निवेदन।


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रविवार, 30 नवंबर 2025

4587 ..टहनियां बीन लाती हैं बगीचे से खाना पकाने के लिए

 सादर अभिवादन

शनिवार, 29 नवंबर 2025

4586 ..क्या आप जानते है विश्व की सबसे ज्यादा समृद्ध भाषा कौन सी है...

 सादर अभिवादन

शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

4585...हर मोड़ सरल नहीं होता, हर राह सीधी नहीं होती...

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया फ़िज़ा जी  की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

आइए पढ़ते हैं शुक्रवारीय अंक की रचनाएँ- 

वर्ष 32 

कुछ है कारण, बादल बन आए ये सावन,
रंगों का सम्मोहन, भीगे मौसम के आकर्षण,
खिलते, अगहन में पीले-पीले सरसों,
भीगे, फागुन की आहट,
चाहत के, ये अनगिन रंग वर्षों!
हां, समाहित हो तुम, यूं मुझमें ही वर्षों....

*****

हर फ़िज़ाकी पहचान अलग होती है

ज़िंदगी भी कुछ ऐसी ही पहेलियों से भरी है,

हर मोड़ सरल नहीं होता, हर राह सीधी नहीं होती।

पतझड़ भी आता है अपने समय पर,

और कभी-कभी टहनियाँ वक़्त से पहले साथ छोड़ जाती हैं।

*****

जन्मदिन का बाल गीत

गुब्बारों से हॉल सजाती,
दीदी हँसकर आती।
दिन भर झगड़े की छुट्टी कर,
बहुत भली बन जाती।
दोस्त सभी समय पर आकर,
देते शुभ बधाई।
दादी कहती बैठो बेटा,
खाओ खूब मिठाई।

*****

वेद प्रकाश शर्मा और शिखंडी

उपन्यास का नाम शिखंडी इसलिए रखा गया है क्योंकि महाभारत महाकाव्य में शिखंडी नामक एक पात्र है जिसकी ओट में से अर्जुन ने भीष्म पितामह पर बाण बरसाए थे और पितामह उनका उचित प्रत्युत्तर इसलिए नहीं दे पाए क्योंकि शिखंडी पूर्व में स्त्री था एवं पितामह ऐसे व्यक्ति पर प्रहार नहीं कर सकते थे; उपन्यास का केंद्रीय पात्र पारस शिखंडी की ही भांति है जिसकी ओट में से वास्तविक अपराधी अपनी चालें चलता है। पारस को शिखंडी बनाकर ही उसने अपने सम्पूर्ण षड्यंत्र का ताना-बाना बुना था।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


गुरुवार, 27 नवंबर 2025

4584...ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं

गुरूवारीय अंक में
आपसभी का हार्दिक अभिनन्दन।
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सोचती हूँ
भ्रमित लेंस से बने
चश्मे उतार फेंकना ही
बेहतर हैं,
धुंध भरे दृश्यों 
से अनभिज्ञ,
तस्वीरों के रंग में उलझे बिना,
ध्वनि,गंध,अनुभूति के आधार पर
साधारण आँखों से दृष्टिगोचर
दुनिया महसूसना 
 ज्यादा सुखद एहसास हो 
शायद...।
 

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आज की रचनाएं-

पीड़ा  का मैग्मा - और आसन्न विस्फोट


मत भूलिए
जिस दिन
यह ज्वालामुखी फूटेगा,

निकलेगी असीमित मात्रा में
दमित तपिश,
आक्रोश का लावा,
और संपीड़ित घुटन की राख।


ऐसी आबो-हवा


ये छाँव चलेगी तुम्हारे सँग-साथ 
इसे मुट्ठी में क़ैद कर लेना 

ये दुनिया किसी जन्नत से कम नहीं 
इसके सजदे में दिन-रात शादाब कर लेना 


जहॉं धर्म है वहीं विजय है


वहाँ ना कोई छल और भय है 
जो धर्म की रक्षा करता है 
वही विजयी कहलाता है 
हठ विप्लव की वृष्टि करता 
विनाश कर्म की पुष्टि करता 


