सादर
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मंगलवार, 8 नवंबर 2022
3571 ....सच में जो प्रेमी है, चुप होना ही काफ़ी है
6 टिप्पणियां:
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उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
इस बेहतरीन अंक का हिस्सा बन पाना सुबह की लाली जैसी अनुभूति पाने जैसा है।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मुदिता जी की रचना ने खासा प्रभावित किया है।।।
घुलनशील कर गया रूह को,
स्नेह स्पर्श तुम्हारा.
दृढ बंधन बाँहों का पा कर ,
सर्वस्व स्वयं ही हारा...
- बहुत ही प्यारी सी रचना।।। समर्पित प्रेम को परिभाषित करती हुई बेहतरीन।।।।
अन्य समस्त रचनाकारों को नमन।।
बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने के लिए यशोदा जी 🙏🙏
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत ही सुंदर, सराहनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत संकलन में मेरी कविता भी शामिल है, बहुत बहुत धन्यवाद
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