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सोमवार, 29 अगस्त 2022

3500 / एब-इनीशियो ..... नयी शुरुआत .....

 

नमस्कार !!  अगस्त माह  अनेक  त्योहारों का माह रहा है ........ जाते जाते भी गणेश चतुर्थी का त्यौहार मना कर जायेगा .......  आपको तो पता ही है कि गणेश जी को मोदक अतिप्रिय थे ..... अब गणेश जी भी नए ज़माने के हैं तो उनको भी शायद चॉकलेट  फ्लेवर पसंद आये तो पेश है एक नए तरीके के मोदक ...... 
दोस्तों, आज हम बनायेंगे बिना गैस जलाये बिना मावा बिना मिल्क पाउडर बिना चीनी बिना चाशनी बिल्कुल मार्केट जैसे मोदक...ओरियो बिस्कुट से...। जो दिखने में बहुत ही सुंदर है और खाने में लाजवाब है! जब तक आप किसी को बताएंगे नहीं कि........
बाकी की प्रक्रिया ब्लॉग पर जा कर पढ़ें .........   ब्लॉग  पर जाने के लिए  चित्र  पर क्लिक करें ....  अभी हम स्वतंत्रता दिवस  मना कर चुके हैं ........  वैसे हमने तो यही पढ़ा था कि ........ दे दी हमें आज़ादी , बिना खडक बिना ढाल ...... पर हमारे क्रांतिवीर आज़ादी के दीवानों ने क्या क्या सहा  थोड़ा  हम  भी सब जाने ..... 

माउजर, जिसने अंत तक चंद्रशेखर आजाद का साथ दिया

ऐसे में आजादी के लिए दिल-ओ-जान से समर्पित क्रान्तिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत और उनके गुर्गों से जूझने के लिए अनेकानेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था ! उसी में एक थी हथियारों की जरुरत ! हथियार भी ऐसा जो शक्तिशाली भी हो और छुपाया भी जा सके ! काफी सोच-विचार के बाद जर्मनी में बनी माउजर पिस्तौल माफिक पाई गई |
आज़ादी तो मिल गयी लेकिन आज के नेता कैसे इस आज़ादी का दुरुपयोग करते हैं ये जागरूक जनता तो जानती ही है ...... तभी न  कहा गया है कि ....

राजनीति की लाइफलाइन है पाखंड

आज के वक्त में सबसे ज्यादा काम पाखंड के दम पर ही होते हैं।  बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना किया जा सकता है और पर्दा उठने तक आप हर लिहाज से सुरक्षित हैं। सच्चाई सामने आ भी जाए तो नया पाखंड रच सकते हैं। सब कुछ सही तरीके से किया जाए तो आपका बाल भी बांका न होगा |
 अब पाखंड की बात चली है तो पाखण्ड तो सबसे ज्यादा धर्म कर्म में दिखाई देता है .........  यूँ मैं धर्म के विरोध में नहीं हूँ लेकिन   कुछ पंडित  ज्यादा ही पाखंड करते नज़र आते हैं ..... आप भी पढ़िए ऐसा ही एक संस्मरण .....

मैसूर सिल्क का रामनामी दोशाला


धन-धान्य से परिपूर्ण पंडित जी के घर में उनकी चौबाइन ख़ुद को और अपने बच्चों को, रूखा-सूखा खिलाने कोऔर उल्टा-सीधा पहनाने को, मजबूर हुआ करती थीं क्यों कि उनके पतिदेव कस्टेम्परों से दान में मिले  दान में मिले कपड़े, मिठाइयाँ फल,दक्षिणा में मिले कपड़े, मिठाइयाँ, फल, मेवे आदि को घटी दरों पर कीर्ति नगर की विभिन्न दुकानों पर बेच कर, खाली हाथ लेकिन भरी जेब, ले कर ही घर में प्रवेश करते थे.


 और इससे भी अधिक पाखंड आप जानेगें इस  कहानी को पढ़ कर ......... विचार कीजिये कि ऐसे अवसर पर क्या किया जाना चाहिए ..... 

