बचे दिन 2+1 बराबर 3 दिन
क्यों बोले तो..
दो दिन तो बचे हैं
1000-500 के नोट
और बचा एक दिन..
चाहे रो लो..चाहे नाच लो
सत्रह को आना है सो आएगा ही
अपने-पराये का भेद...कविता रावत
लाठी मारने से पानी जुदा नहीं होता है।
हर पंछी को अपना घोंसला सुन्दर लगता है।।
शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से की जाती है।
पहले अपने फिर दूसरे घर की आग बुझाई जाती है।।
माँ - पिता......निवेदिता श्रीवास्तव
माँ कदमों में ठहराव है देती
पिता मन को नई उड़ान देते
माँ पथरीली राह में दूब बनती
पिता से होकर धूप है थमती
सबके उर में प्रेम बसा है...अनीता
कौन चाहता है बंधन को
फिर भी जग बंधते देखा है,
मुक्त गगन में उड़ सकता था
पिंजरे में बसते देखा है !
वो लड़की ~2....सु-मन
वो लड़की
सफ़र में
जाने से पहले
बतियाती है
आँगन में खिले
फूल पत्तों से
देती है उन्हें हिदायत
हमेशा खिले रहने की
आज का शीर्षक..
....
"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओं नें अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व में ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।
*अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955)*
अब आज्ञा दें दिग्विजय को
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छे हैं
सादर
एक से बढ़कर एक सूत्र, सुंदर संयोजन के लिए बधाई और आने वाले वर्ष के लिए अग्रिम शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर....
अति सुंदर....
आभार सर आप का....
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंहाँ हम भी कहेंगे आप बहुत अच्छे हैं । आभार 'उलूक' के सूत्र 'पीटना हो किसी बड़ी सोच को आसानी से एक छोटी सोच वालों का एक बड़ा गिरोह बनाया जाता है' को जगह और शीर्षक दोनो का सम्मान देने के लिये । सुन्दर सूत्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर आपका मुझे और मेरी कविता "स्त्रियों!"को जगह देने
जवाब देंहटाएंके लिए और मैं आप सभी को ये बताना चाहूँगा कि मैंने अभी नये वर्ष
को लेकर एक गीत लिखा है आप सभी आदरणीयों के लिए एक नये संकल्प
के साथ ।
समय मिले तो एक बार अवश्य मेरा गीत पढ़ें और मेरी तरफ से नये वर्ष में
एक साहित्यिक विधा से शुभकामनाएँ प्राप्त करें खैर आप सभी को इतने प्रेम के
लिए हृदय भावी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।।
प्रणाम सर ।