शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कविता रावत जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
मंगलवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं पाँच पसंदीदा
रचनाएँ-
घर को तेरा इंतजार है, सारा घर बीमार है।
झर-झर कर कंकाल बन बैठी
जाने कब तक साथ निभाती है?
खंडहर हो रही हैं जिंदगियां
कहने भर का घर-संसार है
घर को तेरा इंतजार है
घर सारा बीमार है
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ना कार्ड ना ई मेल ना एस एम एस करके
बस वॉट्सएप ग्रुप्स में आती हैं भर भर के।
ग्रुप में पांच दस हों या मेंबर हों सौ पचास कहीं,
बधाई देते हैं सब, पर लेता कोई एक भी नहीं।
फिर जाने क्यों कौन किसको देता है।
एकाकीपन नहीं है न किसी के पास
कोई कैसे पढ़ें और सुनें?
तुम उन्हें पढ़ना और सुनना —
उसे पढ़ना-सुनना शांति को स्पर्श करने जैसा
है।
सुना है इलेक्शन बस एक खेल है !!
पहले ये नहीं तो वो पार्टी जीतेगी बस
सब कुछ तो अच्छा ही चल रहा है
एक साल इसे तो दूजे में उसका राज
माहौल तो वोही है जैसे थे वैसे हैं
सुना है इलेक्शन का ये सब खेल है !
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Thanks
जवाब देंहटाएंHappy Diwali