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मंगलवार, 28 सितंबर 2021

3165....कोहरा धूल नहीं होता

मंगलवारीय अंक में
मैं श्वेता आपसभी का
स्नेहिल अभिवादन
करती हूँ।

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एक विचार
अपने केंद्रबिंदु पर
टिककर
परिधि के भीतर 
अपनी ऊर्जा का संचयन करते हुए
प्रारंभ करता है निर्माण
स्वयं को उर्ध्व रखने के प्रयास में
वृत पूर्ण होने तक 
उम्र की अनेक बिंदुओं पर
अपनी गति से विचलित होता है
किंतु गोल घूमकर
प्रायः प्रारंभिक बिंदु में
एकाकार होकर ही
अपने अस्तित्व का अर्थ 
 प्राप्त करता है।
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

ताज़ा ख़बर आई है अभी


घूल हटे आँखों से
और कागज से भी
कोई कोशिश तो करे पलटने की
पन्ने को
यूँ ही कभी
कोहरा धूल नहीं होता है
पता होता है
जम भी जाता है चश्मा चश्मा
काँच एक से होते हैं सभी


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घर- आंगन के हर कोने से 

स्मृतियों के तो तार जुड़े है

कौन तार गठरी में बाँधू

सब के सब अपने लगते हैं



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भटकता मुसाफ़िर

मुझे तुम्हारे माथे पर एक शिकन है,
पीड़ित नम पलके और रुआँसा के साथ,
तेरे सुर्ख गालों पर खिलता एक गुलाब
जल्दी मुरझा भी जाता है।

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कर दिया दफ़न ज़मीर को  नेता बन गये
प्रवचन देने लगे साधू फ़कीर महात्मा बन गये
चुनाव आते ही नेता जनता के इर्द- गिर्द घूमते
राष्ट्रभक्ति का राग गुंडे भी अलापने लग गये।।


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बाल-मन


बच्चे को ऐसी प्रतिक्रिया की आशा न थी। कुछ क्षण वो यह सोचते हुए माँ को देखता रहा, कि क्या सचमुच मुझे डांट पड़  गई है! जब माँ ने उसकी ओर सिर उठाकर नहीं देखा, तो वो समझ गया कि हां डांट पड़ गई है। बच्चे ने अपनी दोनों हथेलियों से अपना मुँह ढँक लिया और सोफे पर औंधा लेट गया। अभी दो सैकेण्ड ही हुए होंगे कि वह माँ की ओर देखकर बोला- मुझसे मत बोलो!!

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और चलते-चलते सुनिये
लता जी का गीत
आज जन्मदिन है इनका।
ज्योति कलश छलके

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7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन सूत्रों से सुसज्जित सुन्दर संकलन। इस संकलन में मेरे सृजन को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रचनाओं से सजा संकलन अति उत्तम है ,हमारी रचना मो स्थान देने के लिए प्रिय श्वेता जी की आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी इस रचना को इन सुन्दर रचनाओं मे स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam.

    जवाब देंहटाएं

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