पगड़ी

घर में मेहमानों की आवाजाही बढ़ गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा बन रही है कौन जाएगा कैसे जाएगा क्या करना है कैसे करना है जैसी चर्चाएं जोरों पर हैं । चाचा ससुर उनके बेटे देवर दोनों बेटे दामाद सभी समूह में बैठकर जोरदार तरीके से शानदार कार्यक्रम की योजना बनाते और फिर एक एक से अकेले अलग-अलग खर्च पानी की चिंता में दूसरे के दिये सुझाव की खिल्ली उड़ा कर उसे खारिज करते। समूह में दमदारी से सब करेंगे अच्छे से करेंगे के दावे खुद की जेब में हाथ डालने के नाम पर फुस्स हो जाते । 
यही सब पढ़ कर लगता है कि  सच ही  संवेदनाएँ  ख़त्म हो रही हैं .... पिछले दिनों एक  चर्चाकार  ने लिखा  था  कि संवेदनशील व्यक्ति  शब्दों के माध्यम से    सृजन  करता है ......... और शायद इसी लिए ये पोस्ट आई भी है ..... 
इन ख़बरों को विस्तार से पढ़ा तो ढंग से नाश्ता भी नहीं कर सका और कुछ देर के लिए शांत मुद्रा में बैठ गया। निश्चित तौर पर आप में से भी कई साथियों ने ये समाचार पढ़े होंगे और मेरी ही तरह व्यथित भी हुए होंगे।
यों तो दयालुता, निर्दयता और कठोरता आदि मानव स्वभाव के अंग कहे जा सकते हैं परंतु कोई इस हद तक संवेदनहीन हो जाएगा और वह भी एक स्त्री ...

वैसे ज़रूरी नहीं कि ये संवेदनहीनता की ही बात हो .....ये भी हो सकता है कि ऐसा व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा हो और उसे इन सब कृत्य  का होश ही ना हो ...... इसी विषय पर इस लेख पर नज़र डालिए ..... 

सीजोफ्रेनिया


 उनकीशादी और दो बेटियों के होने के बाद खबर सुनी कि उन पर कोई ऊपरी साया है अतउनको मायके भेज दिया गया। ससुराल में भी झाड़फूँक करवाई गईमायके में भी।लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

चलिए बीमारी हुई तो अलग बात लेकिन अपने स्वार्थ में जब अपने ही माता पिता के लिए ऐसी सोच  रखी जाए तो कोई क्या कहे ? 



कोई शिकायत नहीं करती,

आँसू तक नहीं बहाती,

फिर भी वह मुझे नहीं सुहाती,

क्योंकि वह खाँसती बहुत है. 


इस कविता में मन के भावों को पिरो दिया है और यथार्थ से परिचय करा दिया है ........ छंदमुक्त कविता मैंने अज्ञेय जी की ही सबसे पहले पढ़ी थीं ...... कम शब्दों में गहरी बात कह जाना उनकी विशेषता थी ....... यूँ तो कविता में लय हो वो भी सही ...... छंदबद्ध रचना लिखना सरल नहीं ....... अब छन्दमुक्त कविता की विशेषता पर एक नज़र डालिए ....

छंदहीन कविता


दिल की बातें दरिया बनकर,

दृग-द्वार से दहती हैं।

जीवन के उत्थान-पतन के

भाव गहन वह गहती हैं।


वक़्त के साथ सब बदलता है........... और सच तो ये है कि हमें और हमारी सोच को भी बदलना चाहिए ....... इसी पर आधारित एक लघु कथा ....


क्या सुबह से ही किच-किच मचाए हो तुम ? 

अरे यार अब तो छोड़ो ! इन्हें जीने दो अपनी ज़िंदगी !” 

कब तक अपनी दुहाई देते रहोगे ?”


ओह ! आज तो कुछ ज्यादा ही  चक चक हो गयी ......... बहुत भारी भरकम विषयों पर चर्चा भी  हुई , तो ........... मीठे से शुरू करी इस प्रस्तुति को कुछ मीठे से एहसास के साथ समाप्त करती हूँ ......


एब-इनीशियो ...


क्या ऐसा होता है  
कुछ कदम किसी के साथ चले
फिर भूल गए उस हम-कदम को ज़िन्दगी भर के लिए ...


सच बताऊँ  कि    एब-इनीशियो ...  का अर्थ गूगल  गूगल पर  ढूँढा ...... अर्थ है अब से प्रारंभ .......... अब आप इसे पढ़ें और सोचें कि   अल्जाइमर  क्यों   इतना बुरा नहीं  .........


अब मैं विदा लेती हूँ  ............ कोशिश रहेगी अगली बार कुछ  हल्की - फुल्की  रचनाएँ  लाने की ........

नमस्कार 
संगीता स्वरुप . 

