इस रविवार से हर रविवार को
माननीय कुलदीप सिंह जी
आपको अपनी पसंद के
रास्ता इक और आयेगा निकल
हौसले से दो क़दम आगे तो चल
लोग कहते हैं भले ,कहते रहें
तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल
फ़ीते फट जाए तो जूते फेंका नहीं करते
आग लग जाए तो भुट्टे सेंका नहीं करते
जीवन है निर्धारित, जीवन है नियमित
कभी हम ऐसा तो कभी वैसा नहीं करते
अपने हाथों को
मैंनें स्वयं ही बांध रखा है
कि पांच से अधिक लिंक नहीं देना है
वजह से आप भलीभांति परिचित हैं
तमन्ना है की कोई हमारी सख्शियत से भी प्यार करे।
वरना हैसियत से प्यार तो तवायफ़ें भी करती हैं।
आज्ञा दें...
यशोदा
बढ़िया । पाँच बहुत हैं । आप का काम आपने बता दिया । बाकी पाठक की मर्जी ।
जवाब देंहटाएंवाह, नये अंदाज में हलचल...आभार
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी सभी लिंक्स बहुत बढ़िया लगे ...
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