प्रेम केवल ख़ुद को ही देता है और ख़ुद से ही पाता है। प्रेम किसी पर अधिकार नहीं जमाता, न ही किसी के अधिकार को स्वीकार करता है। प्रेम के लिए तो प्रेम का होना ही बहुत है। -ख़लील जिब्रान
इन्सान जीवन दर्शन की खोज में दर दर भटकता है लेकिन खोज नहीं पाता है। इन्सान जो सोचता है कि दर्शन उसे खोजने से मिलेगा उसका यह भ्रम अक्सर टूट जाता है। दर्शन खोजने से नहीं मिलता है बल्कि दर्शन आत्मचेतना से अनुभव किया जाता है।
बाहर का दृश्य बहुत सुहाना है। हरी भरी धरती, कहीं खेत चरते चौपाए, कहीं भरे पानी मे डूबे धान, बरश चुके बादलों से खाली हुआ साफ आसमान, हरे/घने पेड़, छा रहा अँधेरा, जा रहा उजाला और घास का भारी गठ्ठर सर पर लादे, मेड़-मेड़ जा रही, भउजाई!
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आज के लिए बस इतना ही कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं प्रिय विभा दी।
बहुत सुन्दर पुष्प गुच्छ सी प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए एवं शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी जयन्ती पर उनकी लेखनी से निःसृत अनमोल सृजन को पढ़वाने के आपका हार्दिक आभार । सस्नेह सादर वन्दे !
आज की विशेष प्रस्तुति मन को पुरानी यादों में ले गयी । शिव मंगल सिंह सुमन की कविता आप लोग भूले तो नहीं होंगे --- हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर बद्ध न गा पाएँगे कनक तीलियों से टकरा कर पुलकित पँख टूट जाएँगे । 1986 -87 में मैंने 7वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ायी थी । मुझे बहुत पसंद थी । शिवमंगल सिंह सुमन जी की रचनाएं पढ़ना और सुनना आज के दिन को सार्थक बना गया है । आज की सभी रचनाओं के लिंक बेहतरीन रहे .... चाहे वो हाइकु रहे या क्षणिकाएँ या फिर प्रेम को फफूँद से बचाने का प्रयास हो ,या फिर खुद में आत्म विश्वास होने की बात ,और लोहे के घर में आस पास का अवलोकन .... सब कुछ कुछ न कुछ कहता है । सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार ।
उत्कृष्ट लिंकों एवं शिवमंगल सिंह सुमन जी की लेखनी से निसृत कविता के शानदार वीडियो के साथ लाजवाब प्रस्तुति । मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंआभार सखी
सादर
बहुत सुन्दर पुष्प गुच्छ सी प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए एवं शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी जयन्ती पर उनकी लेखनी से निःसृत अनमोल सृजन को पढ़वाने के आपका हार्दिक आभार । सस्नेह सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंकृपया *के लिए* पढ़ें 🙏
हटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय प्रस्तुति, बहुत अच्छी रचनाओं से परिचित कराया।
जवाब देंहटाएंसादर आभार
बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशिवमंगल सिंह सुमन जी को याद करते हुए सुंदर, सरस संकलन । बधाई श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंआज की विशेष प्रस्तुति मन को पुरानी यादों में ले गयी । शिव मंगल सिंह सुमन की कविता आप लोग
जवाब देंहटाएंभूले तो नहीं होंगे ---
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजर बद्ध न गा पाएँगे
कनक तीलियों से टकरा कर
पुलकित पँख टूट जाएँगे ।
1986 -87 में मैंने 7वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ायी थी । मुझे बहुत पसंद थी । शिवमंगल सिंह सुमन जी की रचनाएं पढ़ना और सुनना आज के दिन को सार्थक बना गया है ।
आज की सभी रचनाओं के लिंक बेहतरीन रहे .... चाहे वो हाइकु रहे या क्षणिकाएँ या फिर प्रेम को फफूँद से बचाने का प्रयास हो ,या फिर खुद में आत्म विश्वास होने की बात ,और लोहे के घर में आस पास का अवलोकन .... सब कुछ कुछ न कुछ कहता है ।
सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई और आभार ।
उत्कृष्ट लिंकों एवं शिवमंगल सिंह सुमन जी की लेखनी से निसृत कविता के शानदार वीडियो के साथ लाजवाब प्रस्तुति । मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद प्रिय श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर अंक सुमन जी की स्मृतियों को जगाती हुई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
लोहेकाघर शामिल करने के लिए आभार।
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