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गुरुवार, 24 जुलाई 2025

4459...याद रखना पासवर्ड, बस तीन मौक़े मिलेंगे...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय ओंकार जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए पसंदीदा रचनाएँ-

816. पासवर्ड

याद रखना पासवर्ड,

बस तीन मौक़े मिलेंगे,

कोई ज़िंदगी नहीं है

कि बार-बार ग़लती करो

और रास्ता खुला रहे।

*****

ये औरतें भी न, गज़ब हैं

ओवन में ठूँसी जा रही हैं

सड़कों पर घसीटी जा रही हैं

घरों में कूची जा रही हैं

डॉक्टर हों या कोमा में पड़ी मरीज

6 महीने की नवजात हो

या 70 बरस की दादी

वे बस नोची जा रही हैं

*****

1216 माहिया / हरकीरत कौर 

पेड़ों पर झूले हैं

झूलें सब सखियाँ

और हम अकेले हैं।

*****

 बिहार में आंदोलन, राजनीति और विकास

विकल्प की तलाश जारी रखनी होगी अपने इस लेख में शिवदयाल जी ने बड़ी शिद्दत से समाजवाद के प्रखर प्रवक्ता किशन पटनायक को याद किया है। किसी वस्तु के पूर्णतः नष्टप्राय हो जाने के बाद उसकी गढ़ियायी और जीवंत छाया एक धरोहर के रूप में किसी चित्रकार की पेंटिंग में ही हो सकती है।शिवदयाल जी का खचित किशन पटनायक का यह शब्द चित्र समाजवाद की स्मृति की कुछ वैसी ही धरोहर है। *****

उपेक्षित जन्मस्थली, रानी लक्ष्मीबाई की

क्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 (स्मारक में दी गई जानकारी के अनुसार) को वाराणसी में हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कह कर बुलाया जाता था। जो समय के साथ आगे चल कर झाँसी की रानी के नाम से विश्वविख्यात हुईं और उसी नाम से देश में भी उन्हें जाना जाने लगा ! उनके बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है जो देश-वासियों को ज्ञात ना हो ! परंतु बनारस में स्थित उनकी जन्मस्थली के बारे में विदेश की तो छोड़ें देश के लोगों को भी पूरी जानकारी नहीं है !

*****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव

 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संकलन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. आदरणीय सर,
      आप सभी को मेरा सादर चरण स्पर्श। एक लंबे अवकाश के बाद पुनः इस मंच पर आकर आनंदित हूं। आप सब के असीम आशीष से मैं ने अपना एमए सम्पूर्ण कर लिया और अभी हाल ही में मेरी पहली नौकरी लगी , दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने का स्वप्न पूर्ण हुआ। आप सबके स्नेह , प्रोत्साहन और आशीष के लिए बहुत बहुत आभारी हूं। आप सब को और ब्लॉग जगत को बहुत याद किया। बहुत सुंदर यथार्थ से जुड़ी हुई ज्ञानवर्धक प्रस्तुति पड़ कर आनंदित हूं। आज से मेरी भी ब्लॉग जगत पर वापसी है। अपने ब्लॉग काव्य तरंगिनी पर एक नई रचना पोस्ट की है ये बिखराव की पूर्णता। यह रचना मेरे विद्यार्थियों को और भारत के हर दिव्यांग बच्चे को समर्पित है। मेरा अनुरोध है अपना आशीष दें। अब से सक्रिय रहूंगी। आप सबों को पुनः आभार और प्रणाम।

      हटाएं
    2. आपको बधाई ढेर सारी और उज्ज्वल भविष्य की अनंत शुभकामनाएँ.
      ब्लॉग पर पुनः सक्रियता का समाचार सुखद है. आपके ब्लॉग तक अवश्य पहुँचना होगा.

      हटाएं

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