सादर नमस्कार
कल देवोत्थान एकादशी है
इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024, मंगलवार को है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से चार महीने बाद जागते हैं और सृष्टि का फिर से संचालन करते हैं। इस दिन से ही चातुर्मास समाप्त होते हैं और शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
आज की पसंदीदा रचनाएं
शायद जिस दिन मैं
पूर्ण रूप से
टूट वृक्ष बन
मिट्टी से उखड़ कर
मिटने की प्रार्थना करूंगी
उस ईश से
उस दिन ये मेरे साथ ही दफ़न होगा
जब सांसें छोड़ देगी देह का साथ
बहुत दिन हो गए हैं तेरी आवाज़ सुने,
लफ़्ज़ों से दिल में मिठास भर जाओ..
जो उदासी के बादल घिरे हैं यहां,
इक हंसी से उन्हें दूर कर जाओ..
उसने कहा, उसे मेरे साथ बारिश देखनी है।
मेरे मन के भीतर तब से बारिश मुसलसल हो रही है। मैं नहीं जानती उसका शहर बारिश को कैसे बरतता है। वो ख़ुद बारिश में भीगता है, मुझे मालूम है। मेरी सूती साड़ियाँ बारिश में भीगने को अपना नंबर गिन रही हैं। मैं एक पागल गंध में डूबी हुई हूँ।
प्रिंट मिडिया छापने के बाद डिलीवर पर भी तो ध्यान दे. बात यहां 100,50 रुपया की नहीं पर बेवजह किसी की हनक में क्यूं दे? शार्ट में कहे तो नए तरह के "ठुकराई " चल रही..(इस पर विवाद नहीं होना चाहिए)
या रात में सूरज की कमी की बात कह बिसार दे
मैंने महसूस किया है
कि तुम देख रहे हो मुझे
अपनी जगह से ।
खासकर तब,
जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में
मेरा ही मन
कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता है !
दीप जला करके आवाहन,
माँ लक्ष्मी से बोली
मनबक्से में झाँकों तो माँ !
भरी दुखों की झोली
क्या न किया सबके हित,
फिर भी क्या है मैने पाया
क्यों जीवन में है मंडराता ,
ना-उम्मीदी का साया ?
गुमसुम सी गम की गठरी में, हुआ अचानक रोला
बहुत समय से बोझिल मन को इस दीवाली खोला
बस
बहुत सुंदर प्रशंसनीय अंक..
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार।
सुंदर रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार 💐
उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार ।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।