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मंगलवार, 29 जुलाई 2025

4464...किसने लिखनी है कलियुग में रामायण



मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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चुपचाप रहकर

अपने मंतव्यों के पतंग

कल्पनाओं के आसमान में ही

उड़ाना सुरक्षित है,

मनोनुकूल परिस्थितियाँ

बताने वाली

समयानुकूल घड़ियाँ

प्रचलन में हैं आजकल,

चुप्पियों की मुर्दा कलाईयों में

बँधी सूईयों की टिक-टिक

ईनाम है 

निर्वासित आत्मा की 

समझदार देह को।

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#श्वेता सिन्हा



आज की रचनाएँ

परदे के पीछे खेल रहे खुद धागे
कठपुतली के व्यभिचारों का क्या होगा
किसने लिखनी है कलियुग में रामायण
धनुष यज्ञ के किरदारों का क्या होगा
छोटे छोटे कतरे लेखक के गोलक के
फूटी किस्मत के दरबारों का क्या होगा




बखरी हुई
उदास ग़ुम हुई
दालानों की हँसी-ठिठोली,
रंगोली के
रंग कृत्रिम हैं
पान बेचता कहाँ तमोली,
कहाँ गए
वो हँसने वाले
याद करो उनको फिर रो लो.



कुछ चाहिए मुझसे तो
वह भी तुम अब कह ही दो…
क्योंकि 
कल का क्या भरोसा
रहूँ ना रहूँ 
ये नाव किस पल घाट छोड़ दे
कौन जाने….



उसी के एक अंश 
उसके  प्रिय और शक्ति से भरे  
बन सकते हो, जो चाहो 
रास्ता खुला है, 
जिस पर चला जा सकता है 
 ऊपर से बहती शांति की धारा को 
धारण करना है 
जिसकी किरणें छू रही हैं
 मन का पोर-पोर 




भारतीय मानस में ऋतुएँ केवल मौसम नहीं, जीवन के प्रतीक रही हैं। वसंत प्रेम का, ग्रीष्म तपस्या का और सावन प्रतीक्षा का महीना बनकर आता है। सावन में अक्सर प्रेयसी अकेली होती है, प्रियतम किसी दूर देश गया होता है, और प्रतीक्षा के बीच में विरह का काव्य जन्म लेता है। इसलिए साहित्य में सावन का आगमन केवल प्राकृतिक नहीं, आत्मिक घटना है।




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आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

9 टिप्‍पणियां:

  1. फूटी किस्मत के दरबारों का क्या होगा
    वही होगा जब सोच बदलेगी
    तो वह भी बदल जाएगा
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन लिंक्स के लिए धन्यवाद. सादर अभिवादन

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन रचनाओ का संकलन,
    मेरे लिए आज के संकलन की पंक्तियाँ -

    लिख ले कुछ अब अपने भी करतब
    सोच नहीं सलाहकारों का क्या होगा
    छिप लेंगे कुछ खबरों के पीछे
    उस्तादों के व्यापारों का क्या होगा
    तूती बोल रही जब करतूतों की
    कालजयी सरोकारों का क्या होगा🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार श्वेता जी । "सावन के रंग" का लिङ्क https://cdn.widgetserver.com/ पर ले जा रहा है । चिट्ठा संक्रमित है वाईरस से ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात!
    कुछ सोचने पर मजबूर करती भूमिका और पठनीय रचनाओं की खबर देते लिंक्स!
    बहुत बहुत आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रचनाओं का संकलन…मेरी कविता को भी स्थान देने का बहुत शुक्रिया 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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