शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कविता रावत जी की रचना से।
सादर
अभिवादन।
पढ़िए
आज की पसंदीदा रचनाएँ-
बाग घर आँगन लिपवा लो,
भाभी यह दालान लिखवा लो
पर अपने हिस्से भैया का प्यार नहीं दूँगा
दीवाली में लपट लाँघते खुब बजाए ताशे
यह माँ का कंगन बिकवा लो
भाभी यह अनबन मिटवा लो
पर इस आँगन में बनने दीवार नहीं दूँगा।
*****
मेरे ग़ज़ल संग्रह का द्वितीय संस्करण
हृदय देश का मध्यप्रदेश: महेश सक्सेना
जनमे राम, हर्षाए पुरवासी, सजी नगरी
जवाब देंहटाएंबजे बधावे, गावें मंगल गान, धरें गगरी
सुंदर अंक
वंदन
सुप्रभात! अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनया कुछ जाना । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरे हाइकु मुक्तकों को आज की हलचल में स्थान देने के लिए ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉग पोस्ट को हलचल में शीर्षक सहित सम्मिलित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
जवाब देंहटाएं