त्योहार का अर्थ होता है उमंग,उल्लास, खुशी,रंग,खुशबू,प्रेम,स्नेह अपनों का साथ
और नियमित, एक ढर्रे से बंधी दिनचर्या में
बदलाव, बदलाव जो नवीन ऊर्जा का संचरण
करके मन मस्तिष्क और जीवन के प्रति
अनुराग उत्पन्न करता है।
दीपावली ज्योति,रोशनी, सकारात्मकता,शुचिता
और ऊर्जा जुड़ा त्योहार है।
हमक़दम का विषय आपके दीपावली के अनुभव पर आधारित रचनाओं का था।
कैसी रही दीपावली (अनुभव)
इस विषय को सार्थक करती, आपकी
सृजनात्मक क्षमता को व्यक्त करती
कुछ रचनाएँ लेकर आज
फिर से मैं आप के समक्ष
उपस्थित हूँ।
तो चलिए आपके द्वारा रचित अद्भुत अभिव्यक्ति के
मनमोहक संसार में
★
आदरणीय विश्वमोहन जी की रचना
उबारता गुमनामी से
गांव - गंवई को ,
सनसनाती हवाओं की
शीतल लहरी पर,
तैरता सुदूर बिरहे का स्वर।
उधर गरजता, दहाड़ता
पूरनमासी - सी
सिहुराती रोशनी में,
दम दम दमकता
दंभी शहर!
★★★★★
आदरणीय पुरुषोत्तम जी की दो रचना
कमी, आभा की थी?
या, गर्भ में दीप के, आशा कम थी?
बुझे दीप, यही प्रश्न देकर,
निरुत्तर था मैं, उन प्रश्नों को लेकर!
दृढ-स॔कल्प किया फिर उसने,
दीप्त दीपों को,
तिमिर से लड़ते देखा मैनें....
★
वो नन्हा जीवन,
क्यूँ पल रहा है बेसहारा,
अंधेरों से हारा,
फुटपाथ पर फिरता मारा....
सारे प्रश्नों के
अंतहीन घेरो से बाहर निकल,
बस चाहता हूँ सोचना,
★★★★★
आदरणीया साधना जी की दो रचना
हर हृदय ने हर्ष और उल्लास से
आनंद के छोर को गहाया हो !
हर अधर पर खुशी के तराने हों
जला डालने के सारे बहाने हों !
भर दे झोली
सँँवार दे जीवन
नतशिर हूँ आज
कर दे अनुकम्पा
पूरी कर आशा
बना दे काज !
★★★★★
आदरणीया रितु आसुजा
कीमती उपहारों के आदान प्रदान की बजाए ,कुछ मिठाइयां,कुछ कपड़े,फल,उपहार ,निर्धन जरूरतमंद बच्चों में बांट आए।
इस दीपावली हम मिट्टी के दीपक ही खरीद कर लाये
आमावस्या की रात में ,
भगवान विष्णु और लक्ष्मी के स्वागत में कुम्हार की
मेहनत से बने दीपक ही सजाए,
★★★★★
बच्चों बिन सूनी रही दीवाली।
कुछ नए प्रेम के पुष्प खिले।
झिल-मिल, झिल-मिल दीप जले,
माँ लक्ष्मी के चरण
पड़े जिस घर में
वहीं रहे लक्ष्मी का वास
★★★★
और अंत में चलते-चलते पढ़िए आदरणीय
शशि जी की लेखनी से भावपूर्ण
अभिव्यक्ति
मध्यरात्रि तक होटल के इर्द-गिर्द पटाखे बज रहे थें। परंतु पटाखों को हाथ लगाये मुझे तीन दशक से ऊपर हो गये हैं। अब सोचता हूँ कि चलो अच्छा ही है , मुझे पटाखा नहीं बनना है , जो भभक कर, विस्फोट कर अपना अस्तित्व पल भर में समाप्त कर दे, साथ ही वातावरण को प्रदूषित भी करे ..। हमें तो उस दीपक की तरह टिमटिमाते रहना है ,जो बुझने से पहले घंटों अंधकार से संघर्ष करता है, वह भी औरों के लिये, क्यों कि स्वयं उसके लिये तो नियति ने " अंधकार " तय कर रखा है..।
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आपके द्वारा सृजित आज का यह अंक कैसा लगा?
