सादर अभिवादन
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नाग ने कहा कि शरारतपूर्ण तरीके से यह झूठी जानकारी वायरल की गई है। सच तो यह है कि उन्हें इस वर्ष नहीं बल्कि 2016 में पद्मश्री का पुरस्कार मिला था। 2016 में भी जब पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया गया था तब उन्होंने सरकार को अपनी गरीबी का हवाला देते हुए कोई पत्र नहीं लिखा था और न ही पदमश्री पुरस्कार को डाक से भेज देने की बात कही थी। लोककवि डा. हलधर नाग ने कहा कि पद्मश्री पुरस्कार से पहले से ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से उन्हें कलाकार भत्ता दिया जा रहा था। ओडिशा सरकार ने उन्हें रहने के लिए जमीन भी दी है, जिसपर बरगढ़ के एक डाक्टर ने अपने खर्च से मकान भी बनवा दिया है। वर्तमान में उन्हें सरकार की ओर से साढ़े 18 हजार रुपये का मासिक भत्ता भी मिलता है।
एक दिन राधिका ने श्यामा जी से उपकृत होने के अहसास से उनके घर के काम में मदद करने का प्रस्ताव रखा, तो श्यामा स्नेह से झिड़क कर बोलीं- “ना रे, अभी तुम पेट से हो और फिर इतना व्यस्त रहती हो। तुम क्यों हाथ बंटाओगी मेरे काम में? मेरे यहाँ काम ही कितना होता है और खुद काम नहीं करूँगी तो मेरा यह मुस्टण्ड शरीर किस काम आएगा, पड़ा-पड़ा थुल-थुल न हो जावेगा?- कह कर वह हँस पड़ीं। राधिका उनके प्रति सम्मान से अभिभूत हो उठी।
उस असीम से नेह लगा तो
सहज प्रेम जग हेतु जगा है,
अंतहीन उसका है आँगन
भीतर का आकाश सजा है !
बिना ताल इक कमल खिल रहा
हंसा भी लहर-लहर खेले,
बिन सूरज उजियाला होता
अंतरमन का जब दीप जले !
प्रेम ह्रदय का सदा समर्पित,
अहंकार न मध्य में आता,
पहला दूजे के सुख-दुख में,
पूरे दिल से साथ निभाता !
मैत्री का ही नाता पनपे,
एक मना ले दूजा रूठा,
हँसी सदा झलके मुखड़े पर,
कोई बड़ा न कोई छोटा !
प्रेम का वह मोती सागर में गहरे छिपा है
पर उसकी चमक
सूरज की रोशनी से ही उपजी है
ऐसे ही जैसे हर शिशु की मुस्कान में
माँ ही मुस्काती है !
*****
बस
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