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रविवार, 25 सितंबर 2022

3527 ..कल विराजेंगी माताश्री और कल ही है महाराजा अग्रसेन जी की जयन्ती

सादर अभिवादन
आज अंतिम दिन
पितृपक्ष का
जाओ बाबूजी..जाइए माता श्री
काफी से अधिक
अहसान हैं हम पर
कभी उऋण नहीं हो सकते
जाइए पर
मन में रहिए हरदम
हमारी मदद के लिए

कल विराजेंगी माताश्री
और कल ही है
महाराजा अग्रसेन जी की जयन्ती

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बहुत
बहुत पहले
देवकी
यशोदा
कौशल्या
सुमित्रा
कैकयी
माया
त्रिशला
मरियम
और
अमीना
बन के
धरती पे आया था





ज़िंदगी इम्तेहान लेती है ,सौ फीसदी लेती है रोज़
हर पल दिमागी सतर्कता ,जरूरी रखना होता है रोज़
घर -गृहस्थी ,शिक्षा ,व्यापार हर छेत्र में इम्तेहान होता रोज़
सावधानी हटी,दुर्घटना घटी उक्ति इस्तेमाल होती रोज़





कुछ प्यार के इजहार मे हैं
और कुछ खोए हुए प्यार मे हैं,
बस, फर्क इतना है, ऐ दोस्त!
कि तुम इस दयार मे हो,
और हम उस दयार मे हैं।





मैं नहीं सोचती तुम्हें,
मन कांप जाता है,सोच कर ,
कैसे! हवा सा एक व्यक्तित्व
गुम हो गया देखते ही देखते।
अभी थे,अब नहीं हो





सब कुछ लौटकर आता है
एक अंतराल के बाद
अपनी प्रतिक्रिया निभाकर
जल ...
कैसे रूक जाऊं
क्यों थक जाऊं
आगे बस आगे की ओर
बढ़ना ही तो मेरा लक्ष्य है





कितने ही अंशों में
विभाजित मैं
भूलती अपना अस्तित्व
कौन हूँ मैं ??


आज बस

सादर 

6 टिप्‍पणियां:

  1. पितृपक्ष में सभी को नमन

    उम्दा लिंक्स चयन
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन चयन ।
    महालया की शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही अच्छी रचनाओं का चयन है...। सभी रचनाकार साथियों को खूब बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन संकलन .. धन्यवाद मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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