कृपया अपनअपने बहुमूल्य सुझाव
अपनी प्रतिक्रिया द्वारा अवश्य दीजिएगा।
हमक़दम के आगामी विषय के संबंध में
जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न
भूलेंं।
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन..।
साधुवाद....
सादर...
जी हृदय से आभार आपका श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंमां से जुड़ी मेरी स्मृतियों को स्थान देने के लिये। माँ के साथ गुजरी वह दीपावली मेरे जीवन में फिर लौट कर नहीं आई। हाँ,दीपोत्सव तो हर वर्ष ही होता है, पर अब न तो वह जीवन है और ना पर्व...
गुज़रा हुआ ज़माना, आता नहीं दुबारा
हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा
खुशियाँ थीं चार पल की आँसू हैं उम्र भर के
तन्हाइयों में अक़्सर रोएंगे याद कर के
दो वक़्त जो कि हमने इक साथ है ..
आज की इस मोहक प्रस्तुति में मेरी रचनाओं को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार आदरणीया श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंमाँ लक्ष्मी की अनुपम वंदना....
भर दे झोली
सँँवार दे जीवन
नतशिर हूँ आज
कर दे अनुकम्पा
पूरी कर आशा
बना दे काज !
.... बहुत ही सुंदर लगी। सभी को माँ का आशीष मिले।
बेहतरीन प्रस्तुति ...., सभी रचनाएं अत्यंत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |सुन्दर संयोजन लिंक्स का |
जवाब देंहटाएंज्योति,रोशनी, सकारात्मकता,शुचिता
जवाब देंहटाएंऔर ऊर्जा .....कुल मिलाकर आज की यह मनोहर हलचल प्रस्तुति, आदरणीय श्वेता जी की शफ़्फ़ाक श्वेत सदगमय शैली।
एक और खूबसूरत कदम।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाओं का बेहतरीन संगम सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई इस सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब......
जवाब देंहटाएंशैंदार.....
आभार सभी का......
जिनकी रचनाएं......
यहां स्थान पा सकी......
बहुत ही सुन्दर हमक़दम कि प्रस्तुति.. ..खेद है इस में मै भाग नहीं लेसकी
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन ! मेरी दोनों रचनाओं को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संकलन और प्रस्तुति, मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब संकलन सभी रचनाएं और रचनाकारों के मीठे अनुभव
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता -- बहुत ही सुंदर संकलन और दीवाली की खट्टी मीठी यादों का अहम् दस्तावेज है आज का अंक | सभी रचनाकारों ने खूब लेखनी चलाई अनुभवों को सहेजने में | सभी ने बहुत ही खट्टे मीठे अनुभव बांटे | सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | मेरी रचना अधूरी रही और मैं इस अंक में भाग न ले पायी जिसका मुझे खेद है - पर आशा पर संसार जीवित है -- अगली दीवाली ये आई ! हार्दिक बधाई आपके लिए लिंकों के संयोजन और सुंदर सार्थक भूमिका के लिए |
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण..लाजवाब रचनाओं से सजा विशेषांक ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब संयोयन हेतु साधुवाद
जवाब देंहटाएंदीपावली के अनुभव अंक में एक से एक शानदार रचनाऐं सभी रचनाकारों को बधाई ।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति श्वेता,व्यस्तता में भी मेहनत दिख रही है आपकी साफ साफ इस संकलन में,
साधुवाद।
सदा कर्तव्य पथ पर कर्मठ रहो।
बहुत सुंदर अंक ।