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मंगलवार, 18 नवंबर 2025

4575.... सत्य की ताकत मौन प्रसार

 मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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उम्मीद
 शब्द में सकारात्मकता और अलौकिकता 
से पूर्ण ऊर्जा प्रवाहित होती है।  जब तक मानव का अस्तित्व है तब तक सृष्टि के कण-कण में उम्मीद के स्पंदन को महसूस किया जा सकता है। 
मेरी लिखी कुछ पंक्तियाँ-
जब दुनिया तम की डिबिया बन जाती है
जब टूट के हिम्मत पाँवों में चुभ जाती है
कभी पतझड़ और वीरानी से
कभी कुहरा और सुनामी से
जब जीवन पथ पर आँखें धुँधलाती है
दो पग बढ़ना कठिन लगे
जीवन प्रश्न-सा जटिल लगे
जब खुशी नीड़ की तिनकों-सी उड़ जाती है
तब हौले से थाम कर हाथ
 देकर हौसलों का साथ
एक नन्हीं किरण "उम्मीद"की नेह से मुस्काती है।
बनके बाती चीर के तम अंधियारा दूर भगाती है।।

ये पंक्तियाँ जीवन में कभी मुझे निराश होने नहीं देती।
 चाहे परिस्थिति कुछ भी हो उम्मीद की एक किरण,सब अच्छा होगा जैसा सांत्वना के शब्द मन और विचारों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करते है।
ये तो सच है जीवन से जो चाहो वो मिल ही जाए जरुरी नहीं होता है। विपरीत परिस्थितियों में, टूटते जीवन डोर और घने अंधकार में भी जीवन की एक झलक पाने की उद्दाम ललक उम्मीद अर्थात् आशा कहलाती है।
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आज की रचनाऍं-


बंद मुट्ठी में देखो अपनी!
श्रम असीम छुपा है!
तम को जो मिटा दे जग से
वो पावन उजास छुपा है!
पीड़ मानवता की  हरना 
बस लक्ष्य तुम्हारा हो !!



और सत्य की ताकत मौन प्रसार है। सत्य चीखता नहीं है। यह केवल आत्म स्वीकृति है। सत्य जिसके पास है वह, और सत्य से जो प्रभावित हुआ, वह। दोनों मौन है। 

तय हमे करना है। हमको इतना साहसी होना पड़ेगा..! यह बहुत छोटा प्रयास है। पहला प्रयास यह करें कि अच्छाई को प्रचारित करें। उसे फैलाएं..। वायरल करें। कहें कि वह, ईमानदार है। वह सत्य है। यह कैसे होगा।




सूने वन में 
बनजारों के संग 
वंशी, मादल का मिलना,
उस पठार की 
भूमि धन्य है 
जिसमें हो फूलों का खिलना,
गंगा की धारा में 
जैसे कोई 
मांझी शंख बजाये.


एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र 
ज़िन्दगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे 
कोई फ़रियाद तिरे दिल में दबी हो जैसे 
तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे  
जागते-जागते इक उम्र कटी हो जैसे 
जान बाक़ी है मगर साँस रुकी हो जैसे 




है वेदों की वाणी में गूँजते उनके नाम,
पुरखों की तप में बसता आत्मा का धाम।
सगर का बल, भगीरथ की विनम्र आराधना,
हर राजा में झलकी उनकी ही साधना।



यह एक प्राचीन और विशाल गुफा मंदिर परिसर है। इसे अक्सर 'दांबुला गुफा मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। श्रीलंका के सबसे बड़े इस मंदिर के परिसर में बुद्ध के जीवन और जातक कथाओं पर आधारित डेढ़ सौ से भी अधिक मूर्तियाँ हैं।यहाँ दो हज़ार वर्ष  से भी पुराने भित्तिचित्र हैं। यह मंदिर बाईस शताब्दियों से अधिक समय से भिक्षुओं का निवास स्थान रहा है और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।




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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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4 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात!! वाक़ई उम्मीद का दीया जलता रहे तो हर अंधकार मय पथ पार हो जाता है! सार्थक व सुंदर भूमिका और पठनीय सूत्र, 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन अंक, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद 🙏

    जवाब देंहटाएं

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