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बुधवार, 23 सितंबर 2015

सब ठीक है...अंक 67

जय मां हाटेशवरी...

लम्बे अरसे से देशवासी जानना चाहते हैं कि सुभाष चन्द्र बोस का क्या हुआ? क्या वे विमान दुर्घटना
में मारे गए थे, या रूस में उनका अंत हुआ? या फिर सन् 1985 तक वे गुपचुप गुमनामी बाबा बनकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में रहे?
दूसरी तरफ आवाजें उठ रही हैं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़े वर्गों को दिये जा रहे जातिगत आरक्षण को  समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण को लागू किया जाना चाहिये...अर्थात
  आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार होना चाहिये।
ऐसे ही अनेकों मामले हैं...जो  चुनाव के समय    पर राजनीति  बनकर कभी एक दल  का पलड़ा भारी करते हैं तो कभी दूसरे का...
न इन मामलों पर कोई अपनी राय दे सकता है....और न इन का कोई हल ही खोजना चाहता है....किसी ने ठीक ही कहा है...भारत में जो चल रहा है...सब ठीक है...

दिये का रिश्‍ता देखो बाती से
---s400/ganesha-diya<br>------


स्‍नेह से दिये ने
अपने मस्‍तक लिया जब भी
'' तमसो मा ज्‍योतिर्गमय ''
का संदेश 'दीप' ने सदा
अंतिम श्‍वास तक दिया


Parashara`s Light Full version कुंडली सॉफ्टवेयर डाउनलोड करे
के बाद आपको एक सेटिंग और करनी होगी आपको इसी के फोल्डर में एक Parashara's Light 7.0 Professional Crack+instructions का फोल्डर
भी मिलेगा उसे ओपन करके आपको उसमे दी गयी फाइल को कॉपी करके आपको c ड्राइव में आकर GeoVision वाले फोल्डर के अंदर PL7 वाले फोल्डर को खोलकर आपको ये फाइल इसमें
पेस्ट करनी है जैसा आप ऊपर चित्र में देख रहे है
बस आपको इतनी ही सेटिंग करनी है अब सॉफ्टवेयर को ओपन करे और किसी की भी कुंडली बनाये



महाभारत का युद्ध 13 अक्टूबर 3139 ई. पू. को आरम्भ हुआ 
भारत के  संस्कृति व  पर्यटन मंत्री श्री महेश शर्मा जी ने आई-सर्व के द्वारा आयोजित प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि प्रदर्शित वैज्ञानिक तथ्यों एवं साक्ष्यों के माध्यम से युवक युवतियों
को विश्वास हो जायेगा कि रामायण तथा महाभारत कोई काल्पनिक उपन्यास नहीं है अपितु भारत की प्राचीन ऐतिहासिक घटनाओं का संकलन है।
श्री कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि आज से 100 वर्ष पहले ईसाई धारणा थी कि धरती की सरचना 4004 ई. पू. हुई और उसी समय के भीतर सब एतिहासिक घटनाओ को पिरो दिया गया
I कौन सोच सकता था कि आज वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऋग्वेद से आज तक 10000 वर्षों की भारतीय संस्कृति की निरतरता सिद्ध हो जाएगी।

जीना ही होगा
नहीं उनसे विश्व पालित,
यहाँ सबका ठिकाना है।

नहीं अमृत का कलश है,
प्राप्ति में श्वेदान्त रस है,
उपेक्षा का अर्क, पीना ही होगा,
तुझे जीना ही होगा।

गोपी गीत का माधुर्य
टीवी पर मुरारी बापू बोल रहे हैं. वे झकझोर देते हैं, कभी तो भीतर की सुप्त चेतना पूरी तरह से जागेगी, कभी-कभी करवट लेती है फिर सो जाती है. वे कब तक यूँ पिसे-पिसे
से जीते रहेंगे. अब और नहीं, कब तक अहंकार का रावण भीतर के राम से विलग रखेगा, जीवन में विजयादशमी कब घटेगी. संत जन प्रेरित करते हैं, कोई जगे तो प्रेम से भरे,
आनंद से महके.. वे जो राजा का पुत्र होते हुए कंगालों का सा जीवन जीते हैं. सूरज बनना है तो जलना भी सीखना पड़ेगा, अब और देर नहीं, न जाने कब मृत्यु का बुलावा
आ जाये, कब उन्हें इस जगत से कूच करना पड़े, कब वह घड़ी आ जाये जब ‘उससे’ सामना हो तब वे क्या मुँह दिखायेंगे ?



अब अंत में...एक संदेश देती ये कहानी....
धन्यवाद...

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    कई परतों को उजागर करती प्रस्तुति
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. आरक्षण ने दाता राम की भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाई हैं ,ज़रूर शोषित ,दलित ,और पिछडो को बराबरी का हक हैं पर उनकी सरकार पर निर्भरता कम होनी चाहिए क्यों न उनकी हिस्सेदारी आत्मनिर्भरता में बडाई जाए क्यों न उनको वो सम्मान दिया जाए जो हर स्वाबलंबी का हक हैं ?

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं

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