जय मां हाटेशवरी.....
कुछ दिनों से लौह-पुरुष की सबसे बड़ी प्रतिमा का विरोध हो रहा है.....
...पर मैं कुछ नया बनने का विरोध नहीं करता......
ये भी देश के लिये एक पर्यटक स्थल ही बन गया है.....
जो पैसा इस प्रतिमा पर खर्च हुआ है.......
संभव है.....
पर्यटक उसे एक न एक दिन लौटा ही देंगे.....
इसके बनने से न जाने कितनों को रोजगार भी तो मिला ही होगा......
और कितनों को भविष्य में यहां रोजगार मिलेगा......
ये सोचे बिना हम केवल हर नयी चीज का विरोध ही करते हैं......
अब पेश है.....आज के लिये मेरे द्वारा पढ़े गये 5 लिंक.....
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राह तुम्हारी तकते - तकते----------------कविता --
था धूल सा निरर्थक ये जीवन -
छू रूह से किया चन्दन तुमने ,
अंतस का धो सब ख़ार दिया -
किया निष्कलुष और पावन तुमने ;
निर्मलता के तुम मूर्त रूप -
कोई तुम सा कहाँ सरल साथी !!!
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अतिथि अपने घर के
सब झेलना पड़ता है, मजबूरन
सब सहना पड़ता है,
सब सह रहे हैं
अपने ही घर में अतिथि बनकर रहना पड़ता है
रह रहे हैं.....वो भी
चेहरे पर बिना किसी शिकन के...
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फिर कुछ प्रश्न......
बेनामी रिश्ते की पीड़ा
पंछी और पेड़ से पूछो,
दुनिया के रस्मो रिवाज में
इस रिश्ते को भूलूँ ? बोलो !!!
इस दिल ने क्यों मान लिया हक
किसी गैर की धड़कन पर,
कैद कहीं इस दिल को कर दूँ
या अधिकार सँजो लूँ ? बोलो !!!
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लघुकथा- परवरिश
दिपाली के चेहरे से बिल्कुल ऐसा नहीं लग रहा था कि उसने कोई गलती की हैं। वो मेरे पास आकर कहने लगी, ''मम्मी, कल आपने मुझे समझाया था न कि गुड टच और बैड टच क्या होता हैं। दादाजी कई बार मुझे टच करते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था। लेकिन ऐसे में मैं क्या करूं मुझे समझ में नहीं आता था। आपके समझाने पर मेरी समझ में आया कि ये बैड टच हैं और इसे हमें रोकना चहिए। आपने मुझे मिर्च स्प्रे दिया था और कहा था कि यदि कोई तुमको बार-बार बैड टच करे, मना करने पर भी नहीं माने तो यह मिर्च स्प्रे उसकी आंखों में डाल देना। आज तो दादाजी ने मुझे अकेली देख कर जोर से पकड़ लिया था। इसलिए मैं ने वो मिर्च स्प्रे दादाजी की आंखों में डाल दिया!!!''
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भाव के रंग
रंग उमंग के उड़ गाते
भीड़ लगाते रिश्ते नाते ,
ढोल नगाड़े चीखते रहते
हरे बांस की सजती डोली ।।
पिया के आने की आशा में
भाव रंग से बनी रंगोली.....।।
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एक प्रतिमा विशाल भी होगी ...
सब्जी, रोटी के साथ है मीठा
आज डब्बे में दाल भी होगी
उनकी यादों के अध-जले टुकड़े
आसमानी सी शाल भी होगी
यूँ उजाला नज़र नहीं आता
चुप सी जलती मशाल भी होगी
प्रेम जीता हो दिल में तो अकसर
एक प्रतिमा विशाल भी होगी
और अब बारी है हम-क़दम के पैंतालिसवें विषय की
अतिथि
सब झेलना पड़ता है, मजबूरन
सब सहना पड़ता है,
सब सह रहे हैं
अपने ही घर में अतिथि बनकर रहना पड़ता है
रह रहे हैं.....वो भी
चेहरे पर बिना किसी शिकन के...
ये विषय इसी अंक सा लिया गया है
भविष्य में भी ऐसा हो सकता है
पूरी रचना यहाँ पढ़ सकते हैं
प्रेषण तिथिः शनिवार दिनांक 17 नवम्बर 2018
प्रकाशन तिथिः सोमवार दिनांक 19 नवम्बर 2018
प्रविष्टियाँ सम्पर्क प्रारूप में ही स्वीकार्य
धन्यवाद।
सुप्रभातम् कुलदीप जी,
जवाब देंहटाएंविचारणीय भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का शखनदार संकलन है आज के अंक में।
बधाई सभी रचनाकारों को।
सादर।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंसभी बेहतरीन रचना, 👌
बेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंलघुकथा कुछ सच ही कह रही है
आभार...
सादर...
बहुत सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तूरी। मेरी रचना को 'पांच लिंकों का आनंद' में शमिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, कुलदिप जी!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक |
Kya bat
जवाब देंहटाएंPreschool in Pune
बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक संकलन शानदार प्रस्तुति करण....
जवाब देंहटाएंसभी प्रस्तुतियां एक से बढ़ कर एक
जवाब देंहटाएंनसावा जी की ग़ज़ल बेमिसाल है
सब्जी, रोटी के साथ है मीठा
आज डब्बे में दाल भी होगी
उनकी यादों के अध-जले टुकड़े
आसमानी सी शाल भी होगी
यूँ उजाला नज़र नहीं आता
चुप सी जलती मशाल भी होगी
प्रेम जीता हो दिल में तो अकसर
एक प्रतिमा विशाल भी होगी
बहुत ही सुन्दर संकलन,उत्तम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय कुलदीप जी -- आजके पञ्च लिंकों के थोड़े लेकिन सार्थक लिंकों का अवलोकन कर हार्दिक हर्ष हुआ | हालाँकि अभी सब पर लिखना संभव नहीं हो पाया पर सभी रचनाकारों को मेरी सस्नेह शुभकामनायें | मेरी रचना आपके द्वारा संयोजित लिंकों में आज दुसरी बार तो कुल मिलकर तीसरी बार पञ्च लिंकों में आई है ये मेरी रचना की सार्थकता और मेरा सौभाग्य है जिसके लिए इस मंच की आभारी रहूंगी | आपको हार्दिक आभार और बधाई , आज के सफल लिंक संयोजन के लिए | सस्नेह
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ एक से बढाकर एक
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतनशील भुमिका के साथ शानदार प्रस्तुति सभी रचनाऐं उत्कृष्ट।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंलघुकथा सम्बन्धो का सच उघाड़ता हुआ..
सभी रचनाए अति सुंदर..👌👌👌
Nice post!! I will be looking forward to read more from your end Best school in greater noida west
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