सादर अभिवादन
दही लूट
माखन चोरी के
उत्सवों की शुरुआत
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कहाँ संकोच से
नज़रें मिलाना
मुस्कुराना है,
कहाँ अब
रूठने वाला कोई
किसको मनाना है,
यही मन्दिर था
जिसमें प्यार के
भी दिए जलते थे.
नहीं बताया,
तो बस इतना
कि बिग बाज़ार से,
शॉपर्स स्टॉप से
या पैंटालूंस से,
कहाँ से ख़रीदी
तुमने यह मुस्कराहट?
जो भी हो रहा था
सब कुछ नज़र आ रहा था
जाने क्यों सपना हकीकत
नज़र आ रहा था
मृत्यु ,
मरना सिर्फ इस लोक के लिए है
वहां तो ये एक दरवाज़ा है
जहाँ से निकले
तो फिर मैं न मैं रहूं
और
मैं भी न जानू मैं कौन हूँ ?
आ जाओ अब तो ओ कान्हा,
असुरों का संहार करो तुम।
नकली गौ - भक्तों को देखो,
गायों का उद्धार करो तुम।
गाय बचे तो देश बचेगा,
कहती है यह तुझसे मैया।
कुछ नया करके दिखाना चाहता है आदमी
मारकर खुद को जिलाना चाहता है आदमी
अपनी दीवारों को ऊंचा और करने के लिए
दूसरों के घर गिराना चाहता है आदमी
सौंप कर सत्ता समूची हाथ में अंधियार के
रोशनी के पर जलाना चाहता है आदमी
भाषणों की रोटियों को फेंक कर माहौल में
आग पानी में लगाना चाहता है आदमी
"आप हायर क्लास वेटिंग रूम में रुके हैं?" मैंने कहा," जी हां।" उन्होंने कहा,"सुरक्षित नहीं है, साहब। चोर-उचक्के रातभर घूमते हैं। वेटिंग रूम को भीतर से बंद करने की इजाजत नहीं है।" "मैं उनकी तलाश में रहता हूं।"मैंने कहा। "वे समूह में आते हैं , छुरा -चाकू रखते हैं।" "मैं भी हथियार बंद हूं।"
आप हथियार लेकर रुके हैं?" "जी।" उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। कहा,"आप क्या करते हैं?" "सी.बी.आइ.में अफसरी।" साहब - साहब कहकर वह घिघियाने लगा, "पहले बताए होते।" "आपने मौकाही बाद में दिया।"
वह उठ खड़ा हुआ। "मैं आप के दफ्तर फोन कर गाड़ी मंगा देता हूं या सवारी कर देता हूं।" " नहीं मैं चुपचाप बिना बताए ही वहां जाना चाहता हूं कल दफ्तर के समय
आज मकान मालिक के घर में पूजा थी, ठीक पिछले साल की तरह । किरायेदार मालती को लगा कि चाची कल कहना भूल गई होंगी. आज ही बुला लेंगी। दरवाजे पर खड़ी आने जाने वाली औरतों के पैर छूने में मशगूल थी... छोटी जो थी सबसे। कॉलोनी की सभी औरतें पहचानती जो थीं मालती को और प्यार भी बहुत करती थीं। सभी औरतें तकरीबन अन्दर आ चुकी थी; पर मालती को किसी ने अन्दर आने को नहीं कहा। मालती समझ नहीं पाई कि क्या बात है? तभी उसके कानों में पूजा के शुरू होने के स्वर गूंजे। वो मन में हजारों सवाल लिए अपने कमरे में चली गई, जाने कैसे दिल पर लगी थी कि अगले दिन भी मालती बाहर नहीं निकली
आज बस
सादर
सुंदर प्रस्तुति.आभार
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय संकलन ।
जवाब देंहटाएंअभी अंतिम 2 लिंक्स नहीं पढ़ पसई हूँ । सराहनीय अंक है ।।बाद में पढूँगी । 😊😊
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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