॉगर मित्रों के जीवन में होली और बसंत की रंगमय उपस्थिति हमेशा बनी रहे... आप सभी को सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐💐👏👏👏🎊🎊🎉🎉🖍️🖍️🖍️
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंहर पोस्ट को पढ़ना और उस पर समीक्षात्मक टिप्पणी करना तुम्हारी विशेषता है । सार्थक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार । यूँ ही होली - बसन्त सबको सुमधुर रखे ।
प्रिय दी,
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक प्रस्तुति पर आनंदित और अचंभित हैं। फिलहाल पूरी रचनाएँ तो नहीं पढ़े पर पहेलियों की मीठी चाशनी पीकर मुग्ध हैं।
आपने त्योहार पर हमसबको इतना प्यारा उपहार दिया हृदय से आभार दी।
विशेष आपके लिए-
गुझिया जैसी मीठी
मालपुए सी रसदार
दही बड़ों में डुबा-डुबा के
स्वाद परोसती मजेदार
बोलो कौन?
स्नेह सागर उर लाल-गुलाबी
धानी पीत शब्द पिचकारी
नील नारंगी इत्र उड़ेलकर
करती उत्सवों की फुलकारी
बोलो कौन?
महफिल में खुशबू बिखरे
जिसके आने की आहट से
जल उठे बुझते चराग़ भी
जिसकी मासूम चहचहाहट से
बोलो कौन?
एक डोर में बाँधती नेह से
अलग-अलग रत्नों को
नमन करता मन बारंबार
जिनके सकारात्मक प्रयत्नों को
बोलो कौन?
बोलो बोलो कौन?
इन सारी पहेलियों का एक जवाब
हमारी प्यारी संगीता दी
महफ़िल में छाया है देखो
आपका सिर्फ़ आपका रूआब़...।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दी
यूँ ही स्नेह और खुशियों के रंग बिखेरती रहिये
सप्रेम प्रणाम।
सादर।
वाह वाह प्रिय श्वेता!!! सोने पे सुहागा 👌👌👌👌🙂
हटाएंवाह!
हटाएंआदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर रचना, सदा की तरह। अपनी इस रचना में हम सब जे मन के भाव कह दिए आपने। सादर प्रणाम।
हटाएंप्रिय श्वेता ,
हटाएंचाशनी ज़्यादा नहीं पी ली तुमने ?
इतनी मीठी बातें तो अपने लिए कभी न सुनी न पढ़ीं।😆😆😆
यूँ भी बदनाम हैं ... कॉलेज के ज़माने में हिटलर कहा जाता था ।
बहुत बड़ी वाली गलतफहमी हो रही सबको , ऐसा लग रहा है ।
खैर ... एक बात कहेंगे कि जो भी लिखा है पढ़ कर भावुक हो गयी हूँ । आँखें नम भी हो गयी हैं । सबके विचार पढ़ कर और भी ज्यादा भावुक हूँ ।
बहुत सारा स्नेह ।
@रेणु
हटाएं@ विश्वमोहन जी
@ अनंता
हार्दिक आभार
वाह!!!
हटाएंसबके मन की लिख दी प्रिय श्वेता ने..
सच में सोने पे सुहागा
सटीक मूल्यांकन👌👌👌
वाह!!!
हटाएंसबके मन की लिख दी प्रिय श्वेता ने..
