जय मां हाटेशवरी...
कल क्रिसमस के दिन....
बरफबारी हुई...
जश्न सा माहौल था...
वक्त कितना बदल गया है...
मुझे याद है....
जब मैं छोटा था...
मेरे गांव में सब इस लिये परेशान दिखते थे कि....
हिमपात अधिक होता है...
पर आज सब इस लिये परेशान है कि....
हिमपात आवशयक्ता से कम होता है...
क्या करे...संतोष नहीं है...
हमे तो आनंद आता है...
आप के साथ...
अपने-पराये का भेद
पड़ोसी की फसल अपनी फसल से बढ़िया दिखाई देती है।
बहुधा पराई चीज़ अपनी से ज्यादा आकर्षक नजर आती है।।
जूते में पड़े कंकर की चुभन को कोई दूसरा नहीं जानता है।
कांटा जिसे भी चुभा हो वही उसकी चुभन समझ सकता है।।
भावों की सरिता
भाव प्रेम या मिलन-विरह के,स्मृतियों से आँखों में नीर।
व्यथित सदा रहता है मन ये, कैसे बंधाऊँ मन को धीर।।
सुन भी लूं मैं गीत खुशी के ,मन गाता पीड़ा का गान।
अधर भले ही मुसकाते हैं, धड़कन छेड़े दुख की तान।।
प्रेम-गीत।
तुम नदी के तेज़ धारा जैसी एक चंचल सी प्रवाह प्रिय,
रोज करता हूँ वंदन प्रभु से, तुमसे ही हो मेरा विवाह प्रिय।
खाँसी के लिए अजवाइन के आयुर्वेदिक प्रयोग Ajwain for Cold and Cough in Babies
यही प्रयोग सर्दी अथवा बंद नाक खोलने में भी बहुत लाभदायक है| कृपया बच्चे पर प्रयोग करने के पहेले खुद पर पोटली लगा कर सुनिश्चित करें कि पोटली ज़्यादा गर्म
तो नही है, इस के बाद अपने बच्चे पर इसका इस्तेमाल करे।
Ajwain for Cold and Cough in Babies
2. अजवाइन और लहसुन पोटली का धुआँ / अरोमा (यह उपाय नन्हे शिशु के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है):
2 बड़े लहसुन की कलियाँ और एक बड़ा चम्मच अजवाइन को तवे पर भुन लें| थोड़ा ठंडा होने पर एक साफ मलमल के कपड़े के साथ एक पोटली बना लें| अब इस पोटली को बच्चे
के सोने की स्थान या पालने के पास रख दें | पोटली के लहसुन और अजवाइन की सुगंध से व अरोमा से बंद नाक खोलने में मदद मिलती है | यह अरोमा सर्दी में बहुत आराम
देता है |
नोट: बच्चा कहीं मुंह में न डाले या फिर दम न घुट जाऐ व अन्य ख़तरो से बचने के लिए पोटली को बच्चे के बहुत पास ना रखें तथा किसी बड़े की मौजूदगी में ही पोटली
का प्रयोग कीजिए|
दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ
तुम्हारी मोहनी सूरत तो हर पल आँख में रहती
दिल में जो बसी सूरत उस सूरत का फिर क्या होगा
अपनी हर ख़ुशी हमको अकेली ही लगा करती
तुम्हार साथ जब होगा नजारा ही नया होगा
दिल में जो बसी सूरत सजायेंगे उसे हम यूँ
तुमने उस तरीके से संभारा भी नहीं होगा
कन्यादान की रस्म क्यों ?-
कन्यादान के विरोध में सर्वाधिक प्रबल आवाज श्री कृष्ण की है । महाभारत में प्रसंग है --' कृष्ण की बहन सुभद्रा मन ही मन अर्जुन के प्रति आसक्त थी । तब श्री
कृष्ण की सहायता से ही अर्जुन तथा सुभद्रा का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ था । ( गंधर्व विवाह लगभग आजकल के कोर्ट मैरिज की तरह होता था ) । बलराम ने सुभद्रा
और अर्जुन के विवाह पर असहमति प्रगट करते हुए कहा था, --" कि ब्राम्ह विवाह के अनुसार जबतक कन्यादान नहीं हो जाता वह विवाह नहीं माना जाता ।" इस पर श्री
कृष्ण ने बलराम से पूछा ....." प्रदान मपी कन्याया: पशुवत को नुमन्यते ?" अर्थात - " पशु की भांति कन्या के दान का अनुमोदन कौन करता है? कन्यादान के विरोध
के स्वर में मनुस्मृति और नारद स्मृति भी पीछे नहीं है ।
रविकर निर्मल हास्य, प्रार्थना पूजा विनती-
बानी सुनना देखना, खुश्बू स्वाद समेत।
पाँचो पांडव बच गये, सौ सौ कौरव खेत।
सौ सौ कौरव खेत, पाप दोषों की छाया।
भीष्म द्रोण नि:शेष, अन्न पापी का खाया ।
लसा लालसा कर्ण, मरा दानी वरदानी।
अन्तर्मन श्री कृष्ण, बोलती रविकर बानी।।
आज बस इतना ही...
कल २६ दिसम्बर था... ... कल अमर शहीद ऊधम सिंह जी की ११७ वीं जयंती थी... |
मैं पांच लिंकों का आनंद की ओर से...
इन पुन्य आत्मा को नमन करते हुए...
श्रधांजली के रूप में...ये अंतिम लिंक...
अमर शहीद ऊधम सिंह जी की ११७ वीं जयंती-
26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में जन्मे ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी, जिसे उन्होंने
अपने सैकड़ों देशवासियों की सामूहिक हत्या के 21 साल बाद खुद अंग्रेजों के घर में जाकर पूरा किया।
इतिहासकार डा. सर्वदानंदन के अनुसार ऊधम सिंह सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद आजाद सिंह रख लिया था जो भारत के तीन
प्रमुख धर्मो का प्रतीक है।
ऊधम सिंह अनाथ थे। सन 1901 में ऊधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में
शरण लेनी पड़ी।
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंकाफी अचछी रचनाओं का विवरण
सादर
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंजियो सिंम ले लीजिए
आराम रहेगा
शुभ दोपहर....
हटाएंसर यहां पहाड़ों में तो BSNL, airtel, भी ठीक से काम नहीं करते....
जिओ पहुंचने में तो प्लान समाप्त हो जाएगा।
आभार सभी का....
बढ़िया प्रस्तुति कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंआप का आभार |
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