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रविवार, 4 नवंबर 2018

1206....अब चोर को शरीफ कह कर, एक ईमानदार को लात देनी चाहिये


सादर अभिवादन
कुछ आन्तरिक व्यवधान की वजह से नियमित नही हो 
पा रही हूँ फिर भी ये पाँच लिंकों का आनन्द .आनन्द तो 
अनवरत रूप से दे ही रहा है....
साधुवाद हमारी टीम को..
चलिए चलते हैं रचनाओं की ओर....

हर मोड़ पर
मिल जाते हैं फिर फिर
न हो के जुदा
पूछे ये ख़ुदा से
ये उसकी लिखी
अपनी क़िस्मत नहीं
तो फिर क्या है,,,,,,!!


हमराज...आशा सक्सेना
किसीने कहा है कठिन राह 
छोड़ दे साथ
पर मन नहीं मानता
यदि तुम्हारी मर्जी हो
सब कुछ छोड़ देंगे हम
पर एक ही रास्ता है ऐसा
जिसे न मोड़ पाए हम |

अधूरी ज़िंदगी ...राजीव
My photo
ज़माने की झुर्रियों में
उलझी हुई, कहानियाँ कई,
कुछ गुम गई, कुछ सुनी नहीं
कुछ अधूरी रह गई ।

आँगन की जर्जर होती दीवार से,
झाँकती ख़ामोश सुराखे,
गुज़रती सर्द हवा 
समेटती बिसरी हुई दास्ताँ ।


माँ हूँ मैं....श्वेता सिन्हा

गर्व सृजन का पाया
बीज प्रेम अंकुराया
कर अस्तित्व अनुभूति 
सुरभित मन मुस्काया 

स्पंदन स्नेहिल प्यारा
प्रथम स्पर्श तुम्हारा
माँ हूँ मैं,बिटिया मेरी
तूने यह बोध कराया



परिभाषायें बदल देनी चाहिये ...डॉ. सुशील जोशी

‘उलूक’ 
गिरते मकान को 
छोड़ने की 
सोचने से पहले

गणेश की भी 
और 
उसके चूहों की भी 
जय जय कार करते हुऐ 
अब सबको रोना है 

आज बस इतना ही
फिर मिलेंगे..
यशोदा











12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभातम दी,
    व्यावधान के.बावजूद आपकी.सक्रियता सराहनीय है।
    बेहद.सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता है।
    सादर आभार मेरी रचना भी शामिल करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर त्योहारी अंक...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत ही सुन्दर संकलन। ह्रदय से आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर रविवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' की बकबक को शीर्षक पर स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  7. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    सुंदर संकलन के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  8. लाजवाब लिंक संकलन शानदार प्रस्तुति करण...

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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