 




36 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब प्रस्तुति
    आनंदित हुई
    चॉकलेटी गणेश पढ़कर
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. वन्दन
    रंगीन हलचल पढ़कर बेहद आनन्द आता है
    आपके श्रम को सैल्यूट

    जवाब देंहटाएं
  3. जिज्ञासा सिंह29 अगस्त 2022 को 7:07 am बजे

    सुप्रभात !
    विविधता और रोचकता लिए बहुत सुंदर अंक !
    पढ़कर फिर प्रतिक्रिया होगी ! सभी को शुभकामनाएँ🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  4. वाक़ई आपकी प्रस्तुति का ख़ास अन्दाज़ एक हलचल मचा देता है। बहुत सुंदर लिंक!

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं पढ़कर रचनाओं का आनंद उठाऊँगी।

    जवाब देंहटाएं
  6. दिगम्बर नासवा29 अगस्त 2022 को 12:11 pm बजे

    बहुत आभार आपका … ये शब्द law या CA के लिए कुछ कोमन है … मेरी गलती है इसका अर्थ भी साझा करना चाहिए था …
    शानदार संकलन आज की रचनाओं का …

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अरे ! ऐसा कुछ नहीं है । इस बहाने ये तो पता चला न कि यूँ ही सरसरी निगाह से नहीं पढ़ती हूँ । 😆😆😆
      हलचल पर आए इसके लिए शुक्रिया ।

      हटाएं
  7. बहुत बढ़िया प्रस्तुति। मेरी रचना को पांच लिंको का आनन्द में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, संगीता दी।
    मोदक को आज के अंक का शीर्षक बनाने के लिए धन्यवाद। वैसे आधुनिक गणेश जी को चॉकलेट मोदक बहुत पसंद आएंगे।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गणेश जी के लिए मोदक के बहाने उनसे ही शुरुआत करना इस हलचल को सफल बनाने के लिए काफी है । आभार ।

      हटाएं
  8. H
    पाँच लिंकों के आनन्द के क्या कहने:-
    -मोदक की ओरियो से झटपट बनने वाली रेसिपी मज़ेदार👌
    - चन्द्र शेखर आज़ाद की माउजर- बढ़िया जानकारी देती पोस्ट…धन्य थे वे वीर 🙏🙏
    -मैसूर सिल्क का रामनामी दुपट्टा-बहुत रोचक क़िस्सा।
    -राजनीति की लाइफलाइन है पाखण्ड-राजनीति के पाखन्ड का सही विवरण !
    - पगड़ी-खोखली परम्पराओं पर कुठाराघात करती प्रेरणादायी कहानी
    - संवेदनहीनता की पराकाष्ठा- जागरूक करता आलेख।संगीता जी ने मेरे आलेख के बाद लगा कर मेरे लेख की मानो पुष्टि की है।😊
    - उसकी खाँसी-बहुत मार्मिक रचना
    - छंदहीन कविता-बढ़िया रचना!
    - पैदाइश-बहुत सही बात जो जिस पीढ़ी का है उसी के अनुसार तो ढलेगा, बढ़िया लघुकथा!
    - एब इनीशियो… गूगल पर सर्च कर फिर दुबारा पढ़ी, बाद में देखा संगीता जी ने पहले ही बता रखा था इसका अर्थ; मतलब वे परिश्रम करने में कोई कोताही नहीं बरतती हैं और नायाब लिंक्स से सजा कर हमारे लिए प्रस्तुत करती हैं सुँदर अँक…धन्यवाद!
    - धन्यवाद मेरा आलेख भी शामिल करने का । आपको व सभी रचनाकारों को बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय उषा जी ,
      हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रिया हौसला बढ़ा रही है । आपकी हर लिंक पर विशेष टिप्पणी मन को प्रसन्नता प्रदान कर रही है । हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  9. प्रस्तुति का दिलचस्प अंदाज़ भी अपनी अलग छाप छोड़ रहा है। सुंदर रचना संकलन और प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ। उषा किरण जी टिप्पणी भी ध्यान आकर्षित कर रही है। कुलमिलाकर आज का अनुभव यादगार रहा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत शुक्रिया । उषाजी हमेशा ही लिंक्स पढ़ कर सुंदर और सार्थक प्रतिक्रिया देती हैं । उनकी ओर से भी आपको शुक्रिया ।।

      हटाएं
  10. बहुत दिलचस्प और अलग हैं इस बार लिंक। देखते हैं धीरे धीरे।

    जवाब देंहटाएं
  11. Meticulous Compilation / Presentation of Richly
    Blended Articulations!!!
    Hearty Congratulations
    Sangeeta & Authors !!!