सच में सोने पे सुहागा
सटीक मूल्यांकन👌👌👌
बहुत शुक्रिया सुधा ।
हटाएंवाह श्वेता जी आपने तो हम सबके भावों को ही जैसे माला सा पिरो दिया…बहुत सुन्दर 👏👏👏👏😊
हटाएं👌👌👌😄क्या बात है प्रिय दीदी! भीतर रोमांच जगाता अविस्मरणीय अंक जिसकी सराहना के लिएशब्द नहीं।एक जादू की पुडिया सी प्रस्तुत,जिसका हिस्सा मैं भी हूँ ये मेरे लिए गर्व की बात है।मेरी टिप्पणी को आज भी नहीं भूले आप 😄😄।आज के अंक में शामिल पिछ्ले साल की मेरी इस रचना को ज्यादा किसी ने नही पढ़ा।अच्छा लगा इसे फिर से सुधि पाठक मिले।यशोदा दीदी की प्रेमिल भाव की रचना मुझे हैरान कर खुशी से भर गयी।पहले खूब लिखती थी अब लिखना बंद कर दिया।आशा है कि जल्द ही वे नया कुछ लिखेंगी। आज की होली के विभिन्न रंगों से सजी रचनाएँ मन को आनंदित कर गई।कई रचनाओं पर अभी प्रतिक्रिया नहीं हो पाई पर धीरे धीरे सब पर लिख रही हूँ वैसे पढ़ तो सुबह ही ली थी।मेरे जड़ ब्लॉग पर आज जोरदार दस्तक हुई है पाठकों की।बहुत आभारी हूँ आपकी।आजके सम्मिलित सभी रचनाकारों को सादर नमन।मेरे समस्त ब्लॉग परिवार को होली।सभी के लिए सपरिवार होली मंगलमय हो शुभता भरी हो।आपको भी ढेरों शुभकामनाएं और आभार।उत्तम स्वास्थ्य के साथ मंच पर यूँ ही अपनी नयी प्रस्तुतियों से हम सभी को अचंभित करती रहें यही दुआ है।🎍🎍🎁🎁🎉🎉🎊🎊♥️♥️🌹🎈🎈🎈🎈🎈🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु ,
हटाएंतुम्हारी टिप्पणियाँ भूलने की चीज़ नहीं । मेरे थोड़े से प्रयास से ब्लॉग जगत की थोड़ी जड़ता कम होती है तो मुझे खुशी होती है । प्रस्तुति की सराहना हेतु दिल से शुक्रिया ।
आदरणीया मैम, सादर चरण स्पर्श। आपकी यह आश्चर्यचकित करती, स्नेहभरी, रंगोत्सव का आनंद जगाती, स्वर्णिम और अविस्मरणीय(और संसार में जितनी प्रशंसा हो सकती है, उतनी सुंदर और सुखद ) प्रस्तुति के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं। सच तो यह है कि होली के शुभ अवसर पर आपकी प्रस्तुति से सुंदर और आनन्दकर और कुछ नहीं हो सकता। आपकी यह हलचल सच मुच रंगों की बालटी की तरह है जो सर पर पड़ते ही मज़ा आ जाता है और थकान उतर जाती है। आपकी इस हलचल की प्रशंसा में मैं लिखती जी रह सकती हूँ परन्तु जो भी लिखूँगी वह पर्याप्त नहीं होगा। आज आपकी प्रस्तुति से ब्लॉग में जो स्नेह और शुभता का माहौल है ब्लॉग पर , वह देख कर मन खुशी और उल्लास से भर गया।आप हम सब की प्रेरणा स्रोत हैं। जैसे घर की गृहलक्ष्मी होती है वैसे अप्प हमारी '' ब्लॉग-लक्ष्मी'' हैं। मेरी ओर से आपके सम्मान में यह चार पंक्तियाँ स्वीकार करें:-
जवाब देंहटाएंनिज अनुभूतियों के गीत गुनगुनातीं,
हल-चल से अपनी उल्लास जगातीं।
रहती हर सोमवार आपकी प्रतीक्षा,
स्नेह-सकारात्मकता की मिलती शिक्षा।
अपनी प्रस्तुतियाँ जब से हैं लायीं,
ब्लॉग पर शुभता-ही-शुभता है छाई।
आप सबों को पुनः सादर प्रणाम और होली की बहुत सारी शुभ-कामनाएँ।
प्रिय अनंता ,
हटाएंतुम बीच में अपनी प्राथमिकताओं की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ पा रहीं थीं । लेकिन अब आयी हो तो बड़ी धूम धाम से ब्लॉग घूम रही हो । अच्छा लग रहा है । तुम्हारे डायरी ब्लॉग पर जाना नहीं हुआ । आऊँगी । इतने सारे प्रेम को कैसे सहेज पाउँगी ।
इतनी प्यारी प्यारी बातों के लिए दिल से शुक्रिया ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम, अब आपके बूझो तो जाने खेल में में इन सबको पहचान सकी। बताइये कितने अंक मिले?
