सादर अभिवादन।
हवा राजधानी की
आती याद नानी की
अटकी हो साँस जब
कैसी याद पानी की।
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
पारिवारिक पंचायत और मित्रों की सभा से मशवरा करने के बाद मैंने घर के खतावारों पर मानहानि का मुक़द्दमा दायर करने का इरादा छोड़ दिया है और अब इसके बदले मैंने भगवान् जी पर -
'बाल-हानि' का मुक़द्दमा दायर करने का फैसला लिया है.
अज अविनाश,
शाश्वत, सनातन
सृजन इतिहास।
वकत का ये मरहम, हर जख्म भर ही देता है ,
मेरे सिवा कही दिल लगाया तो करो .
बंद होके लिफाफे में, घर आ जाया तो करो .......
जीने न देंगी
ज़माने की रुसवाई
मरने न देगा
तेरा प्यार हरजाई
चाहते हो तुम भी मुझको
मैं यह जानतीं हूँ
यादों में मेरी तुम भी
हरपल हो खोए
चलते-चलते एक नज़र "उलूक टाइम्स" के हस्तक्षेप की
चोर के मुँह
चोर चोर कहकर
नहीं लिपट पाता हूँ
डरना भी
बहुत जरूरी है
सरदारों से भी
और उनके
गिरोहों से भी
हम-क़दम के पैंतालीसवें क़दम का विषय विवरण
..............
आज के लिये बस इतना ही
मिलेंगे फिर अगले गुरूवार।
शुक्रवारीय प्रस्तुति- आदरणीया श्वेता सिन्हा जी
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर...
वाह,
जवाब देंहटाएंलाज़वाब संकलन ,
प्यार मारने नही देगा
जमाने की रुसवाई मारने नही देगी
क्या खूब कहाँ अनुराधा जी ने।
सभी बेहतरीन हैं यू तो,
सभी रचनाकारों को बधाई।
आभार
सुन्दर गुरुवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी 'उलूक' के गधे को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचनाओं से सजा सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंछोटी पर मनभावन भुमिका ।
सभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका, सुंदर संकलन।
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं 👌
सारगर्भित भूमिका के साथ बहुत ही उम्दा रचनाओं का शानदार संकलन है आज के अंक में रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन के लिए बधाई आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर।
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
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