मैं संस्कृत हूं...
क्या आप जानते है विश्व की सबसे ज्यादा समृद्ध भाषा कौन सी है...
अंग्रेजी में 'THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG' एक प्रसिद्ध वाक्य है। जिसमें अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर समाहित कर लिए गए, मज़ेदार बात यह है की अंग्रेज़ी वर्णमाला में कुल 26 अक्षर ही उप्लब्ध हैं जबकि इस वाक्य में 33 अक्षरों का प्रयोग किया गया जिसमे चार बार O और A, E, U तथा R अक्षर का प्रयोग क्रमशः 2 बार किया गया है। इसके अलावा इस वाक्य में अक्षरों का क्रम भी सही नहीं है। जहां वाक्य T से शुरु होता है वहीं G से खत्म हो रहा है।
अब ज़रा संस्कृत के इस श्लोक को पढ़िये।
क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोSटौठीडढण:।
तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां सह।।
समझदार को इशारा काफी है
चलिए आगे देखें
उस दिन सूरज की किरणों के जगाने से पहले ही नींद उचट गई। पिछली रात की बारिश से वातावरण में ठंडक समाई हुई थी। चलते चले जाने का मन हुआ दूर तक इन सर्पिलाकार सड़कों पर जो बारिश की नमी से भीगी हुई थीं। रविवार की छुट्टी वाला बेफिक्री भरा दिन। मन प्रसन्न था और सोच स्वतंत्र। ज़िंदगी कभी इतनी रहम दिल भी हो जायेगी सोचा नहीं था। बीती -बिसरि स्मृतियों को जोड़ते - तोड़ते निरुद्देश्य चलते रहने का भी अपना आनंद है।
धर्मेंद्र की पहचान सिर्फ एक्शन से नहीं, बल्कि उनके मानवीय स्पर्श से बनी. वह गुस्से में भी सज्जन थे, और लड़ाई में भी सच्चे. उनके स्टंट्स में हिंसा नहीं, इंसाफ की चाह थी. आज की पीढ़ी अगर धर्मेंद्र को ‘रेट्रो एक्शन स्टार’ कहती है, तो ये याद रखना चाहिए कि उन्होंने स्क्रीन पर वह किया था जो जिंदगी में हर किसी को करना पड़ता है- मुश्किल हालात से लड़कर मुस्कुराना.
अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यही वह नगरी है, जहां से श्रीराम ने अपना जीवन पथ शुरू किया। इसी अयोध्या ने संसार को बताया कि कैसे एक व्यक्ति समाज की शक्ति से उसके संस्कारों से पुरुषोत्तम बनता है। जब राम अयोध्या से गए तो युवराज राम थे, लेकिन जब लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए। इसमें अगिनत लोगों की भूमिका रही। विकसित भारत बनाने के लिए सामूहिक स्तर की भूमिका है।
गमले में लगा
पौधा बन गया हूं
ना तो मेरी जड़ें
जमीन को छू पाती हैं
ना ही मैं आसमान को चूम पाता हूँ ,
चाहता हूं
कि कोई मुझे
गमले से निकाल कर
फिर से ज़मीन में लगा दे
नीलेश का कॉलेज में बहुत नाम है, वह सभी लोगों को ड्रैग सप्लाई करता है. मेरी उससे दोस्ती हो गयी तो उसने एक बार नशे में अपना राज खोल दिया -
“मुझे रैगिंग के नाम पर ड्रग दी गयी, मेरे नहीं लेने पर सीनियर ने बहुत मारा, सेक्स के लिए जबरदस्ती धकेला गया, नामर्द कहा…. कई बार हम मित्रों के पैसे ख़त्म हुए तो ड्रग लेने के लिए हमने चोरी की, लड़कियों से सेक्स करके उन्हें छोड़ दिया, आजकल सभी ऐसे हो गए हैं. ड्रग लेने के लिए हमें उन पेडलर की बात माननी पड़ती है , अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर उन्हें भी इस सबमें शामिल करो. अब मै बाहर आना चाहता हूँ लेकिन नहीं आ सकता, ये नशा अब मुझे जीने नहीं देता है. काश मैंने रैगिंग के खिलाफ आवाज उठाई होती, मै अपने हम उम्र दोस्तों की नजर में गिरना नहीं चाहता था. …. मदहोशी में बोलते हुए व सो गया. “
जब भी मिलें नजरें लब पे मुस्कराहट हो
रिश्तों में ऐसी आबो-हवा रख लेना
धूप तो आनी-जानी शय है
किसी काँधे पे रख के सर, थोड़ा आराम कर लेना
आज बस
कल फिर
सुप्रभात ! संस्कृत एक जीवंत और वैज्ञानिक भाषा है, सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
जवाब देंहटाएंधूप तो आनी-जानी शय है
किसी काँधे पे रख के सर,
थोड़ा आराम कर लेना
वंदन
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंशामिल करने के लिए धन्यवाद । फिर छिड़ी बात फूलों की , रचना में कमेंट का ऑप्शन ही नहीं है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंBahut sundar ank aur sundar prastuti sanskrit bhasha se :) dhanyavaad!
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