सादर अभिवादन
वर्ष का अंतिम दिन
इस बिदाई की बेला में
सब नाच-कूद रहे हैं
रो रहा है तो बस
एक ही ...वह
सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा
2019
चलिए चले रचनाओं की ओर...
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आने वाले साल के 366 दिन सब के लिए सुख-शांति और निरोगिता ले कर आएं। सभी को आने वाले समय की शुभकामनाएं !
नए साल पर अमेरिका के न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर पर 1907 से चले आ रहे दुनिया के सबसे बड़े और मंहगे नव-वर्ष के जश्न पर, जहां एक युगल पर कम से कम 1200 डॉलर का खर्च बैठने के बावजूद, इस ''बॉल ड्रॉप'' आयोजन को देखने लाखों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। कुछ लोग तो टॉयलेट्स की कमी को ध्यान में रख ''डायपर्स'' पहन कर ही इस उत्सव में शरीक होते हैं...............!
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साल का अंत-
वो छटपटा रहें
निशीथ काल।
.....
शीत सन्नाटा/शीत की शांति–
खिड़की के शोर से
कांप गई मैं।
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तेजी से बदलते वक्त के साथ उतनी ही तेजी से बदलती जीवन की परिभाषाओं के चलते अब समय है खुद को बदलने का, अपनी सीमित सोच को बदलने का, अपनी सोच के दायरे को बढ़ाने का। साल खत्म होने को है। दिन महीना साल कैसे गुजर जाता है, कुछ पता ही नही चलता। समय के साथ-साथ जीवन बदलता जाता है। सही भी है। आखिर बदलाव का नाम ही तो ज़िन्दगी है। मैंने अब तक अपने जीवन में बहुत से बदलाव देखे, समझे फिर उसके अनुसार स्वयं को बदला। अब फिर समय बदलने को है। साल बदलेगा तो सोच बदलेगी, फिर नव जीवन का संचार होगा। अब यह बदलाव किस-किस के लिए सुखद और किस-किस के लिए दुखद होगा यह तो राम ही जाने।
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सघन हो चले कोहरे, दिन धुँध में ढ़ला,
चादर ओढ़े पलकें मूंदे, वो पल यूँ ही बीत चला,
बनी इक स्मृति, मैं भी अतीत में ढ़ला!
कितने, पागल थे हम,
समझ बैठे थे, वक्त को अपना हमदम,
छलती वो चली, रफ्तार में ढ़ली,
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हे हृदय ! तू अपने निश्चय पर अटल क्यों नहीं रहता। तेरा मेला पीछे छूट चुका है और अब कोई झमेला नहीं है । समझ न बंधु ! जीवन का सबसे बड़ा सत्य है अपूर्णता और यह भी सुन ले तू, इस अधूरेपन का सदुपयोग ही जीवन की सबसे बड़ी कला है। तुझे पता है न कि सारे दर्द मनुष्य अकेले ही भोगता है।
और हाँ, सर्वव्यापित होकर भी ईश्वर अकेला ही है।
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उसके होंठ चुनते हैं
मेरे होंठों से
बर्फ़ के ताज़ा फ़ाहे
बर्फ़ गर्म और मीठी
मैंने पहली बार चखी.
....
अब बारी है विषय की
विषय क्रमांक 102
दुआ
उदाहरण
अब बारी है विषय की
विषय क्रमांक 102
दुआ
उदाहरण
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी।दूर दुनिया का मेरे दम अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये।
रचनाकार - मोहम्मद अलामा इक़बाल
अंतिम तिथिः 04 जनवरी 2020
प्रविष्टिया मेल द्वारा ही मान्य
प्रकाशन तिथिः 06 जनवरी 2020
सादर
प्रकाशन तिथिः 06 जनवरी 2020
सादर