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गुरुवार, 27 नवंबर 2025

4584...ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं

गुरूवारीय अंक में
आपसभी का हार्दिक अभिनन्दन।
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सोचती हूँ
भ्रमित लेंस से बने
चश्मे उतार फेंकना ही
बेहतर हैं,
धुंध भरे दृश्यों 
से अनभिज्ञ,
तस्वीरों के रंग में उलझे बिना,
ध्वनि,गंध,अनुभूति के आधार पर
साधारण आँखों से दृष्टिगोचर
दुनिया महसूसना 
 ज्यादा सुखद एहसास हो 
शायद...।
 

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आज की रचनाएं-

पीड़ा  का मैग्मा - और आसन्न विस्फोट


मत भूलिए
जिस दिन
यह ज्वालामुखी फूटेगा,

निकलेगी असीमित मात्रा में
दमित तपिश,
आक्रोश का लावा,
और संपीड़ित घुटन की राख।


ऐसी आबो-हवा


ये छाँव चलेगी तुम्हारे सँग-साथ 
इसे मुट्ठी में क़ैद कर लेना 

ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं 
इसके सजदे में दिन-रात शादाब कर लेना 


जहॉं धर्म है वहीं विजय है


वहाँ ना कोई छल और भय है 
जो धर्म की रक्षा करता है 
वही विजयी कहलाता है 
हठ विप्लव की वृष्टि करता 
विनाश कर्म की पुष्टि करता 


 जेन जी की वर्तमान की समस्या 


कॉलेज के अंतिम वर्ष की छात्रा निशा कहती है - “ आज की जनरेशन पुरानी बातों में यकीन नहीं रखती है. हमारे माता पिता समझते ही नहीं है कि शादी ही जीवन का आखिरी विकल्पं नहीं है ,यदि हम अपने पार्टनर से खुश नहीं है तो तलाक ले सकतें हैं, समझौता क्यों करें. आजकल डेटिंग ऍप उपलब्ध है. डेट करना बहुत नार्मल सी बात है. हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकतें है इसीलिए एक दूसरे को समझने के लिए  डेट  करते हैं.  यदि हमारे विचार आपस में मिले तो ठीक है नहीं तो अपनी राहे अलग कर लो.


मिथक से परे -(५)


साढ़े नौ बजे हम एक फेरी से नागमणि अथवा नागपूष्णी मंदिर (इंद्राक्षी देवी) देखने गये। जो नैनातिवू  द्वीप पर स्थित अति विशाल, भव्य, ऐतिहासिक मंदिर है।नागपूष्णी अम्मन मंदिर जाफना से 36 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां माता सती की पायल गिरी थी। पार्वती को समर्पित चौसठ शक्तिपीठों से यह भी एक शक्ति पीठ है।यहाँ पार्वती को नागपूष्णी और भगवान शिव को रक्षेश्वर के रूप में पूजा जाता हैं। पार्वती देवी भुवनेश्वरी का सगुण रूप हैं। 

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आज के लिए इतना ही
मिलते है अगले अंक में।
सादर आभार।

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7 टिप्‍पणियां:

  1. उव्वाहहहह
    शोधग्रंथ चालू आहे
    शानदार
    स्वागत है
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. कहां गए भाई रवींद्र जी
    जहीं भी होंगे सही जगह ही होंगे
    शायद आज आ जाएं
    सादर आभार सखी
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! दुनिया जैसी है वैसी ही नज़र आये इसके लिए हर चश्मा उतार ही देना होगा, सार्थक भूमिका और लिंक्स की सुंदर प्रस्तुति, आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर संकलन ,आभार हमें शामिल करने के लिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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