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सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

1662.. विषय विशेषांक 106 .. अभी न होगा मेरा अंत

स्नेहिल अभिवादन
प्रस्तुत है हम-क़दम का
अंक क्रमाक 106 

.........
सर्वप्रथम वह कालजयी रचना 
जिस पर आधारित विषय था।
सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला"
अभी न होगा मेरा अंत

मेरे जीवन का यह है जब प्रथम चरण,
इसमें कहाँ मृत्यु?
है जीवन ही जीवन
अभी पड़ा है आगे सारा यौवन
स्वर्ण-किरण कल्लोलों पर बहता रे, बालक-मन,



सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला" जी ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर और 
अद्भुत वर्णन किया है। इस कविता में उन्होंने प्रकृति की मदद से 
मानव के मन की भावनाओं को दर्शाया है।

---*-*-*-*--

विषय में दी गयी पंक्तियों को आधार मानकर
रचनाएँ लिखनी थी और हमारे
साथी रचनाकारों ने इसे
बखूबी निभाया।
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद

आइये विषय आधारित रचनाएँ पढ़ते हैं-
.......

आदरणीय साधना वैद

बदलूँगा किस्मत की भाषा
पूरी होगी हर प्रत्याशा
मुझमें अभी हौसला बुलंद
अभी न होगा मेरा अंत !

-*-*-*-

आदरणीय आशा सक्सेना

कर्तव्य निष्ठ

बहुत कुछ हो गया है संपन्न
पर अंत नहीं हुआ  है
जब तक कार्य रहेगा शेष
मेरा अवधान न भटकेगा
अंतिम सांस तक अडिग रहूँगा

-*-*-*-

आदरणीय जयन्ती प्रसाद शर्मा


बसंत गीत
मौसम हो गया खुशगवार, 
बहने लगी सुरभित बयार, 
कोयल कूक रही मतवाली, 
हुई पल्लवित डाली डाली। 
गुनगुनी धुप से खिल गये तनमन, 
हुआ दुखों का अन्त…आ गये...। 

-*-*-*-

दरणीय कुसुम कोठारी
अभी न होगा मेरा अंत

लटे संवारू आसमान की
स्वर्ग भूमि  पर पाना है
सूर्य उजास भर कर मुठ्ठी में
हर -घर उजियारा लाना है
अभी-अभी उमंगे जागी
रोने की ना बात अभी।
अभी आँखें खोली है
नहीं अंत की बात अभी।।
-*-*-*-

आदरणीय कामिनी सिन्हा
ये हवाएं ....


काश ,हम अपने जीवन में रिश्तों को भी ऐसे ही अपने अंदर समाहित कर लेते जैसे हवाओं को कर लेते हैं। उनकी ठिठुरन ,उनकी तपिस,उनकी क्रोधाग्नि ,उनकी मधुमास सी मिठास को वैसे ही सहजता से स्वीकार लेते जैसे हवाओं को करते हैं।काश, जैसे ही 
हमारे रिश्ते में असहजता आए खुद को सहज कर लेते और 
खुद से ही प्यार से बोलते- 
नारजगी छोड़ों यार ," ये हमारा अंत तो नहीं हो सकता  "

-*-*-*- 

आदरणीय सुजाता प्रिय
अभी न होगा मेरा अंत...

अंत सुनिश्चित है जग वालों ,
पर,अभी न होगा मेरा अंत।
अभी-अभी तो आया हूँ मैं,
संग में लेकर खुशियाँ अनंत।

-*-*-*-
आदरणीय रितु आसुजा जी
अभी ना होगा तेरा अंत ..

अभी तक तो तू सोया था
मद के सपनों में खोया था
अभी ना होगा तेरा अंत
अभी तो हुआ है तेरा जन्म
करके वसुन्धरा को नमन
आत्मा से बोल वन्दे मातरम्
.....
कल मंगलवार का अंक लेकर आ रही हैं
सखी श्वेता नए विषय के साथ

सादर













11 टिप्‍पणियां:

  1. विषय आधारित सुंदर प्रस्तुति , यशोदा दी आप सहित सभी रचनाकारों को सादर नमन।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर रचनाएं।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जब किसी व्यक्ति की रचना से 2-3 पंक्तियां अपनी रचना में इस्तेमाल करके उसके इर्द गिर्द सारी रचना लिख देते हैं तो मौलिकता की पीठ पर सवार होकर हम इतरा रहे होते हैं और मौलिकता हमारे वजन से दम तोड़ रही होती है।
    रचनाओं में मौलिकता के सवाल उगने चाहिए।
    हमें दिव्यांगों ( केवल जहन से ) की तरह बना बनाया खाना चाहिए
    या खुद से बनाकर खाना चाहिए।
    ये सोचें।

    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. आशा वादी और उत्सास भरने वाली निराला जी की कालजई रचना की एक पंक्ति पर खुलकर रचनाकारों ने लिखा है सभी कृतियां बहुत सुंदर बन पड़ी है।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    प्रस्तुति बहुत आकर्षक और सार्थक।

    जवाब देंहटाएं
  4. सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्ससे सजा आज का विशेषांक |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  6. आज का अंक मानस में उत्फुल्लता और उत्साह भर गया ! सभी रचनाएं बहुत सुन्दर एवं सकारात्मकता से पगी हुई ! मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति। सभी रचनाकारो को वधाई एवं शुभकामनाएँ। बहुत सुंदर लिखा सभी ने।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!बेहतरीन प्रस्तुति । सभी चयनित रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन अंक ,मेरे लेख को स्थान देने के लिए दिल से धन्यवाद दी ,आपको और सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही शानदार विशेषांक लाजवाब प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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