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रविवार, 11 सितंबर 2022

3513 आज से सब पितर आएंगे, फल्गु के तट पर

 सादर अभिवादन

पितृ-पक्ष का प्रथम दिवस
महत्वपूर्ण पक्ष वर्ष का
दिवंगत माता-पिता का कहा जाता है ...

माना कि मैं तेरे साथ नहीं, तेरे पास नही,
तुझ से मगर दूर भी नहीं, जुदा भी नहीं,

तेरे वजूद में रचा बसा हूँ, कस्तूरी की तरह,
तेरी नस नस में समाया हूँ, लहू की तरह,

अब रचनाएं देखें



पिण्डदान करते हुये
पापा आपके साथ
दादा का परदादा का
स्मरण तो किया ही
माँ के साथ
नानी और परनानी को
स्मरण करने पे
श्रद्धा के साथ गर्व भी हुआ
ये 'गया' धाम निश्चित ही
पूर्वजों के अतृप्त मन को
तृप्त करता होगा !!






अब नहीं थकती हूँ मैं
क्योंकि
थकान को मै
इसलिए अब महसूस
नहीं कर सकती हूँ




उम्र कुछ ढलने लगी है
रफ्तार कदमों की थमने लगी है
उठ बैठ अब होती नहीं
चपलता अब सोहती नहीं


पितृपक्ष ... अर्चना कुमारी


अब भी इंतजार में हैं
कि प्यास का हल लेकर आएगा कोई
आस का फल लेकर आएगा कोई
विश्वास की ऊँगलियाँ थरथरा रही हैं
आँख इंतजार की पथरा रही है
कान मोहब्बत के घबरा रहे हैं
-कविता कोश से


आज बस
सादर

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