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शनिवार, 4 मार्च 2023

3687••• फणीश्वर नाथ रेणु



हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

फणीश्वर नाथ रेणु (4 मार्च 1921 - 11 अप्रैल 1977) को ख्याति हिंदी साहित्य में अपने उपन्यास मैला आँचल से मिली है। इस उपन्यास के प्रकाशन ने उन्हें रातो-रात हिंदी के एक बड़े कथाकार के रूप में प्रसिद्ध कर दिया। कुछ आलोचकों ने इसे गोदान के बाद इसे हिंदी का दूसरा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास घोषित करने में भी देर नहीं की। फणीश्वर नाथ रेणु हिंदी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद के बाद के लेखक हैं। कोशी की विनाश लीला पर लिखित रेणु के तीन प्रमुख रिपोर्ताज डायन कोशी, हड्डियों का पुल और पुरानी कहानी नया पाठ उपलब्ध है।फणीश्वर नाथ रेणु आंचलिक उपन्यास ('क्षेत्रीय कहानी') की शैली के माध्यम से समकालीन ग्रामीण भारत की आवाज को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छी तरह से जाने जाते हैं। उनकी लघु कहानी "मारे गए गुलफाम" को 1966 में बसु भट्टाचार्य (कवि-गीतकार शैलेंद्र द्वारा निर्मित) द्वारा (तीसरी कसम), में रूपांतरित किया गया था , जिसके लिए उन्होंने संवाद भी लिखे थे। फणीश्वर नाथ रेणु की लघु कहानी "पंचलाइट" (पेट्रोमैक्स) पर एक टीवी लघु फिल्म बनाई गई। 2017 में आई बॉलीवुड फिल्म पंचलैट भी इसी लघुकथा पर आधारित है।आंचलिकता के जादूगर फणीश्वर नाथ रेणु का अपने गांव औराही हिंगना से बेहद लगाव था।  

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पुनः भेंट होगी...
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5 टिप्‍पणियां:

  1. जी दी,
    सुप्रभात।
    फणीश्वरनाथ रेणु की कविताएं हमको पहली बार पढ़वाने के लिए बहुत बहुत आभार आपको।
    सहज,सरल भाषा में लिखी गहन और सुंदर अभिव्यक्ति से युक्त अनमोल कविताओं ने मन मोह लिया।
    बहुत बहुत शुक्रिया दी। एक प्यारा स संकलन ।
    प्रणाम दी
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाओं का मंचन हुआ ये तो ज्ञात था पर फिल्मांकन हुआ ये ज्ञात नहीं था
    आभार दीदी
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया मैम, सादर प्रणाम । श्री फणीश्वर नाथ रेणुजी की जयंती पर उन्हें समर्पित बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । उनके बारे इतनी सारी रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ कर मन आनंदित हुआ । रेणु जी की सभी कविताओं को पढ़ कर अच्छा लगा, विशेष कर "तुम मुझे मिल गए" । अब प्रयास करती हूँ उनकी कोई उपन्यास मँगा कर पढ़ूँ , परीक्षा के परिणाम आने पर माँ से यही उपहार मांगूँगी । आप सबों को पुनः प्रणाम ।

    जवाब देंहटाएं
  4. माटी के लाल फनीश्वरनाथ रेणु जी की कविताएँ पढकर बहुत आश्चर्य हो रहा है।खेद है कि मैने उनका पद्य नहीं पढ़ा शायद।पढा भी हो तो अब याद नहीं आता। बहुत- बहुत आभार और शुक्रिया प्रिय दीदी सार्थक लिंको तक पहुँचाने के लिए।निश्चित रूप से सभी कविताएँ जीवन के विभिन्न पक्षों को सरलता से उद्घाटित करती है।रेणु जी ने माटी को ही नाम के रूप में धारण किया।उनकी जन्म दिवस पर उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏

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