सादर अभिवादन।
आज रामनवमी है।
भारत में राम जी का जन्मोत्सव अगाध श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारतीय जीवन शैली में राम रचे-बसे हैं। धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में राममय अनुगूँज सामाजिक चेतना में समाई हुई है। राम जी के आदर्श व्यावहारिक जीवन में सहज स्वीकार्य नहीं हैं बल्कि उन्हें आत्मसात करना मानव को सामाजिक मूल्यों के उच्च शिखर पर स्थापित होना है। मर्यादा की सर्वोत्कृष्ट परिभाषा स्थापित करते हुए प्रजा के कष्ट निवारण को सर्वोपरि रखना उनके दर्शन का मूल सिद्धांत है।
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ-
चैत महीना शुक्ल पक्ष,
जब जन्मे अवध बिहारी।
मध्यान्ह समय तिथि नवमी,
जब जन्मे अवध बिहारी।।
पहुँचते गए फिर भी वहीं
किसी ने रोका नहीं
नही यह पूछा
यहाँ किस लिये आए किससे मिलने।
ऋतुचक्र उतार लेता है
ऊंचे दरख़्तों के
हरित पोशाक,
झुर्रियों के
उभरते
ही,
चेहरे से रूठ जाता है
मधुमास,
हवा में तैरते पंछी खेत में झूमती फसलें,
कि हर घर में नई सौगात ये नव वर्ष लाया है।
किसी के घर गुड़ी पड़वा, कहीं नवरात्रि का गरबा,
मगन हो झूमकर धरती ने मधुमय गीत गाया है॥
"इनका पति वानप्रस्थ और संन्यास में गुम है। दो पुत्र है, बड़ा विदेश बस गया तो छोटा दूर देश में ही छुप गया है।" परिचित ने कहा।
"दुष्यन्त-शकुन्तला सी किस्मत कम लोगों को मिलती है यानी इनकी गृहणी और मातृत्व में असफल होने की कहानी है।" अपरिचित ने कहा।
रामनवमी की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंचैत महीना शुक्ल पक्ष,
जब जन्मे अवध बिहारी।
मध्यान्ह समय तिथि नवमी,
जब जन्मे अवध बिहारी।।
बहुत ही सुन्दर अंक
आभार
सादर
आभार आप का।
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