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सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
ब्लॉग जगत , फेसबुक की दुनिया सभी जगह से मौन हो गई सीपी ..... सब समझते थे लेखन में सोच के संग शब्दों की कारखाना है सीपी ..... फेसबुक पर चल रहे लगभग 50 समूह से ज्यादा ही समूहों की सदस्या थी .... मैं अक्सर उनसे पूछती कैसे इतने समूह में हर विधा पर लिख लेती हो ..... उसे जैसे हडबडी हो ..... मैं नाराज़ भी होती .... ये क्या केवल अपना चिपका भाग लेती हो .... दूसरों के लिखे पे ना like करती हो और ना comment ..... सब फालतू में बैठे हैं , जो केवल तुम्हारा पढ़ें .... मज़ा तब और आता जब उनके पोस्ट किये पे किसी दुसरे का like comment नहीं होता तो बहुत हक से कहती ,मेरे पोस्ट को सबने क्यूँ अनदेखा किया ,एडमिन से शिकायत करती , सबको tag करती .... किसी इवेंट में अगर वो विजेता नहीं होती तो उसे बहुत दुःख होता , कोई जीते ,मैं नहीं न जीती दीदु .... जैसे उसे हडबडी हो ,जल्द सब पा लेने का .... हडबडी ही तो थी ,साहित्य जगत को लेखन से समृद्ध करने का ..... आज उनके जाने से साहित्य जगत को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है
ज्योति - कलश
ब्लॉग जगत में सीपी का योगदान
शान्ति पुरोहित
फेसबुक की दुनिया में
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कविता कहानी
जय विजय पत्रिका में
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सम्मान की दृष्टि
सच का हौसला में
हाइकु
हस्ताक्षर पत्रिका
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हाइकु लिखना जब से शुरू की नशा हो गया उसे हाइकु की दीवानी
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http://matrubharti.com/book/3214/
हर पल जेहन में हो .... कैसे विदा लोगी
फिर मिलेंगे .... तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
सुप्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति ।
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