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गुरुवार, 6 नवंबर 2025

4563...सोन, नर्मदा, चंबल, क्षिप्रा, सिंचित प्यारा मध्यप्रदेश...

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कविता रावत जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-

हाइकु मुक्तक-२

*****

बाग घर आँगन लिपवा लो

भाभी यह दालान लिखवा लो

पर अपने हिस्से भैया का प्यार नहीं दूँगा

 घुटनों के बल चले जहाँ पर खाए खील बताशे

दीवाली में लपट लाँघते खुब बजाए ताशे

यह माँ का कंगन बिकवा लो

भाभी यह अनबन मिटवा लो

पर इस आँगन में बनने दीवार नहीं दूँगा।

*****

मेरे ग़ज़ल संग्रह का द्वितीय संस्करण

मेरे ग़ज़ल संग्रह का द्वितीय संस्करण छप गया. नए कवर को डिजाइन किया है प्रोफ़ेसर अरुण जेतली जी ने. प्रकाशक लोकभारती. मूल्य 250 रूपये मात्र.

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हृदय देश का मध्यप्रदेश: महेश सक्सेना

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फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


5 टिप्‍पणियां:

  1. जनमे राम, हर्षाए पुरवासी, सजी नगरी
    बजे बधावे, गावें मंगल गान, धरें गगरी
    सुंदर अंक
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरे हाइकु मुक्तकों को आज की हलचल में स्थान देने के लिए ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी ब्लॉग पोस्ट को हलचल में शीर्षक सहित सम्मिलित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, आभार

    जवाब देंहटाएं

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