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बुधवार, 30 सितंबर 2015

अनमोल है बेटी और शिक्षा का महत्त्व---अंक 74


जय मां हाटेशवरी...

आज  के आनंद की हलचल   में आपका स्वागत है।

श्राद्ध आरम्भ हो चुके हैं।
ये समय है उन लोगों को याद करने का...
जो हमारे पूरवज हैं...
जिनकी कुर्वानी से आज हमारा सुखद आज है...
जिन्हे हम भूल चुके हैं...
श्राद्ध  का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है...
हमारी संस्कृति में सब को मान दिया है...
जीते जी भी और मरने के बाद भी...
चलते हैं...आज की हलचल की ओर....

अनमोल है बेटी
बेटी जो संतान तेरी , तो तूने किया धरा पर उपकार
कन्यादान है बेटी , महादान है बेटी , बेटी करे तेरा उद्धार
बेटी करे तेरा जनम सफल , होगी तेरी भी नैया पार
समझ सके तो समझ ले , बेटी की महिमा का सार
कहे हित, जिसने इसको ठुकराया, उसका जनम समझो बेकार


कोई रंगीन सी उगती हुई कविता.... फाल्गुनी
सिर्फ जानते हो तुम
और तुम ही दे सकते हो
कोई रंगीन सी उगती हुई कविता
इस 'रंगहीन' वक्त में....




इंदौर: कभी पी नहीं, फिर भी कर रहे शराब की बुराई
दो दिन पहले इंदौर में बकरीद पर हुई नमाज के बाद अपनी तकरीर में शहर काजी ने कहाकि कुछ स्थानों पर मुश्लिम महिलाएं नशे का सेवन कर रही हैं, उन्हें इससे दूर
रहना चाहिए। हालाकि नशा करना ठीक नहीं है, ये बात सौ प्रतिशत सही है, पर मुझे पता नहीं क्यों लगता है कि अब मुश्लिम महिलाएं भी देश की मुख्यधारा से जुड़ने की
कोशिश कर रही हैं।

शिक्षा का महत्त्व
उसने अपनी  क्षमता को पहचाना 
थी सब के मुंह पर एक ही बात
बेटी हो तो ऎसी हो
शिक्षा का महत्व जानती हो

भगवान के भी नहीं ...

संभावनाओं के युग मे असीमित समभावनाओ
के संसार मे
सोच को विस्तारित  करने का  वक्त है शायद
सडी   गली मान्यताओं को
तिलांजलि देने का वक्त है शायद
गाय हमारी माँ  है  के साथ साथ
जन्म देने वाली माँ के लिए  कर्तव्य  निभाने का वक्त है शायद
मान्यताए कितनी भी  सडी गली क्यों न हों
माँनवता की खुशबू से सराबोर होनी चाहिए
पांच लिंकों का चयन कर चुका था...
तभी मेरी नजर Priti Surana  जी की एक रचना पर गयी...
इस रचना को लिंक किये बिना न रहा गया...
क्योंकि ये रचना एक अटल सत्य बता रही है...
व्यवस्था से हटकर ये अंतिम रचना...


जीवन में दुःख की क्या भूमिका है???
         बहुत सोचने के बाद मुझे तो यही लगता है कि दुःख एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें व्यक्ति सही और गलत में से किसी एक को चुनकर कुछ ऐसे फैसले लेता है जो उसकीजिंदगी के सारे गणित बदल कर रख देती है । जो दुःख से डर गया वो पलायन करता है और जो इस डर से जीत गया वो परिस्थियों को अपना गुलाम बनाकर राज करता है ।कोई दुःख
से निराश होकर अपना सब कुछ खोता चला जाता है और कोई दुःख को सुख में बदलने के प्रयास में जीता चला जाता है। कोई दुःख में अपना हुनर भूल जाता है और किसी का दुःख
में हुनर निखर जाता है ।


धन्यवाद...



 

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    एक अजीब सी
    ज़द्दो-ज़हद हो गई कल
    उबर गए...
    अच्छी रचनाएँ चुनी आज भाई कुलदीप जी

    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
    2. धन्यवाद कुलदीप जी , मेरी रचना "अनमोल है बेटी "को सम्मलित करने के लिए

      हटाएं
  2. सुप्रभात
    आज पठनीय सुन्दर लिंक्स कुलदीप जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार्साहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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