जय मां हाटेशवरी...
कल 16 दिसंबर है...
....एक बार फिर...
...निर्भया को याद करके....
...गांव-गली की छोटी से दुकान से लेकर...
...हर स्कूल, कालेज, कार्यालय, टीवी चैनल...
बलात्कार ही चर्चा का विषय होगा...
मैं पांच लिंकों का आनंद के माधयम से....
प्रत्येक भारतीय से यही आवाहन करता हूं...
"बलात्कार का मुद्दा आज की सब से बड़ी समस्या है....
सरकार और समाज को बड़े फैसले लेने होंगे.....
इसे हर हाल में रोकना होगा...
ताकि मानवता शर्मशार होने से बच सके....
वो एक नही जो बे-आबरू हुई
क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं
वो जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज
क्या वो इज्ज़त की हक़दार नहीं
कितने ही दुर्शाशन खड़े
पर कोई रखवाला गोपाल नहीं
कहा छुप्पे तुम आज क्रिशन
क्यों किया ध्रोपधि पे आज उपकार नहीं
लुटते, मरते सब देख रहे
कर रहे सियासत इस पर भी
ये कैसा हो गया देश मेरा
यहाँ कोई भी शर्म सार नही
लेखन में इष्टतम विलम्ब-
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यह कथा सबको विदित है कि महाभारत के बाद जब व्यासजी ने उस कथानक को लिपिबद्ध करने का निर्णय किया तो उन्होने स्वयं लिखने के स्थान पर लेखक से कराने का निर्णय
लिया। व्यासजी महाभारत सर्वसाधारण के लिये लिखना चाहते थे और इस कारण ग्रन्थ का आकार बड़ा होना स्वाभाविक था, लगभग एक लाख श्लोकों का। सारा कथानक उनके मस्तिष्क
में स्पष्ट था, बस उसे शब्दबद्ध करना था। कथा का प्रवाह न टूटे, इसके लिये आवश्यक था कि वह बोलते रहें और कोई और उसे लिखता रहे। अब विचार किया गया कि सबसे अधिक
गति से कौन लिख सकता है, गणेशजी का नाम आया, बुद्धिमान और ज्ञानवान, सबका हित चाहने वाले। प्रस्ताव भेजा गया, गणेशजी सहमत हो गये।
गणेशजी ने एक बाध्यता रखी कि यदि व्यासजी की बोलने की गति गणेशजी की लिखने की गति से कम हो गयी तो वह लिखना बन्द कर देंगे। कारण स्पष्ट था, जब सबकुछ उनके मस्तिष्क
में स्पष्ट था तो बोलने में विलंब नहीं होना चाहिये। व्यासजी के लिये यह कठिन नहीं था पर बोलने की गति अधिक रखने के लिये सोचने के लिये कम समय मिलता। अधिक गति
में त्रुटियों की संभावना अधिक हो जाती है। इस पर व्यासजी ने भी एक प्रतिबाध्यता रखी। व्यासजी ने गणेशजी से कहा कि आप श्लोक सुनने के बाद जब तक उसे पूरा समझ
नहीं जायेंगे तब तक उसे लिखेंगे नहीं। यहाँ पर एक इष्टतम बिलंब की स्थिति उत्पन्न हो गयी, जिससे सोचने के लिये व्यासजी को तनिक अधिक समय मिल गया। यह महाभारत
के त्रुटिरहित और अक्लिष्ट लेखन के लिये वरदान था।
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Praveen Pandey ,
लो कुंडलियां मान, निवेदन करता रविकर
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किन्तु अभी भी कवि कई, नीति नियम पाबंद।
नीति नियम पाबंद, बंद में भाव कथ्य भर।
शिल्प सुगढ़ लय शुद्ध, मिलाये तुक भी बेह'तर।
लो कुंडलियां मान, निवेदन करता रविकर।
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रविकर
मोक्ष - लघुकथा-
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अच्छा हुआ जो कल तूफ़ान आया ! जर्जर इंसानी रिश्तों सी जीर्ण शीर्ण मेरी रस्सी भी टूट गयी और लहरें मुझे बहा कर इस अत्यंत सुरम्य सुरक्षित स्थान पर ले आईं जहाँ
अपार सुख है, शान्ति है और विश्राम है ! आज मुझे सच्चे अर्थों में मोक्ष मिल गया है !
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साधना वैद
नर्क का द्वार है यह तालाब, इसमें उबलता हैं खून
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दुनिया में एक से एक घटनाएं होती हैं। कई घटनाएं जहां बेहद सामान्य होती हैं तो कुछ घटना बेहद चौंकाने वाली होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी रहस्यमयी जगह से रूबरू
करवाते हैं जिसको सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। जी हाँ हम बात करते हैं जापान का ब्लडी पॉन्ड की। इस तालाब के पानी को देखने के बाद आपको यही लगेगा कि यहां लाल
खून खौल रहा हो। जानिए क्या है इस खूनी तालाब का रहस्य।
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सीता ही नहीं इन स्त्रियों पर भी थी रावण की बुरी नज़र
एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने
उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।
Vineet Verma
नारी विमर्श के सवालों को उठाती पुस्तक "आधी आबादी के सरोकार"
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नारी विमर्श आधुनिक समाज और साहित्य में एक ज्वलंत मुद्दा है। कभी हाशिये पर खड़ी स्त्री और कभी नेतृत्व के नए प्रतिमान गढ़ती, शायद इन दोनों के बीच ही कहीं आज
का नारी विमर्श खड़ा है। नारी-सशक्तिकरण आज के दौर की एक सच्चाई है, पर इसका सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता। आज भी नारी अपने अस्तित्व और अस्मिता के लिए तमाम
प्रतिरोधों के बीच संघर्षरत है। गुलाबी सपनों के बीच आसमां को छूने की हसरत लिए 21वीं सदी की लड़कियाँ तमाम दकियानूसी परम्पराओं और रूढ़ियों से टकराती नज़र आती हैं।
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Akanksha Yadav
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसही व आकर्षक
सटीक व पठनीय
सादर
सार्थक प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंबढियाँ लिंक..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल आज की ! मेरी लघुकथा 'मोक्ष' को आज की हलचल में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी !
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