शीर्षक पंक्ति:आदरणीय प्रफ़ेसर गोपेश मोहन जैसवाल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
गांधी जयन्ती
भारत दो
टुकड़े करवाया,
शत्रु-देश
को धन दिलवाया,
नाथू जैसे
देश-रत्न को,
मर कर
फांसी पर चढ़वाया.
राष्ट्रपिता
कहलाता था वह,
राष्ट्र-शत्रु
पर अब कहलाए,
बहुत दिनों
गुमराह किया था,
कलई खुल गयी वापस जाए.
*****
अंबे तुम्हें
मनाके..
यह राग यूं जमा के,
कदमों में सर झुका के।
फरियाद में करूँगा ,
ले दे कर कुछ टरूँगा ।।
अंबे.............
*****
1434-अग्रजा की याद में
हर बार ऐसा हुआ है
कि जब तुम याद आई हो
तो जो भी मिला मुझसे
उस शख़्स के आगे
तुम्हारी हर बात
दुहराई शिद्दत से
इस बात से बेख़बर
कि कौन समझेगा उस बात को
*****
प्रथम पूज्य गणेश
एक दिन देवों ने रखी प्रतियोगिता विचार के ओ s s s s
तीन लोक की परिक्रमा पहले करेगा तीन बार जो ओ s s s s
प्रथम पूज्य वह देवता होगा, बात बहुत है भारी
अजब हैरान.........
सुनकर देवों ने आस लगाए
*****
बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना
बदनसीब है बार एसोसिएशन कैराना जिसने
पूरे वेस्ट यू पी में एक मजबूत पहचान देने वाले, कैराना के
अधिवक्ताओं को सुरक्षित भविष्य देने वाले और अधिवक्ताओं के दुख में साथ खड़े रहने
वाले, कैराना कचहरी के अधिवक्ताओं को ही अपना परिवार समझने वाले
स्व बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट के त्याग, मेहनत, ईमानदारी का
अपमान कर ऐसे व्यक्तित्व के दोबारा जन्म लेने पर ही रोक लगा दी. आज पितृ विसर्जनी
अमावस्या के दिन मैं तो यही कहूँगी कि इस धरती पर कभी भी जन्म न लें मेरे पिता
जैसे लोग ताकि कभी भी किसी भी संस्था को अपना सब अर्पण कर ऊंचा उठाने वाला व्यक्ति
न मिले.
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉग पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद सर 🙏🙏
जवाब देंहटाएंशारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को, बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय
सादर