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह वाह लाजबाव प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  13. अंक कहानियों और आलेखों को पढ़ने का आनंद दे गया. ....
    ज्योति जी की मोदक रेसिपी की बढ़िया और सामयिक जानकारी।
    गगन शर्मा जी का माउजर पिस्तौल के बारे में रोचक और अविस्मरणीय जानकारी देते हुए क्रांतिकारियों को समर्पित सराहनीय आलेख ।
    आदरणीय गोपेश मोहन जी का धर्म के नाम पर लालच और पाखंड दर्शाती रोचक और चिंतनपूर्ण कहानी ।
    कविता वर्मा जी की समाज और परिवार के यथार्थ का मार्मिक चित्रण करती विचारणीय कहानी ।
    ओंकार सिंह विवेक का आज के समाज में स्त्रियों की मानसिक स्थिति पर सराहनीय आलेख।
    उषा किरन जी की सिजोफ्रेनिया पर बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी।
    ओंकार जी की खांसी का संदर्भ दे वरिष्ठों पर बहुत ही मार्मिक कविता ।
    विश्वमोहन जी की छंदहीन कविता पर बहुत ही सराहनीय अभिव्यक्ति।
    दिगंबर नासवा जी की..अल्ज़ाइमर” का उदाहरण दे बहुत मार्मिक जीवन संदर्भ ...गहन विचार करने वाली प्रस्तुति ।
    साथ ही मेरी लेखनी की "पैदाइश" का मान रखती बहुत ही सुंदर विचारणीय, पठनीय अंक की प्रस्तुति ।
    आदरणीय दीदी, आज के अंक की दिल से आभार और प्रशंसा करती हूं 👏👏💐💐

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हर पोस्ट पर प्रतिक्रिया पा कर मन गहन संतुष्टि से भर जाता है । हलचल को रोचक बनाने के लिए यदि कोई सुझाव हो तो अवश्य बताएं । मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हृदय से धन्यवाद ।।

      हटाएं
  14. प्रिय दीदी,आज फिर से इस आनन्ददायक प्रस्तुति से रोचक और पठनीय सूत्रों से परिचय हुआ।निसन्देह सभी रचनाओं को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।लघुकथा और गगन जी का अनमोल लेख बहुत ही भावपूर्ण जानकारी दे गया।सभी को पढ़ना चाहिये।और मानसिक रोग सीजोफ्रेनिया पर लेख पढ़कर कई जानकारियाँ मिली।सभी काव्य रचनाएँ भी बहुत सुन्दर हैं।सभी रचनाकारों को सादर नमन।सभी को बधाई।आपको विशेष आभार और प्रणाम।आप यूँ ही प्रस्तुतियाँ लगाती रहें,यही कामना है।🙏🙏🌺🌺🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      तुमको सभी लिंक्स पसंद आये , मेरा प्रयास सफल रहा । बहुत बार सोचती हूँ कि जो मुझे पसंद आ रहा है क्या वो पोस्ट पाठकों को अच्छी लगेगी ? बहुत शुष्क विषय तो नहीं ले लिए ?
      बहुत से पाठकों ने सिज़ोफ्रेनिया पर अच्छी प्रतिक्रिया दी है । तुम्हारी टिप्पणी उत्साहवर्धक है । हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  15. जी दीदी,सुप्रभात! निसन्देह सभी लिंक्स बेहतरीन नहीं शानदार हैं।मैं भी सिज़ोफ्रेनिया पर लिखूँगी थोडा आराम से।विस्तार से लिखना चाह्ती हूँ।जो भी लिंक रह गये आज आती हुँ।वैसे पढ़ चुकी।🙏🙏🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  16. सराहना हेतु आभार । इंतज़ार रहेगा तुम्हारे आलेख का ।

    जवाब देंहटाएं
  17. दीदी,लेख नहीं,उषा जी के लेख पर प्रतिक्रिया के लिए कह रही थी।आज लिख पाई हूँ उनकी पोस्ट सिज़ोफ्रेनिया पर 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मैं वहाँ प्रतिक्रिया पढ़ कर आई हूँ ,। और अब लग रहा है कि इस लेख को ले कर मैंने अच्छा ही किया है । बहुत शुक्रिया ।

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  18. उत्कृष्ट एवं पठनीय लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ...आपके चयन एवं श्रम की कायल हूँ नमन ऐसी प्रतिबद्धता को ..सादर नमन आपको ।🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा ,
      आप कहाँ गायब हो ? आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है । आज कल आपकी कम पोस्ट आ रही हैं । उनका भी इंतज़ार रहता है ।
      सराहना हेतु तहेदिल से शुक्रिया ।

      हटाएं

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