सादर अभिवादन
साल दो हजार सोलह का
तीन सौ पैंसठवां दिन
चली जाएगी एक टीन और
गई भी को क्या हुआ
दूसरी आने वाली है
आज की पसंदीदा रचनाएँ....
अब और न मरेंगे मोदी जी... शालिनी कौशिक
"कुछ लोगों को मनसब गूंगा बहरा कर देते हैं,
रोटी मंहगी करने वाले जहर को सस्ता कर देते हैं."
आंखों में आंसू भर मोदी ने 50 दिन मांगे थे, आज वे भी पूरे हो गए और क्या हुआ सब जानते हैं. काले धन की आड़ में सभी की जिंदगी में उथल-पुथल मचाने वाले इस निर्णय ने सब्जी व्यापारियों का स्वाद बिगाड़ दिया है. शामली जिले के सब्जी की दुकान करने वाले हाजी इलियास कहते हैं - " जितनी सब्जी खरीदकर लाते हैं वह पूरी बिक नहीं पाती, कच्चा माल होने के कारण अगले दिन खराब हो जाता है जिससे काफी नुकसान हो रहा है. नोटबंदी का काफी असर व्यापार पर हुआ है, कैशलेस व्यापार करना मुश्किल है क्योंकि अनपढ़ व्यापारी उसे संभाल नहीं पायेगा."
रस्म ए ख़ुदा हाफ़िज़.... शान्तनु सान्याल
कभी कभी शून्यता बहोत क़रीब होता है।
तमाम झाड़ फ़ानूस क्यूं न हों रौशन -
दिल का कोना फिर भी बेतरतीब होता है।
जीवन पानी सा बहता जाए.... मालती मिश्रा
जीवन पानी सा बहता है
ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी,
कंकरीली-पथरीली सी
सँकरी कभी
और कभी गहरी-उथली
आती बाधाएँ राहों में
पानी अपनी राह बनाता
थोड़ी मरम्मत का जरूरत है....निदा फ़ाज़ली
बहुत मैला है ये सूरज
किसी दरिया के पानी में
उसे धोकर फिर सुखाएँ फिर
गगन में चांद भी
कुछ धुंधला-धुंधला है
मिटा के उसके सारे दाग़-धब्बे
जगमगाएं फिर
नया वर्ष भर झोली आया.....अनीता
मन निर्भार हुआ जाता है
अंतहीन है यह विस्तार,
हंसा चला उड़ान भर रहा
खुला हुआ अनंत का द्वार !
आत्ममुग्ध-सा चला आ रहा है .....डॉ. सरस्वती माथुर
यह मंजुल प्रकाश भर
पंखड़ियों को धरा पर
बिखरा रहा है
जाफ़रानी हवाओं-सा
डाल-डाल. पात-पात पर
तितली-सा मंडरा रहा है
कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन......कविता रावत
उछ्रंखलता उद्धत उदंड न बने कभी
न हो कभी शालीनता का शमन
अवांछनीयता, अनैतिकता न हो हावी
कुछ ऐसा हो नूतनवर्षाभिनंदन
बदलता कानून.......समीर लाल ’समीर’
ये १ जनवरी, २०१७ की बात है. (टाईम मशीन फॉरवर्ड मोड में)
हमसे ज्यादा होशियारी नहीं. हमें तो ये नोट तुम्हारे
पजेशन में मिले सो हम तो तुम पर ही केस बनायेगे.
हवलदार नें २०००० रुपये के नोट दिखाते हुए कहा.
इतनी देर में उसने अपनी जेब से मोबाईल निकाला और
हवलदार की २०००० रुपये पकड़े हुए तस्वीर ले ली
और क्लाऊड में सेव भी कर दी
और बोला- अगर पजेशन से जुर्म बनता है तो ये तो अभी
आपके पजेशन में हैं, ये देखो फोटो भी प्रूफ के लिए.
हवलदार झल्लाया, हमारे पजेशन से क्या होता है,
हम तो पुलिस वाले हैं? पुलिस वाले ही हो न..
कोई राजनैतिक दल तो हो नहीं कि कितना भी केश धरे रहो,
कोई कानून ही नहीं लागू होता. मैं तुम्हारी फोटो लेकर
अखबार और मीडिया में जाऊँगा, वो तुमसे भी बड़े वाले हैं,
फिर देखना तमाशा.
आज का शीर्षक..
बस
दो कदम
फिर
दोनो की
गर्दने
मुड़ती हैं
और
एक ही साथ
निकलता है
मुँह से
अरे आप हैं
......
आज्ञा दें यशोदा को
अब इस वर्ष मैं नहीं आऊँगी
सादर
सुन्दर शुक्रवारीय प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'हो ही जाता है ऐसा भी कभी भी किसी के साथ भी' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति यशोदा जी, आपका बहुत-बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति यशोदा जी, आपका बहुत-बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या...
जवाब देंहटाएंसुंदर बहुुत ही बढ़िया...
सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंनये वर्ष का स्वागत करती रचनाओं से सजी हलचल..आभार !
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