हमराज...आशा सक्सेना
किसीने कहा है कठिन राह
छोड़ दे साथ
पर मन नहीं मानता
यदि तुम्हारी मर्जी हो
सब कुछ छोड़ देंगे हम
पर एक ही रास्ता है ऐसा
जिसे न मोड़ पाए हम |
अधूरी ज़िंदगी ...राजीव
ज़माने की झुर्रियों में
उलझी हुई, कहानियाँ कई,
कुछ गुम गई, कुछ सुनी नहीं
कुछ अधूरी रह गई ।
आँगन की जर्जर होती दीवार से,
झाँकती ख़ामोश सुराखे,
गुज़रती सर्द हवा
समेटती बिसरी हुई दास्ताँ ।
माँ हूँ मैं....श्वेता सिन्हा
परिभाषायें बदल देनी चाहिये ...डॉ. सुशील जोशी
‘उलूक’
गिरते मकान को
छोड़ने की
सोचने से पहले
गणेश की भी
और
उसके चूहों की भी
जय जय कार करते हुऐ
अब सबको रोना है
आज बस इतना ही
फिर मिलेंगे..
यशोदा
सुप्रभातम दी,
जवाब देंहटाएंव्यावधान के.बावजूद आपकी.सक्रियता सराहनीय है।
बेहद.सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता है।
सादर आभार मेरी रचना भी शामिल करने के लिए।
सुन्दर त्योहारी अंक...
जवाब देंहटाएंसादर...
वाह बहुत ही सुन्दर संकलन। ह्रदय से आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत संकलन ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रविवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' की बकबक को शीर्षक पर स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन के लिए शुक्रिया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिंक संकलन शानदार प्रस्तुति करण...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।
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