 जेन जी की वर्तमान की समस्या 


कॉलेज के अंतिम वर्ष की छात्रा निशा कहती है - “ आज की जनरेशन पुरानी बातों में यकीन नहीं रखती है. हमारे माता पिता समझते ही नहीं है कि शादी ही जीवन का आखिरी विकल्पं नहीं है ,यदि हम अपने पार्टनर से खुश नहीं है तो तलाक ले सकतें हैं, समझौता क्यों करें. आजकल डेटिंग ऍप उपलब्ध है. डेट करना बहुत नार्मल सी बात है. हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकतें है इसीलिए एक दूसरे को समझने के लिए  डेट  करते हैं.  यदि हमारे विचार आपस में मिले तो ठीक है नहीं तो अपनी राहे अलग कर लो.


मिथक से परे -(५)


साढ़े नौ बजे हम एक फेरी से नागमणि अथवा नागपूष्णी मंदिर (इंद्राक्षी देवी) देखने गये। जो नैनातिवू  द्वीप पर स्थित अति विशाल, भव्य, ऐतिहासिक मंदिर है।नागपूष्णी अम्मन मंदिर जाफना से 36 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां माता सती की पायल गिरी थी। पार्वती को समर्पित चौसठ शक्तिपीठों से यह भी एक शक्ति पीठ है।यहाँ पार्वती को नागपूष्णी और भगवान शिव को रक्षेश्वर के रूप में पूजा जाता हैं। पार्वती देवी भुवनेश्वरी का सगुण रूप हैं। 

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आज के लिए इतना ही
मिलते है अगले अंक में।
सादर आभार।

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बुधवार, 26 नवंबर 2025

4583..कौन हो तुम

 ।।प्रातःवंदन।।

आधार जग का उदित रवि, अति आदि स्रोत है प्राण का,

अति तप्त ज्योति के रश्मि पुंज हे! विश्व रूप महान का।

रवि मूल जीवन स्रोत्र इसकी, रश्मियों में प्राण हैं,

जग के सभी व्यवहार, प्राणी, सूर्य बिन निष्प्राण हैं !

~डा. मृदुल कीर्ति 

लिजिए बुधवारिय प्रस्तुतिकरण....


आज सदियों के घाव भर रहे हैं, सदियों की वेदना विराम पा रही है, सदियों का संकल्प सिद्ध हो रहा है

ध्वज पताक तोरन पुर छावा। कहि न जाइ जेहि भाँति बनावा॥

सुमनबृष्टि अकास तें होई। ब्रह्मानंद मगन सब लोई॥

आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष-बिंदु की साक्षी बन रही है। #श्रीराम_जन्मभूमि_मंदिर के #शिखर_ध्वजारोहण उत्सव का यह क्षण अद्वितीय और अलौकिक है। सियावर रामचंद्र की जय!

अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण संपन्न हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्मध्वजा फहराई। इस दौरान उनके साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे। ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने रामभक्तों को संबोधित किया।..

✨️

रेत पर बिखरे उत्तर



रेत पर बिखरे उत्तर

कभी

धूप में झिलमिलाते उस सुनसान विस्तार से

दृष्टि मत मोड़ना—

उसका वही एक चकत्ता,

जहाँ पृथ्वी

एड़ियों में अपनी पहली धड़कन

धीरे-धीरे रख देती है।

✨️

कौन हो तुम 

जो समय की खिड़की से

झांक कर ओझल हो जाती हो 

तुम्हारे जाने के बाद 

तुम्हारे ताज़ा निशान 

भीनी खुशबू और 

गुम हो जाने वाला पता ..

