मन तनिक विचलित सा है
मन की शान्ति के लिए महात्मा बुद्ध का चित्र देख लेना ही पर्याप्त है..
पढ़िए तथागत का आज अंक में
तथागत शब्द का इस्तेमाल गौतम बुद्ध ने अपने लिए किया था. भगवान बुद्ध को तथागत इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे मनुष्यों की क्षमता से परे होकर कभी नहीं बोलते थे. वे जो भी बोलते थे,
उसे वे खुद के व्यवहार से प्रामाणिक करते थे.
वह जो (जैसा आया था), वैसा ही चला गया.
वह जो इस प्रकार (तथा) चला गया (गता).
वह जो इस प्रकार (तथा) पहुँच गया (आगता).
जिसने संसार की मोह माया से ऊपर उठकर खुद की इंद्रियों पर विजय प्राप्त की हो.
जो किसी भी बंधन में न बंधा हो या कहें कि सभी बंधनों से जो मुक्त हो
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तथागत बोले- भगवान ने तुम्हें सुंदर चेहरा दिया है, जिससे तुम लोगों को मुस्कराहट दे सकते हो, तुम्हें सुंदर मुख दिया है, जिससे तुम लोगों की प्रशंसा कर सकते हो, भगवान ने तुम्हें दो हाथ दिए हैं, जिससे तुम लोगों की मदद कर सकते हो। जिसके पास ये तीन चीजें हैं वह भला गरीब कैसे हो सकता है ? तुम लोगों को देना सीख लो, उनकी मदद करना शुरू कर दो। अपनी मुस्कराहट और प्रशंसा के शब्द लोगों में बांटना शुरू कर दो। अपने दोनों हाथों से लोगों की जितनी मदद कर सकते हो करना शुरू कर दो। फिर तुम कभी गरीब नहीं रहोगे।
उस व्यक्ति को अब अपनी समस्या का समाधान मिल चुका था। उसे अपनी गरीबी और दुख के कारणों का पता चल चुका था। वह भी एक नए आत्मविश्वास व चेहरे पर एक अप्रतिम मुस्कराहट व शांति लिए वहां से चल पड़ा। उस दिन से उसके जीवन की दिशा बदल गई। वह, वह नहीं रह गया जो वह अभी-अभी बुद्ध से मिलने के कुछ पल पूर्व तक था। उसकी जीवन दृष्टि बदल चुकी थी और जीवन की दिशा भी।
सभी का होता है स्वागत सभी से प्रेम यहाँ
हमेशा मेला सजाये हुए नगर है यही
जो इसको देखने आया यहीं का हो के गया
ये बुद्ध पूर्णिमा प्रकाश की डगर है यही
मुझे
ज्ञात है
सुख-दुःख का
मूल कारण,
सत्य-अहिंसा-दया
एवं सद्कर्मों
की शुभ्रता
किंतु
मानवीय मन
विकारों के
वृहद विश्लेषण में
जन्म-मृत्यु
जड़-चेतन की
भूलभुलैय्या में
समझ नहीं पाता
जीवन का
का मूल उद्देश्य।
कवि की कूची
इंद्रधनुषी रंगों से
प्रकृति और प्रेम की
सकारात्मक ,सुंदर ,ऊर्जावान शब्दों की
सुगढ़ कलाकारी करती है
ख़ुरदरी कल्पनाओं में
रंग भरकर
सभ्यताओं की दीवार पर
नक़्क़ाशी करती है...
"ये किताब आपने सीने से क्यों लगा रखी है ?" जिया का प्रश्न उभरा।
"तुम्हीं ने तो कहा था बीवी कभी प्रेमिका नहीं हो सकती तो मैं अपनी प्रेमिका को साथ लिए फिरता हूं। मुझसे बातें नहीं करती है तो क्या हुआ, चुप सी वो मेरे साथ रहती है। मुझे उलझनों में उलझाती है, बहुत उलझ जाती है जब ख़ुद में भी तो मेरे साथ एक सिरा थाम कर बहुत दूर निकल जाती है।" साहिल का जवाब सुनते ही जिया ने
"वाह, वाह, वाह" कहा। इस पर साहिल ने जिया को कुछ याद दिलाते हुए कहा…
"तुमने झूमर कहानी को पढ़कर यही प्रतिक्रिया दी थी न!"
बस
अद्भुत और प्रशंसनीय अंक आपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंWow, super
जवाब देंहटाएंअद्भुत अंक
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! अनुपम प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंअलग अलग डाल से तोड़कर लाए गए फूलों से सजा सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंशुभ इतवार।
शानदार अंक!
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