निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

4269 ..दोस्त सच्चा उसे ही समझना सदा, भूलकर भी जो नाराज़ होता नहीं..

 सादर अभिवादन



महापातकसंयुक्तो नवरात्रव्रतं चरेत् ।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो नात्र कार्या विचारणा ॥

यदि कोई महापापी भी नवरात्रव्रत कर ले तो वह समस्त पापों से मुक्ति पा लेता है 
इसमें लेशमात्र भी विचार नहीं करना चाहिए।

आज की शुरुआत



भारत से इज़रायल,
फ़िलीस्तीन से लेबनान,
बल्कि दुनिया के
किसी भी कोने में,
जो अंधेरे से
लड़ रहा है,
उसके हाथों में
शाल दे दो माँ।
कांपते हृदय में
अभय का उजाला
भर दो माँ ।




कोकाक का अरलंस्कॉय आना शादी के बाद हुआ। वहां पर उन्होंने देखा कि महिलाएं घर और खेतों में बराबरी से काम करती हैं। उन्हें लगा कि यह ठीक नहीं हैं, इन महिलाओं की बात सुनी जानी चाहिए। वो काफी समय से इस पर काम कर थी। थियेटर ग्रुप इसी का नतीजा है। गांव में कोई हॉल या सेट तो था नहीं, इसलिए कोकाक ने घर के गार्डन में ही रिहर्सल शुरू करवा दीं। धीरे-धीरे इस ग्रुप की चर्चा पूरे तुर्की में फैल गई। अब लोग इन दादी-नानियों को स्थानीय स्तर पर नाटक मंचन के लिए बुलाने लगे हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो खूब शेयर हो रहे हैं।






दोस्त सच्चा उसे ही समझना सदा,
भूलकर भी जो नाराज़ होता नहीं..


बात सारे जहाँ में ये सब जानते,
जो दग़ा दे वो हमराज़ होता नहीं..



सेरेब्रल पाल्सी







इस एक बात की कतरब्योत
वाज़िब-गैर वाज़िब तरीके से
बाज़ द‌फ़ा की गयी
बातों के दरमियाने पकड़ते
एक दिन तुम कह बैठे थे मुझसे
“देखो जो कुछ भी हुआ
नहीं होना चाहिए था”
मेरे पास दो जवाब थे
पहला “तो रोका क्यों नहीं तुमने?"


आज बस
वंदन

6 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. आज की आपकी बहुरंगी प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु ...
    आपकी आज की भूमिका में प्रस्तुत उपरोक्त पौराणिक श्लोक और उसके अर्थ से प्रेरित हो कर ही तथाकथित बुद्धिजीवियों ने इस संसार में सदियों से जी भर कर पाप - महापाप किया है और उसी उत्साह से पूजा-अर्चना भी किया है, क्योंकि व्रत-पूजा करने पर महापाप से मुक्ति मिलने की 'गारंटी' जो मिल रही है उन्हें उपरोक्त श्लोक के अनुसार .. शायद ...🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जाकी रही भावना जैसी.. मेरी समझ से, 'व्रत' की परिभाषा को अपनी सहूलियत से समझने वाले 'सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली' चरितार्थ करते हैं । लेकिन समस्त पाप नष्ट हो जाने से अभिप्राय दोषों से अपने चरित्र को मुक्त करना ही रहा होगा। भगवान की शरणागति उसे ही मिलती है जिसकी नीयत अच्छी है।

      हटाएं
  2. सराहनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन !

    जवाब देंहटाएं
  3. सखी, सादर वंदन। आज के अंक में भावनाओं का इज़हार और सरोकार दोनों का संवाद है। कहने वालों की अपेक्षा करने वाले जीवन की कसौटी पर खरे उतरते हैं। देवी माँ भी अपनी कृपा दृष्टि उन्ही पर सबसे पहले डालती होंगी जो प्रयासरत रहते हैं। तुर्किए की दादियाँ सब पर छा गईं ! मेरी प्रार्थना को भी सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद।
    'मशाल' की जगह 'शाल' छप गया है। कृपया सुधार दें।
    नया शब्द सीखा - कतरब्योंत ।
    शुभ नवरात्रि।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर रचनाओं का संकलन।
    जाकी रही भावना जैसी.. मेरी समझ से, 'व्रत' की परिभाषा को अपनी सहूलियत से समझने वाले 'सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली' चरितार्थ करते हैं। नुपुर जी की बातों से पूरी तरह सहमत।


    मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।

    जय माता दी 🙏

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...