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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

1663..सन्नाटे में विलीन है पदचाप

मंगलवारीय प्रस्तुति में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन
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जानलेवा कोरोना वायरस के कहर से आक्रांत है हमारा पड़ोसी देश चीन। चीन के वुहान से फैल रहे कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। इसके चलते अब तक 350 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 14 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। हमारे देश में भी इसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। 
केरल में कोरोना से पीड़ित एक मरीज पाया गया है।
अतःसभी के लिए विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है।
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके मुताबिक, हाथों को साबुन से धोना चाहिए. अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है. खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढककर रखें. जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. अंडे और मांस के सेवन से बचें. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।

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आइये अब आज की रचनाएँ पढ़ते हैंं-



कोई जो डुबकी मारे 
छू भी लेता उस घट को, 
अमृत छलक रहा निरन्तर 
खोलो उर घूँघट पट को !


ध्यान बरसता मृदु रस सा 
कण-कण काया का हुलसे, 
खोजें इक सागर गहरा
व्यर्थ ही ताप में झुलसें !

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जा रहा हूं
व्यवहार की कोरी कापी में
प्रेम लिखने
हो सकता है
लिखते समय
मुझे लाठियों से मारा जाए
सिर फोड़ दिया जाए
या मेरे घर पर
पत्थर बरसायें जाए


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इसकी भी अपनी हस्ती है
इसमें मेलों की मस्ती है
नमकीन मधुर कुछ खटमीठी
थोड़ी तीखी कुछ चरपरी
लाई वसंत फिर फरवरी।

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पंखुड़ी

पुष्पों की पंखुड़ियों के आलिंगन में
मकरंद का पान करने के लिए
बंधक होना भी स्वीकार किया
पंखुडियों की बाहों में दुबक   
रहा बंद तब  तक
जब कली फूल बन गई
तभी बंधन मुक्त हो पाया
जब मकरंद से  मन भरा
अलग हो चल दिया


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मिल के अधिकारी वर्ग और कामगारों के बीच सदा तनाव भरा रिश्ता रहा है ! संस्थान के अपने कामगारों की भलाई के लाख प्रयासों के बावजूद कुछ मतलब-परस्त मजदूर नेता सिर्फ अपनी रोटी सेंकने के लिए, कामगारों में स्टाफ के प्रति जहर उगल नफरत की दिवार बनाए रखते थे। ऐसे लोग दोनों तरफ के हितैषी बन अपना उल्लू सीधा करने में अत्यंत दक्ष होते थे। इसी नफ़रत, द्वेष, रोष के कारण उस दिन एक छोटी सी घटना ने विकराल रूप ले लिया था।  

★★★★★★

हमक़दम का अगला विषय है-


अभी गुज़र जाओ चुपचाप 
सन्नाटे में विलीन है पदचाप
बदलती परिभाषाओं की व्याख्या में 
अनवरत तल्लीन हैं बसंत-चितेरे। 

उदाहरणार्थ दी गयींं  पंक्तियाँ
आदरणीय रवींद्र जी की
रचना से उद्धत है।

 अंतिम तिथि : 8 फरवरी 2020
प्रकाशन तिथि ः 10 फरवरी 2020

★★★★★★
आज यह अंक आप सभी को कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साह
बढ़ाती है।
कल का अंक
कल आ रही हैं पम्मी दी अपनी
विशेष प्रस्तुति के साथ।

20 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहहह...
    व्यवहार की कोरी कापी में
    प्रेम लिखने
    हो सकता है
    लिखते समय
    मुझे लाठियों से मारा जाए
    क्या बात है ढाई अक्षर लिखने में भी डर
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. भयभीत करता एक नई बीमारी से आक्रांत हो जाता है समाज
    कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. अंडे और मांस के सेवन से बचें. जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
    बचाव का उपाय बताना ठीक है

    उम्दा लिंक्स चयन

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहहह...
    मानव कल्याण हेतु समर्पित अग्रलेख
    सराहनीय कदम है..
    बीमारियाँ दबेपांव ही आती है
    पदचाप सुनाई दे तो बचाव भी कर लें
    आभार..
    सादर.।

    जवाब देंहटाएं
  4. सही मायने में हलचल पर लगने लायक लिंक्स देखने को मिले।
    सभी रचनाकारों की लेखनी ने मन मोह लिया।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति और साथ ही साथ कोरोना वायरस के बारे में आपने जो जानकारियां साझा की हैं उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद... तन मन स्वस्थ होगा अगर तो ही हम साहित्य सृजन कर पाएंगे बहुत ही अच्छा लगा कि आपने भूमिका में कोरोना वायरस के बारे में जानकारियां डाली धन्यवाद दी

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात
    आज के अंक में उम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद जी|

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन जानकारी के साथ शानदार प्रस्तुति अनुजा ....

    जवाब देंहटाएं
  8. सार्थक भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं का चयन, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह!शानदार प्रस्तुति । कोरोना वायरस से सभी भयभीत हैं आजकल ..।अच्छी जानकारी साँझा करने हेतु धन्यवाद । सभी लिंक शानदार !

    जवाब देंहटाएं
  10. वायरस से संबंधित सार्थक जानकारी के साथ अच्छी भूमिका
    बहुत सुंदर लिंक संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    आपको साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति श्वेता जी ,जानलेवा कोरोना वायरस से आगाह करना बहुत ही जरुरी था ,इसकेलिए आभार आपका ,सतर्कता बहुत जरुरी हैं ,सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर प्रस्तुति। एक भयावह महामारी पर उपयुक्त भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    मेरी रचना 'बसंत तुम आ तो गये हो!' के शब्द 'पदचाप' को हम-क़दम का विषय बनाने और आज की प्रस्तुति का शीर्षक बनाने के लिये सादर आभार श्वेता जी।


    जवाब देंहटाएं
  13. शानदार अंक प्रिय श्वेता। बहुत उल्लेखनीय अंक और सार्थक भूमिका। कोरोना बीमारी के बारे में बहुत बातें पता चली। आज के अंक के सभी सहयोगियों को हार्दिक शुभकामनायें। हार्दिक बधाई और स्नेह के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  14. कोरोना आजकल सबका भय बना है बहुत ही सार्थक ज्ञानवर्धक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति
    उम्दा लिंक संकलन...।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  15. एक अरसे बाद यहाँ आने का सौभाग्य मिला। कोरोना जैसे ज्वलंत विषय पर महत्वपूर्ण आलेख के साथ ही आकर्षक लिंक्स में मुझे भी स्थान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  16. भयावह कोरोना से सम्बंधित विस्तृत जानकारी सार्थक और सामायिक बहुत उपयोगी।
    सभी लिंक चयन आकर्षक ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं

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