✨️

बिना मेरे कैसे वक़्त गुज़ारोगे मुझे छोड़ने के बाद 

दिल को क्या कह बहलाओगे मुझे छोड़ने के बाद ।


तुझ से कौन करेगा मोहब्बत मुझे छोड़ने के बाद 

किसी और का न हो पाओगे मुझे छोड़ने के बाद 

जो मेरी ऑंखों में अश्क़ों का तोहफ़ा दिया तुमने 

तरस जाओगे तुम चाहत को मुझे छोड़ने के बाद ।

✨️

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️


मंगलवार, 25 नवंबर 2025

4582...घर की दीवारें ...

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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अलविदा 
 8 दिसम्बर 1935 - 24 नवम्बर 2025

ज्ञान-अज्ञान,जड़-चेतन के गूढ़ प्रश्न,
ब्रह्मांड में स्पंदित नैसर्गिक आलाप।
निर्माण के संग विनाश का शाप,
जीवन लाती है मृत्यु की पदचाप।
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आज की रचनाऍं-

रात की तन्हाई में, इक चाँद, कुछ तारे भी थे
तेरे उजाले में मगर, उनका नशा सारा गया॥

इश्क़ के कूचे में हमने, नाम जब तेरा लिया
ग़मज़दा अपना फ़साना, लम्हों में सारा गया॥

रहने की, तेरे दिल के कोने में, लगन ऐसी जगी
हम जहाँ भी रहते थे, वाँ का पता सारा गया॥




घर की दीवारें
शफ़क़ की तरह गुलाबी नहीं
कसक की तरह भूरी हो जाती हैं
जब पड़ोसी रिश्तेदार
सवालों को नमक की तरह फेंकते हैं—
"लड़की ठीक है न?"
"कहीं कोई रोग तो नहीं ?"
"कोई पसंद क्यों नहीं करता ?"
"या लिव इन में तो नहीं…?"




इसी मंदिर के निकट एक ऐसी जगह और है जिसका नाम रावण से जुड़ा है।इसे रावण वेट्टा कहते हैं ।ऐसा माना जाता है कि रावण ने अपनी तलवार से इस चट्टान को काटा था। मंदिर के पीछे एक स्थान पर लकड़ी के कई छोटे छोटे पालने लटक रहे थे।माधवानंद जी ने बताया,  संतान प्राप्ति के लिए लोग यहाँ मन्नत माँगते हैं। 




दिन रात तेरे अक्स को उतार कल्पनाओं में 
पूजती रही मन ही मन शाश्वत भावनाओं में 
तुम पूजा ना सके साध ज़िन्दगी की एक भी 
क्या कमी रही बताओ ना मेरी साधनाओं में 



अक्सर 'बालकॉनी' में गौरैयों, कबूतरों या पंडुकों की आवाज़ें सुनकर ख़ुश होने वाला बिट्टू .. अचानक 'बालकॉनी' से कुछ कौवों की काँव- काँव की आवाज़ें अभी अपने कानों में पड़ते ही ख़ुश होते हुए अपनी दादी से कहता है - " दादी माँ ! देखो आज कौवा भी आया है। "

दादी माँ - " हाँ रे ! .. लगता है आज अपने घर कोई ना कोई मेहमान आने वाला है .. तभी तो ये लोग इतना हल्ला कर रहे हैं। "



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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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सोमवार, 24 नवंबर 2025

4581 ..हर कोई डाले है जाने क्यों हम पर झूठ मूठ रुआब

 सादर अभिवादन

कल एक खास बात हुई
कुछ अलग सा खाने का मन हुआ
अस्पताल का माहोल सो सादा ही खाना मंगाना पड़ा
मैंनें जीरा राईस का आर्डर किया
खाना आया सामने रख दिया गया
एक जीरा हिला और आगे बढ़ने लगा
कृपया बताएं मुझे किया करना चाहिए???

रविवार, 23 नवंबर 2025

4580 ..बहुत दिनों के बाद आज फिर फूलों से संवाद हुआ.

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