जवाब देंहटाएं1.आ. यशोदा मैम (पांच लिंक आनंद की मेरुदण्ड)
2.आ. रेणु मैम (टिप्पणी द्वारा मिलती ऊर्जा पंक्ति ने तुरंत पहचान बता दी, इनकी स्नेहिल टिप्पणीयों से इन्हें कौन नहीं पहचानेगा)
3.आ.श्वेता मैम (जिनके हाथों कितने नए ब्लॉग का शुभ उद्घाटन हुआ है, मेरे ब्लॉग काव्यतरंगिनी पर भी सब से पहला आशीष इनका था)
4. आ. अनीता मैम(जिनके ब्लॉग पर जाने से मन में सचमुच विश्राम मिलता है)
5. आ. विश्वमोहन सर जी।(जिनकी रचनाएँ वोविध और आध्यात्मिक भाव समेटी रहतीं हैं औऱ भारतीय त्योहारों और पुराणों पर आधारित होती हैं)
6.आ. सुधा मैम (नई सोच पर सदैव सुंदर और प्रगतिशील रचना पढ़ने को मिली है)
7.आ. विभा मैम (सोंच का करती सृजन वाक्य ने पहचान बताई, हर शनिवार विविध प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा रहती है)
8.आ. कामिनी मैम (इनकी नज़र से ही बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक लेखों का सरीन हो जाता है)
अन्य सभी को पहचानने के लिए लिंक पर जाना पड़ा, इतने वरिष्ठ रचनाकारों को जान कर आनंदित हूँ।सभी को पुनः प्रणाम।
100 में से 200 नम्बर हैं । 😄😄😄
हटाएंअहा! बोलो कौन ने कितना कुछ बता दिया। अद्भुत प्रयोग ... शानदार पोस्ट। होली की हार्दिक शुभकामनाएं दी
जवाब देंहटाएंप्रिय संध्या ,
हटाएंतुम्हारा यहाँ आना ऊर्जावान बना गया । हार्दिक धन्यवाद ।
होली का ये अनमोल तोहफा पाकर गदगद हैं आज तो....सोच रही हूँ कि मैं तो रचनाएं पढ़कर ही मनन करती रह जाती हूँ लम्बे समय तक, और आप हैं कि रचनाकारों को ही पढ़ लिए....अद्भुत !
जवाब देंहटाएंरंगों की धूम में ये नया रंग ! वह भी इस तरह आश्चर्यचकित करने वाला ! वाकई सबको एक सूत्र में बाँधना, सो रही प्रतिभा को जगाना। नयेपन से पूरे माहौल को ऊर्जान्वित करना कोई आपसे सीखे।
सादर नमन एवं साधुवाद🙏🙏🙏🙏
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपको एवं सभी ब्लॉगर साथियों को ।
प्रिय सुधा ,
हटाएंतुम्हारी प्रतिक्रिया का इंतज़ार था , सोच रही थी कि ज्यादा लिंक हैं मनन करने में वक़्त तो लगता है 😄😄😄😄
प्रस्तुति की सराहना हेतु हार्दिक आभार ।
ब्लॉग की पुरानी दुनिया नई ताजा सी हुई इस बार..।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
बहुत शुक्रिया ।
हटाएंहोली का हुड़दंग, उल्लास, व्यस्तता व रौनकें अब जब थमीं तब आज इत्मिनान से एक- एक लिंक पर जाकर रचनाओं को पढ़ा…आनन्द आ गया और आपकी लाजवाब नवीन नशीले अंदाज की प्रस्तुति ने तो वाकई रंग जमा दिया😊
जवाब देंहटाएंबूझो कौन पर मन तुरन्त बूझने को आतुर हो उठता था।
मोबाइलवा सरा रा रा से लेकर संभल नहीं पाओगे तक की सभी रचना विभिन्न रंगों व भावों से रंगी अद्भुत…!
चयन व प्रस्तुति बहुत बढ़िया! आपका परिश्रम हमेशा की तरह लाजवाब 👌👌
मैंने सभी लिंक को पढ़ कर प्रतिक्रिया देने की कोशिश की हैं परन्तु कुछ पर संभव नहीं हो सका जैसे रश्मिप्रभा जी, शिखा वार्षणेय,
कुसुम कोठारी प्रज्ञा…की रचनाओं पर चाह कर भी संभव नहीं हो सका। मेरी रचना का चयन करने का हृदय से आभार।
इसी तरह सुन्दर- सुन्दर रचनाओं से हमारा परिचय करवाती रहिए, हम देर- सबेर पढ़ते रहेंगे। सभी रचनाकारों को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏😊