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रविवार, 27 जुलाई 2025

4462 ... राजकुमार मान-अपमान, अच्छा-बुरा ऊंच-नीच का ज्ञान नहीं रखेगा, वह अच्छा राजा कैसे बनेगा

 सादर अभिवादन

एक गीत सुनिए
काफी से अधिक पुराना है
तुम गगन के चंद्रमा मैं धरा की धूल हूं
और भी है... क्रमशः आएगी ही




एक व्यक्ति—जो वर्षों तक मंदिर प्रशासन से जुड़ा सफाईकर्मी रहा—अब सामने आया है। उसने कहा है कि उसे बलात्कार के बाद मारी गई बच्चियों और महिलाओं के शव जलाने और दफनाने पर मजबूर किया गया।





शिखिध्वज ने एक साधारण सा कपड़ा पहन रखा था। उसके सिर पर एक गठरी रखी हुई थी। अपने पुत्र का यह हाल देखकर राजा कुशध्वज हैरान रह गया।

उसने संत से कहा कि मैंने आपको अपना पुत्र भिखारी बनाने के लिए नहीं सौंपा था। संत ने देखा कि उसके शिष्य ने राजा को अभिवादन नहीं किया है, तो उसने एक छड़ी उसके पीठ पर जड़ दी। राजकुमार चीख उठा। संत ने कहा कि जो राजकुमार मान-अपमान, अच्छा-बुरा ऊंच-नीच का ज्ञान नहीं रखेगा, वह अच्छा राजा कैसे बनेगा। यह सुनकर कुशध्वज चुप रह गए। बाद में शिखिध्वज महान राजा हुआ।



इतनी बड़ी कि वह
पहले अपने हक़ का खाता है
फिर दूसरों के हक़ का
फिर भी भूख नहीं मिटती तो
इंसान इंसान को खाता है




गूँज किसी निर्दोष हँसी की
याद बनी इक  दिल में बसती,
कभी भिगोती आँखें बरबस
कभी हृदय को भी नम करती

********

आज बस
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. याद बनी इक दिल में बसती,
    सुंदर
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! अनुपम गीत और सराहनीय रचनाओं का संग्रह, आभार यशोदा जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन अंक... सभी रचनाये बेहतरीन हैं सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🙏

    जवाब देंहटाएं

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