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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

207.... सब को मंज़िल का शौक है, मुझे रास्ते का ...


जय मां हाटेशवरी...

कल की भारी बरफ-बारी के बाद....
सूर्य देव के दर्शन तो हो गये....
पर बिजली अभी भी गुल है....
बची हुई बैटरी से ही  चलाते हैं काम....
अंदाज़ कुछ अलग ही हे मेरे सोचने का...
 सब को मंज़िल का शौक है, मुझे रास्ते का ...

दिन महीने साल गुजरते जायेंगे -- हमारी आस्थाएं ...डॉ टी एस दराल
ओर यह सोचते हुए कि हमारा देश कितना आस्थाओं का देश है जो आज भी विकास से दूर पौराणिक धार्मिक गाथाओं के वशीभूत होकर जी रहा है।
ढाबे में बैठे इस युवक को यंत्रवत पूड़ी सब्ज़ी डोंगे में डालते हुए , जम्हाई लेते हुए ग्राहकों को देते हुए देखकर लगा कि ये बेचारा तो लगता है सारी जिंदगी यही
काम करता रहेगा। शायद दिन महीने साल गुजरते जायेंगे , भक्तजन यहाँ यूँ ही आते जायेंगे।


जीवन संग्राम !...कालीपद "प्रसाद
जीवन एक अनजान आश्चर्य है
इसमें अथाह सिन्धु की गहराई है
हिमाच्छिद पर्वत शिखर है
जलहीन मरू, सुखा सिकता है
फूलों की खुशबु और काँटों की चुभन है,
किस मोडपर किस से होगी मुलाकात
कोई नहीं जानता यह बात


आहट...दीप्ति शर्मा
देखो महसूस करो
किसी अपने के होने को
तो आहटें संवाद करेंगी
फिर ये मौन टूटेगा ही
जब धरती भीग जायेगी
तब ये बारिश नहीं कहलायेगी
तब मुझे ये तुम्हारी आहटों की संरचना सी प्रतीत होगी
और मेरा मौन आहटों में
मुखरित हो जायेगा।


कवि की मनोदशा...ई. प्रदीप कुमार साहनी
क्यों नहीं सब सुनते,
खुले दिल से कविता,
हठ कर कर सबको,
कब तक सुनाता जाऊँ ।
काव्य ही जब धर्म है,
कविता ही तो कहुँगा,
सुनने को तुझे आतुर,
कैसे बनाता जाऊँ ।


उड़ान....इन्द्रा...
लकीर के फ़क़ीर
बनना नहीं हमें
नए रस्ते अपने लिए
तलाशेंगे  खुद ही हम
तुम तो बस हमें
उड़ने को छोड़ दो
या साथ हो लो हमारे
नए नए सपने बुनो
सपने बनाने की
कोई उम्र होती नहीं
छोड रूढ़ीवाद  और
पुरानी परम्पराएँ
सब नया  नहीं है बुरा
विश्वास करके देखो



Fantastico things which we learn from other animals in hindi...Jyoti Dehliwal
कई बार हम हंसों के समूह को अंग्रेजी के अक्षर v के आकार में उड़ते हूए देखते है। जब समूह का कोई पक्षी पंख फड़फड़ाता है तो ठीक पिछे उड़ रहे पक्षी के लिए उड़ान
भरना आसान हो जाता है। अकेला पक्षी जितनी दूर उड़ सकता है, v के आकार में पुरा समूह उससे कई गुणा ज्यादा दूर तक उड़ सकता है। जब सबसे आगे उड़ने वाला हंस थक जाता
है, तो वह v के आकार में पीछे आ जाता है और दूसरा हंस उसकी जगह ले लेता है। अर्थात मुश्किल काम करते समय अदला-बदली करने से लाभ होता है। पिछे उड़ रहे हंस, आगे
उड़ने वाले हंस को प्रोत्साहन की ध्वनी निकालकर तेज उड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते है। हम इंसान पिछे से क्या कहते है? यदि हम इंसानों में थोड़ी सी भी टीमभावना
हो तो हम क्या नहीं कर सकते है?


बुलबुलों से ख़्वाब...सु-मन 
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एक बौछार था वो शख्स - स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७५ वीं जयंती...शिवम् मिश्रा
 एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था
एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...

स्वर्ग  में सब कुछ हैं मगर मौत नहीं हैं..
पौराणिक  किताबों में सब कुछ हैं मगर झूठ नहीं हैं...
दुनिया में  सब कुछ हैं लेकिन सुकून नहीं हैं...
इंसान में  सब कुछ हैं मगर सब्र नहीं हैं...
इसी लिये शायद रचनाएं  भी...
आवश्यकता से अधिक लिंक  हो  जाती है...
धन्यवाद।

7 टिप्‍पणियां:

  1. सभी लिंक्स उम्दा । मुझे शामिल करने का आभार ।

    ब्लॉगिंग के मुन्नाभाई अविनाश वाचस्पति जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी लिंक्स उम्दा । मुझे शामिल करने का आभार ।

    ब्लॉगिंग के मुन्नाभाई अविनाश वाचस्पति जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह..
    ग़ज़ब की रचनाएँ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. नुक्कड़ के ब्लागर अविनाश जी वाचस्पति की असमय मृत्यू का समाचार है । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे । श्रद्धांजलि ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति..आभार!
    अविनाश जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

    जवाब देंहटाएं
  6. कुलदिप जी, पांच लिंकों का आनंद में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। अविनाश जी को विनम्र श्रद्धांजली। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

    जवाब देंहटाएं

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