सुमित्रानंदन पंत
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मैं सबसे छोटी होऊॅं
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मैं सबसे छोटी होऊँ,
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ!
बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!
अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ—दिखा दे चंद्रोदय!
रमेश तैलंग
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वाह! मेरे घोड़े
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एक क़दम, दो क़दम, तीन क़दम ताल,
वाह, मेरे घोड़े क्या तेरी चाल!
एक क़दम, दो क़दम, तीन क़दम ताल,
भाग मेरे घोड़े, चल नैनीताल!
एक क़दम, दो क़दम, तीन क़दम ताल,
ले मेरे घोड़े चने की दाल!
एक क़दम, दो क़दम, तीन क़दम ताल,
खाकर दिखा फिर अपना कमाल!
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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हाथी
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सूंड उठा कर हाथी बैठा
पक्का गाना गाने, मच्छर
इक घुस गया कान में,
लगा कान खुजलाने।
फटफट-फटफट तबले
जैसा हाथी कान बजाता,
बड़े मौज से भीतर
बैठा मच्छर गाना गाता।
पूछ रहा है एक-दूसरे से
जंगल—‘ऐ भैया, हमें बता दो,
इन दोनों में अच्छा कौन गवैया?
शुभम् श्री
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मोज़े में रबर
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वन क्लास के गोलू ने सेकेंड
क्लास की मॉनीटर से
सुबह-सुबह अकेले में
शरमाते हुए
प्रस्ताव रखा :
अपनी चोटी का रबर दोगी खोल कर?
‘सर मारेंगे’
‘दे दो ना,
सर लड़की को नहीं मारेंगे
मेरा मोज़ा ससर रहा है!’
श्री प्रसाद
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ऐसे सूरज आता है
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पूरब का दरवाज़ा खोल
धीरे-धीरे सूरज गोल
लाल रंग बिखरता है
ऐसे सूरज आता है।
गाती हैं चिड़ियाँ सारी
खिलती हैं कलियाँ प्यारी
दिन सीढ़ी पर चढ़ता है।
ऐसे सूरज बढ़ता है।
लगते हैं कामों में सब
सुस्ती कहीं न रहती तब
धरती-गगन दमकता है।
ऐसे तेज़ चमकता है !
गरमी कम हो जाती है
धूप थकी सी आती है
सूरज आगे चलता है
ऐसे सूरज ढलता है।
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बाल दिवस की याद दिलाने का शुक्रिया | सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंयाद तो मुझे भी नहीं था
जवाब देंहटाएंआभार
समयानुकूल चयन
साधुवाद
सादर
मेरा मोज़ा सरर रहा है, कितनी प्यारी सी बाल कविता, बाल दिवस की शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक,
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