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बुधवार, 19 नवंबर 2025

4576..उजास जब जन्म लेती..

 उषा स्वस्ति 

"न बुझी

आग की गाँठ है

सूरज :

हरेक को दे रहा रोशनी—

हरेक के लिए जल रहा—

ढल रहा—

रोज़ सुबह निकल रहा-

देश और काल को बदल रहा !"

~ केदारनाथ अग्रवा

बदलते मौसम के साथ बुधवारिय प्रस्तुतिकरण को आगे बढाते हुए..

 आइए, चले…देश के आखिरी गांव !!



वैसे तो, पूरा हिमाचल प्रदेश ही रोमांच और प्रकृति के अबूझ रहस्यों से भरपूर है लेकिन यहां भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां सड़क मार्ग से गुजरकर आप देश की सबसे रोमांचक यात्राओं में से एक का आनंद ले सकते हैं। तो चलिए, हम चलते हैं हिमाचल ..

✨️

गुठलियां

सर्दियों में सिहर गईं गुठलियां

माटी भी ऊष्मा अपनी खोने लगी

ऋतु परिवर्तन है या आकस्मिक

घाटी भी करिश्मा से रोने लगी..

✨️

डाक बक्सा 

तेरा लाल रंग कहीं पीला पड़ा 

तो कहीं काला और बदरंग हुआ 

और तू 

खाली खाली वीरान सा 

खामोश खड़ा 

शायद सोचता होगा ..

✨️

मुझे अच्छी लगती हैं वे लड़कियाँ


जो झीरी-भर रोशनी को

क़िस्मत का वरदान मानने से इंकार कर देती हैं—

जो अँधेरे की औक़ात

पहले ही कदम पर तय कर देती हैं।

जिन्हें उम्रभर..

✨️

जश्न जारी है

***


तिनके के लिए भी राह न बची
उम्मीद के दरवाज़े बंद हो गए 
खिड़की ने अपने पल्ले ठेलकर
निश्चित किया कि प्रवेश निषिद्ध    

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्‍ति '..✍️

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात!! रोज़ सवेरे सबको जगाता है, बिना थके रोशनी बाँटता शाम को सो जाता है, सूरज की महिमा कोई क्या गये, सुंदर भूमिका और पठनीय लिंक्स

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