शीर्षक पंक्ति: आदरणीय संदीप कुमार शर्मा जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
गीत फाग के
गाते हैं चंग बजा
थिरकते हैं
ग़ज़ल | सोचा ना था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
तनहाई पे नॉवेल लिक्खा, हिज़्र पे भी दीवान लिखा
जफ़ा* डायरी लिखवाएगी, ये तो हमने सोचा ना था
इश्क़ ए मंज़िल का पता रूह को भी मालूम नहीं,
सफ़र में मुसलसल लोग मिले और बिछुड़ते रहे,
गांव को
लील गई
महानगर की चकाचौंध
और
महानगर भीड़ के वजन से
बैठ गए
उकड़ूँ
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंसाभार
सादर
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
उम्दा अंक. साभार
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
जवाब देंहटाएंयह एक महत्वपूर्ण मंच है... यहां रचना का प्रकाशन मान बढ़ाने वाला है..। आभार रवींद्र जी...।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति। विविध सन्देश परक और आनन्दकर रचनाओं से भरपूर प्रस्तुति पढ़ कर बहुत आनंद आया। आज बड़े दिनों बाद आपकी प्रस्तुति पढ़ने का सौभाग्य मिला। हार्दिक आभार एवं आप सबों को सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
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